द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
संसद की सुरक्षा में बुधवार को सामने आई चूक के मामले में गृहमंत्री अमित शाह से बयान की मांग करने पर विपक्ष के 15 सांसदों को गुरुवार को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया. विपक्षी सांसद इस मामले पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष सहमत नहीं हुए. जैसे ही सत्ता पक्ष ने कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, विपक्षी सांसद अपनी मांग के समर्थन में वेल में आ गए और नारे लगाने लगे. राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन को सदन की कार्यवाही को बाधित करने के चलते शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. वहीं, लोकसभा में भी यही हवाला देते हुए 14 सांसद निलंबित किए गए हैं. लोकसभा से निलंबित किए जाने वालों में कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन, हिबी ईडेन, एस. जोथिमनि, राम्या हरिदास, डीन कुरियाकोस, मनिकम टैगोर, बेनी बेहानन, वीके श्रीकंदन और मोहम्मद जावेद; सीपीआई(एम) के पीआर नटराजन और एस वेंकटेशन; डीएमके के कनिमोझी और एसआर पार्थिबान; और सीपीआई के के. सुब्बारायण शामिल हैं. हालांकि, बाद में पार्थिबान का निलंबन ‘गलत पहचान का मामला’ बताकर वापस ले लिया गया.
लोकसभा की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोप में गिरफ्तार चार आरोपियों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सात दिनों के लिए दिल्ली पुलिस (विशेष शाखा) की हिरासत में भेज दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, हालांकि दिल्ली पुलिस ने आरोपी मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल शिंदे और नीलम देवी की 15 दिनों की हिरासत मांगी थी. बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि चारों आरोपी आतंकवादी कृत्य में शामिल थे. अदालत द्वारा नियुक्त बचाव पक्ष के वकील ने 15 दिन की रिमांड के लिए पुलिस के आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि हिरासत में पूछताछ के लिए दो या तीन दिन पर्याप्त हैं. आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री अनिल भाईदास पाटिल ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में बताया कि इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच राज्य में 2,366 किसानों ने आत्महत्या की है. अमरावती राजस्व मंडल में सबसे अधिक 951 मामले सामने आए. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पाटिल ने बताया कि अमरावती के बाद छत्रपति संभाजीनगर मंडल में 877, नागपुर मंडल में 257, नासिक मंडल में 254 और पुणे मंडल में 27 मामले सामने आए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को वह आवेदन स्वीकार कर लिया, जिसमें मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का निरीक्षण करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति के आदेश देने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता की वकील ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि अदालत ने हमारी मांग मान ली है कि एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया जाना चाहिए. एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा, तौर-तरीके क्या होंगे और क्या यह तीन सदस्यीय समिति होगी? इन सभी बातों का फैसला 18 दिसंबर को होगा. बता दें कि विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा मथुरा की अदालतों में कम से कम एक दर्जन मामले दायर किए गए हैं. सभी याचिकाओं में एक आम बात यह है कि 13.77 एकड़ के परिसर से मस्जिद को हटाने का अनुरोध किया गया है, जो कटरा केशव देव मंदिर से सटी हुई है. मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद कृष्ण जन्मस्थल के बगल में किया गया था, माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के कुछ घंटों के भीतर ही मोहन यादव ने धार्मिक समारोहों और सार्वजनिक स्थानों पर निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि पर लाउडस्पीकर/डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थल या सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर/डीजे आदि का उपयोग निर्धारित मानदंडों के अनुसार ही किया जा सकता है. राज्य सरकार ने ध्वनि प्रदूषण और लाउडस्पीकर के अवैध उपयोग की जांच के लिए सभी जिलों में उड़न दस्ते बनाने का भी निर्णय लिया है. इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने मांस और अंडे की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की भी घोषणा की है. मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि फूड सेफ्टी नियम लागू होने के बाद खुले में मांस-मछली की बिक्री पर भारत सरकार द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उनका कड़ाई से पालन किया जाएगा.
मणिपुर में अधिकारियों ने बताया है कि 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के 7 महीने बाद हिंसा में मारे गए 73 लोगों के शव गुरुवार को उनके मूल जिलों में भेज दिए गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने 41 शवों को मेईतेई प्रभुत्व वाले इंफाल जिले से कुकी-ज़ोमी प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर तक पहुंचाया. अन्य 28 शवों को इंफाल से कुकी-ज़ोमी प्रभुत्व वाले कांगपोकपी ले जाया गया. वहीं, चुराचांदपुर जिला अस्पताल से चार शव इंफाल लाए गए. यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा मणिपुर सरकार को लावारिस शवों को दफ़नाने की व्यवस्था करने का निर्देश देने के बाद उठाया गया है.