डाकघर विधेयक में ‘कठोर और औपनिवेशिक’ प्रावधानों को बरक़रार रखा गया है: शशि थरूर

लोकसभा में विधेयक पर बहस के दौरान डाकघर विधेयक 2023 पर निराशा व्यक्त करते हुए कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नागरिकों की जासूसी करने के लिए मनमानी शक्तियां मांग रही है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से हमारी सरकार ने ख़ुद को जज, जूरी और जल्लाद बनाने की मांग की है.

शशि थरूर. (फोटो साभार: फेसबुक)

लोकसभा में विधेयक पर बहस के दौरान डाकघर विधेयक 2023 पर निराशा व्यक्त करते हुए कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नागरिकों की जासूसी करने के लिए मनमानी शक्तियां मांग रही है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से हमारी सरकार ने ख़ुद को जज, जूरी और जल्लाद बनाने की मांग की है.

शशि थरूर. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: डाकघर विधेयक, 2023 पर निराशा व्यक्त करते हुए कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक अपने ‘कठोर और औपनिवेशिक’ प्रावधानों को बरकरार रखता है.

लोकसभा में विधेयक पर बहस की शुरुआत करते हुए थरूर ने कहा, ‘मुझे कई कारणों से इस विधेयक का स्वागत करने की उम्मीद थी. डाक विभाग की देखरेख करने वाली संसदीय स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष के रूप में मैंने भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 को संशोधित करने और निरस्त करने की आवश्यकता को बार-बार रेखांकित किया था, जो कि अपनी समाप्ति तिथि से काफी पहले एक औपनिवेशिक विरासत थी.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि पिछले दशक में हमने अक्सर इस सरकार को हमारे दिमागों को उपनिवेश मुक्त करने और औपनिवेशिक युग की कहानियों को अद्यतन करने की आड़ में ऐसे कानून लाते हुए देखा है, जो अधिक मनमाने और अनुचित नहीं हैं और जो अक्सर अनगिनत भारतीयों के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं.’

थरूर ने कहा, ‘अफसोस की बात है कि इस विधेयक के साथ भी ऐसा ही है. भले ही यह एक औपनिवेशिक विधेयक को संशोधित करने का प्रयास करता है, फिर भी यह अपने कठोर और औपनिवेशिक प्रावधानों को बरकरार रखता है, वह भी जवाबदेही के बोझ को खत्म करते हुए जिसे भारतीय डाक जैसे सरकारी उद्यम को संवैधानिक रूप से उठाना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘दुखद है कि यह हमारे डाकघरों को 21वीं सदी में लाने के लिए कोई नया विचार पेश नहीं करता है. मंत्री के प्रति बहुत सम्मान रखने वाले व्यक्ति के रूप में मैं उन्हें इस आधे-अधूरे सुधार को सदन के सामने रखते हुए देखकर निराश हूं.’

विधेयक पर बहस के संदर्भ पर चर्चा करते हुए थरूर ने कहा, ‘लगभग एक महीने पहले मेरे सहित विपक्ष के कई मुखर सदस्यों को एप्पल से एक चेतावनी भरा नोटिस मिला था, जिसमें हमें इस तथ्य के बारे में चेतावनी दी गई थी कि सरकार प्रायोजित हमलावर हमारे फोन में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा करके वे संवेदनशील डेटा निकाल सकते हैं और हमारे फोन, कैमरे और माइक्रोफोन को भी हैक कर सकते हैं.’

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वास्तव में बहुत पहले ही पेगासस का खतरा हम सब पर मंडरा रहा था, हमारी हर हरकत और हमारी हर बात पर नजर रखी जा रही थी?

उन्होंने आगे कहा, ‘जब हम इस विधेयक पर बहस शुरू कर रहे हैं तो ये वास्तविकताएं हमें अपने दिमाग में रखनी चाहिए, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों, हमारे मौलिक अधिकारों के दिल पर हमला करता है और हर सामान्य भारतीय को सरकार के व्यापक और संदिग्ध अविश्वास की दया पर जीने के लिए मजबूर करते हैं.’

थरूर ने आरोप लगाया कि केंद्र नागरिकों की जासूसी करने के लिए मनमानी शक्तियां मांग रहा है.

थरूर ने कहा, ‘इस विधेयक के माध्यम से हमारी सरकार ने उन सभी मामलों में खुद को जज, जूरी और जल्लाद बनाने की मांग की है, जहां किसी नागरिक का पत्र या पार्सल (Consignment) विधेयक के अत्यधिक अस्पष्ट आधार का उल्लंघन करता पाया जाता है. इस विधेयक में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो उचित हो. बहुत कुछ ऐसा है जो प्रतिबंधात्मक है.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं कहूंगा कि यह विधेयक एक बड़ी निराशा है और मैं मंत्री से अनुरोध करता हूं कि कृपया ड्राइंग बोर्ड में वापस आएं और कुछ बेहतर लेकर आएं.’

हालांकि विधेयक का समर्थन करते हुए भाजपा सदस्य तापिर गाओ ने कांग्रेस पार्टी के सदस्यों से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘हम सभी को मिलकर इस विधेयक को पारित करना चाहिए, ताकि गरीबों को लाभ मिल सके.’

इससे पहले दिन में संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक का संचालन किया और सदस्यों से इसे सर्वसम्मति से पारित करने का आग्रह किया था.

मालूम हो कि केंद्र सरकार के भारतीय डाकघर अधिनियम में प्रस्तावित सुधार से कर्मचारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में डाक पार्सल खोलने की अनुमति मिल जाएगी. इसके अलावा अधिकारियों को शुल्क चोरी का संदेह होने पर उन्हें संबंधित अधिकारियों को भेजने की शक्ति भी दी गई है. ये प्रावधान पोस्ट ऑफिस बिल, 2023 का हिस्सा हैं, जिसे मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था.

यह औपनिवेशिक युग के कानून ‘भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898’ को निरस्त कर देगा और ‘भारत में डाकघर से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करेगा’. यह विधेयक किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या हिरासत में लेने या सीमा शुल्क प्राधिकरण को सौंपने की शक्ति निर्धारित करता है.