शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की मांग करने वाली एक याचिका को मंज़ूरी दे दी थी, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. हिंदू याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली ‘कृष्ण जन्मस्थान’ पर बनाई गई थी.

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद. (फोटो: तारुषी असवानी)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की मांग करने वाली एक याचिका को मंज़ूरी दे दी थी, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. हिंदू याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली ‘कृष्ण जन्मस्थान’ पर बनाई गई थी.

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद. (फोटो: तारुषी असवानी)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त द्वारा मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के निरीक्षण के लिए एक याचिका को मंजूरी दी गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली ‘कृष्ण जन्मस्थान’ पर बनाई गई थी.

वहीं, मुस्लिम वादियों का कहना है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 किसी भी पूजा स्थल के चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है और उसे उसी स्थिति में रखने की बात कहता है, जैसा कि वह 15 अगस्त 1947 को मौजूद था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन द्वारा गुरुवार को पारित आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ता शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन ट्रस्ट समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी से दो न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘इस पड़ाव पर हम किसी पर भी रोक नहीं लगाएंगे. उसे जारी रहने दीजिए. यदि कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है, तो आप आ सकते हैं.’

अहमदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मस्जिद समिति की उस याचिका पर सुनवाई करने वाला है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के मथुरा विवाद से संबंधित सभी याचिकाओं को स्वयं के पास स्थानांतरित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी और इसी बीच हाईकोर्ट ने आयुक्त की नियुक्ति की अनुमति देते हुए एक अंतरिम आदेश पारित कर दिया है.

अहमदी ने शीर्ष अदालत से कहा, ‘जब आप 8 जनवरी को इन मामलों की सुनवाई करने वाले हैं, तो हाईकोर्ट को ऐसे अंतरिम आदेश नहीं देने चाहिए. इसके दूरगामी परिणाम होंगे.’

उन्होंने कहा कि मामला अब आयुक्त की नियुक्ति के तौर-तरीके निर्धारित करने के लिए अगले सप्ताह हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध है, जबकि सुप्रीम कोर्ट को अभी इस पर विचार करना है कि क्या हाईकोर्ट के पास मुकदमे की सुनवाई का अधिकार है.

पीठ, जिसमें जस्टिस एसवीएन भट्टी भी शामिल थे, ने अहमदी से कहा कि वह हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बारे में बता सकते हैं और यदि कोई आपात स्थिति होती है, तो वह इसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करके कर सकते हैं.

अहमदी ने कहा कि उनके सामने समस्या यह है कि सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह अवकाश पर रहेगा और 3 जनवरी को ही वापस खुलेगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 19 दिसंबर से क्रिसमस और नए साल की छुट्टियों के लिए बंद हो जाएगा.

पीठ ने कहा कि वह ऐसे आदेश पर रोक नहीं लगा सकती जो उसके समक्ष नहीं आया है.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘एसएलपी 9 जनवरी 2024 को सूचीबद्ध की गई है. इसे उसी तारीख पर सुनवाई के लिए आने दिया जाए. उठाए गए सभी मुद्दों और विवादों पर विचार किया जाएगा.’

विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा मथुरा की अदालतों में कम से कम एक दर्जन मामले दायर किए गए हैं. सभी याचिकाओं में एक समान बात 13.37 एकड़ के परिसर से मस्जिद को हटाने की प्रार्थना है, जो कटरा केशव देव मंदिर से जुड़ी हुई है.

इस साल मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर सभी मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था.