अपने नागरिकों के लिए ‘आधार’ जैसी पहचान प्रणाली तैयार करने की दिशा में श्रीलंका द्वारा किए गए समझौते में 400 करोड़ रुपये की अनुदान राशि भारत सरकार प्रदान करेगी. इस प्रणाली में व्यक्ति की आंखों का रंग, उंगलियों के निशान और खून के प्रकार जैसे बायोमेट्रिक डेटा शामिल होंगे.
नई दिल्ली: अपने नागरिकों के लिए आधार जैसी पहचान प्रणाली को वित्त पोषित करने के लिए पूर्व राजपक्षे सरकार को अनुदान देने की भारत की पेशकश को आगे बढ़ाते हुए श्रीलंका ने परियोजना पर जनवरी से ‘बुनियादी स्तर के मुद्दों पर’ काम शुरू करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के साथ एक समझौता किया है.
संडे ऑब्जर्वर की 17 दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता ‘भारत सरकार के प्रतिनिधियों और (श्रीलंकाई) राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ और (इसके) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सगाला रत्नायका के बीच पिछले हफ्ते हुई चर्चा के दौरान हुआ था.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत द्वारा वित्त पोषित किए जाने वाले नए डिजिटल आईडी कार्ड की लागत 400 करोड़ रुपये होगी और इसमें व्यक्ति की आंखों का रंग, उंगलियों के निशान और खून के प्रकार जैसे बायोमेट्रिक डेटा शामिल होंगे.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पहले डिजिटल आईडी के लिए 76 बायोमेट्रिक्स की जरूरत होती थी, लेकिन अपडेट किए गए संस्करण में केवल छह की जरूरत होगी.’
रिपोर्ट कहती है, ‘(श्रीलंकाई) सरकार का लक्ष्य पहले नए आवेदकों के लिए अपडेटेड डिजिटल आईडी कार्ड जारी करने के बाद धीरे-धीरे पूरी आबादी के लिए इसे जारी करना है.’
फरवरी 2022 में मोदी सरकार ने राजपक्षे सरकार को ‘एकल डिजिटल पहचान ढांचे’ को लागू करने के लिए अनुदान प्रदान करने की पेशकश की थी, जो स्पष्ट रूप से भारत के आधार कार्ड पर आधारित था.
तब श्रीलंकाई सरकार के एक बयान के अनुसार, उसकी कैबिनेट ने उस विचार को मंजूरी दे दी थी, जिसमें बायोमेट्रिक्स पर आधारित एक व्यक्तिगत पहचान सत्यापन उपकरण पेश करने की उम्मीद थी.
उस वर्ष मार्च में इसे आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे.
दिसंबर 2022 में फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि श्रीलंकाई प्रौद्योगिकी मंत्री और भारतीय उच्चायुक्त (राजदूत) गोपाल बागले के बीच एक बैठक के बाद भारत-श्रीलंका संयुक्त परियोजना निगरानी समिति ने ‘तुरंत’ प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया था.
प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने का पिछले सप्ताह लिया गया यह फैसला गोपाल बागले के अंतिम कार्यों में से एक है, क्योंकि श्रीलंका में उनका राजदूत पद का कार्यकाल 15 दिसंबर को समाप्त हो चुका है.
हालांकि, 2022 की खबर में कहा गया था कि भारत ने इस परियोजना के लिए 300 करोड़ रुपये देने का वादा किया था, जबकि संडे ऑब्जर्बर की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुदान राशि अब 400 करोड़ रुपये है.
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