उत्तर प्रदेश: दलित समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम पर हमला, देसी बम फेंके गए

घटना कानपुर की है, जहां घाटमपुर के एक गांव में बौद्ध कथा कार्यक्रम में कथित तौर पर हथियारों से लैस 'उच्च जाति' के एक समूह ने हमला किया. बताया गया है कि उन्होंने गोलियां चलाईं, तोड़फोड़ की और संत रविदास की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी. आठ आरोपियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद पांच को गिरफ़्तार किया गया है.

कानपुर में दलित समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम पर हमला किया गया. (फोटो साभार: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

घटना कानपुर की है, जहां घाटमपुर के एक गांव में बौद्ध कथा कार्यक्रम में कथित तौर पर हथियारों से लैस ‘उच्च जाति’ के एक समूह ने हमला किया. बताया गया है कि उन्होंने गोलियां चलाईं, तोड़फोड़ की और संत रविदास की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी. आठ आरोपियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद पांच को गिरफ़्तार किया गया है.

कानपुर में दलित समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम पर हमला किया गया. (फोटो साभार: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में दलित समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम पर भारी हथियारों से लैस लोगों के एक समूह ने हमला किया, जिन्होंने कथित तौर पर गोलियां चलाईं, देसी बम फेंके और संत रविदास की एक मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने मंगलवार को बताया कि घाटमपुर के एक गांव में सोमवार देर रात हुई इस घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दो लोगों को कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) कानपुर, आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि आठ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद मंगलवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया, सभी तथाकथित उच्च जाति समुदायों से हैं.

उन्होंने कहा, ‘पुलिस एफआईआर में नामजद सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है. गांव में पीएसी सहित बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.’

एफआईआर में नामजद आरोपियों में से एक स्थानीय अपना दल विधायक सरोज कुरील के जनसंपर्क अधिकारी मनीष तिवारी हैं. कुरील बयान के लिए उपलब्ध नहीं थे.

कार्यक्रम के आयोजकों में से एक पवन कुमार संखवार ने कहा कि सालाना बौद्ध कथा सोमवार रात को शुरू हुई थी. उन्होंने कहा, ‘जो लोग इस घटना से नाराज़ थे, उन्होंने रात 2 बजे के आसपास एक योजनाबद्ध हमला किया. जो लोग तंबू के नीचे सो रहे थे, उन्हें पीटा गया और पूरी व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया गया.’

उन्होंने आरोप लगाया कि हमलावरों ने ‘अंधाधुंध गोलीबारी’ की और कुछ ‘देसी बम’ भी फेंके.

राम सागर पासवान, जिनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है, ने आरोप लगाया, ‘उन्होंने धमकी दी कि अगर कार्यक्रम जारी रहा, तो वे इसमें शामिल सभी लोगों को मार डालेंगे. उन्होंने संत रविदास की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया, उन्होंने कुर्सियां-मेजें तोड़ दीं, किताबें फाड़ दीं. हमें अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा.’

घाटमपुर के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) दिनेश कुमार शुक्ला ने आरोपियों की पहचान मनीष तिवारी, चंद्रभान मिश्रा, गोलू मिश्रा, शिवम मिश्रा, जीतू मिश्रा, अरुण कोटेदार, किन्नर मिश्रा और विशंभर मिश्रा के रूप में की है.

शुक्ला ने कहा, ‘पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले हमलावर भाग गए थे. उन पर दंगा, बर्बरता, डकैती और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत भी आरोप लगाया गया है.’

दूसरी तरफ, कथित ऊंची जाति के स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि यह कार्यक्रम पिछले साल भी समुदायों के बीच विवाद का कारण बन गया था. एफआईआर में नामजद आरोपियों में से एक चंद्रभान मिश्रा ने 16 दिसंबर को घाटमपुर उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी और उनसे इस साल कार्यक्रम की अनुमति न देने का आग्रह किया था. अपनी शिकायत में मिश्रा ने आरोप लगाया कि कथित तौर पर ब्राह्मणों का चित्रित करने वाले एक पुतले को पूरे गांव में घसीटे जाने से पहले कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित किया जाना था.

हालांकि, जेसीपी ने बताया कि उन्हें कथा आयोजन स्थल से किसी भी तरह की उत्तेजक सामग्री का कोई सबूत नहीं मिला.

मामले में एक अन्य शिकायतकर्ता आशीष अंबेडकर ने बताया कि कार्यक्रम आयोजकों ने दूसरे पक्ष को आश्वासन दिया था कि कुछ भी आपत्तिजनक प्रदर्शित नहीं किया जाएगा.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘हम सभी ने यह प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन तीन दिन पहले पुलिस गांव में आई और हमसे कार्यक्रम आयोजित न करने को कहा. हमें आश्चर्य हुआ कि खतरे की आशंका के बावजूद स्थानीय पुलिस ने घटनास्थल पर कोई कर्मी तैनात नहीं किया.’