उत्तराखंड: जिस सिल्कयारा सुरंग में मज़दूर फंसे थे, जांच रिपोर्ट आए बिना ही वहां फिर काम शुरू

उत्तराखंड में बीते 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग में 41 मज़दूर मलबे के नीचे फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद सकुशल बाहर निकाला जा सका था. घटना की जांच रिपोर्ट आए बिना इसका काम फिर शुरू हो गया है. इस बीच मज़दूरों को बचाने वाले रैट होल माइनर्स ने सरकारी पुरस्कार राशि को अपर्याप्त बताकर लेने से इनकार कर दिया है.

(फोटो साभार: ट्विटर/@jayanta_malla)

उत्तराखंड में बीते 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग में 41 मज़दूर मलबे के नीचे फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद सकुशल बाहर निकाला जा सका था. घटना की जांच रिपोर्ट आए बिना इसका काम फिर शुरू हो गया है. इस बीच मज़दूरों को बचाने वाले रैट होल माइनर्स ने सरकारी पुरस्कार राशि को अपर्याप्त बताकर लेने से इनकार कर दिया है.

(फोटो साभार: ट्विटर/@jayanta_malla)

नई दिल्ली: उत्तराखंड में महत्वाकांक्षी चार धाम सड़क परियोजना का हिस्सा अर्द्धनिर्मित सिल्कयारा सुरंग 12 नवंबर से करीब 17 दिनों तक तब सुर्खियों में रही, जब सुरंग ढहने से 41 मजदूर मलबे के नीचे फंस गए थे.

बीते 28 नवंबर को उन्हें सुरंग से बाहर निकाले जाने के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार सुरंग का सुरक्षा ऑडिट कराएगी.

बीते 23 दिसंबर को प्रकाशित द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक कोई जांच रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है, लेकिन सिल्कयारा सुरंग पर काम फिर से शुरू हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके दूसरे छोर (बड़कोट की ओर) पर काम शुरू हुआ है.

इस बीच, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बचाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 12 रैट-होल खनिकों ने कहा है कि वे उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रत्येक खनिक को दिए गए 50,000 रुपये के ईनामी चेक को नहीं भुनाएंगे, क्योंकि यह राशि उनके द्वारा उठाए गए जोखिम की भरपाई नहीं करती है.

सिल्कयारा सुरंग का निर्माण फिर शुरू हुआ

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बड़कोट के एक ग्रामीण ने संवाददाताओं को बताया कि करीब 40 मजदूरों ने सुरंग पर काम शुरू कर दिया है और बीते 21 दिसंबर की सुबह ऑगर मशीन, स्लरी मशीन और बैकहोज समेत भारी उपकरण काम पर लगाए गए थे. ग्रामीण ने बताया कि ‘उन्होंने इलाके की घेराबंदी कर दी है.’

हालांकि, टेलीग्राफ के मुताबिक सुरंग पर काम जांच रिपोर्ट तैयार होने से पहले ही शुरू हो गया है. एक अन्य रिपोर्ट में अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ जांच दल ने सुरंग का सर्वेक्षण किया है और सरकार को प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपने वाली है. हालांकि, अभी तक इसकी कोई पुष्टि सामने नहीं आई है.

द टेलीग्राफ ने बताया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने उत्तरकाशी में संवाददाताओं से कहा, ‘पर्वतीय सुरंग के सिल्कयारा की ओर जांच जारी है, लेकिन निर्माण कंपनी ने बड़कोट की तरफ से अपना काम शुरू कर दिया है.’

हिंदुस्तान टाइम्स ने बीते 27 नवंबर को अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सिल्कयारा-बड़कोट सुरंग परियोजना पर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सौंपी गई एक भूवैज्ञानिक रिपोर्ट कहती थी कि प्रस्तावित सुरंग ‘कमजोर चट्टानों का सामना कर सकती है.’ वहीं, एक पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन में सिफारिश की गई थी कि निर्माण के दौरान 3.5 मीटर लंबी एक बचाव (एस्केप) सुरंग बनाई जाए, लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लागत और समय की कमी के कारण ऐसा नहीं किया गया था.

बता दें कि सुरंग के सिल्कयारा छोर पर 17 दिनों तक फंसे रहे 41 श्रमिकों में से प्रत्येक को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है. इसकी घोषणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें बचाए जाने वाली रात की थी.

सौतेला व्यवहार हुआ: रैट होल माइनर्स

बीते 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री धामी ने उन 12 खनिकों में से प्रत्येक को 50,000 रुपये के चेक सौंपे थे, जिन्होंने बचाव अभियान के दौरान उस समय अंतिम 12 मीटर तक मलबा खोदा था, जब ड्रिलिंग मशीनें और ऑगर आगे नहीं जा सके थे.

टेलीग्राफ से एक अज्ञात सरकारी ने सूत्र ने कहा, ‘यह पैसा उत्तरकाशी प्रशासन द्वारा आवंटित किया गया था, जिसने फंसे हुए 41 मजदूरों में से भी प्रत्येक को 1 लाख रुपये के चेक दिए थे.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रैट होल खनिकों ने राशि को अपने द्वारा उठाए गए जोखिम के अनुपात में कम पाते हुए कहा है कि उन्होंने अनिच्छा से चेक स्वीकार कर लिए थे, लेकिन उन्हें वे भुनाएंगे नहीं.

रिपोर्ट में दिल्ली स्थित रॉकवेल एंटरप्राइजेज – जिसने अंतिम दौर का बचाव अभियान संभाला था – के प्रमुख वकील हसन के हवाले से कहा गया है कि वास्तव में खनिकों ने शुरू में मुख्यमंत्री धामी से चेक लेने से इनकार कर दिया था.

हसन ने कहा कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया है.

हसन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘सुरंग के अंदर से बचाए गए लोगों को मुख्यमंत्री ने तुरंत ही 1 लाख रुपये का चेक दिया, लेकिन हमने अपनी जान जोखिम में डाली और हमें 50,000 रुपये दे रहे हैं. हमने यह भी कहा कि हमें यह 50,000 रुपये का ईनाम नहीं चाहिए, लेकिन अगर वे हमारे लिए कुछ करना ही चाहते हैं तो एक मील का पत्थर स्थापित करें कि अगर कोई भारत के लिए कुछ करता है, तो देश भी उसके लिए वैसा ही करेगा.’

उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे कहा कि या तो हमें स्थायी नौकरी प्रदान करें या हमें इतनी राशि दें, जिससे हमें इस पेशे से बाहर निकलने में मदद मिल सके, ताकि हमें पूरी जिंदगी गड्ढे खोदने की जरूरत न पड़े. हमने सरकार और भारत को गौरवान्वित किया है. इसलिए, यह एक मील का पत्थर होना चाहिए.’

बहरहाल, विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार पर रैट होल खनिकों के प्रयासों को अपमानित करने का आरोप लगाया है, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने भी कांग्रेस पर प्रोपेगेंडा और निराधार अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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