60 से अधिक डिजिटल अधिकार समूहों ने दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर कहा है कि दूरसंचार विधेयक गोपनीयता और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण एन्क्रिप्शन को ख़तरे में डालता है, इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की अनियंत्रित शक्तियों को बढ़ावा देता है और स्वतंत्र निरीक्षण के बिना निगरानी को बढ़ाता है.
नई दिल्ली: सिग्नल और फायरफॉक्स ब्राउजर जैसे लोकप्रिय तकनीकी प्लेटफार्मों का समर्थन करने वाले संगठनों सहित 60 से अधिक डिजिटल अधिकार समूहों ने दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर उनसे दूरसंचार विधेयक (Telecom Bill) को वापस लेने का आग्रह किया है.
दूरसंचार विधेयक को बीते गुरुवार 21 दिसंबर को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल अधिकार समूहों ने पत्र में कहा है, ‘यह विधेयक गोपनीयता और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण एन्क्रिप्शन (Encryption) को खतरे में डालता है; इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की अनियंत्रित शक्तियों को बढ़ावा देता है और स्वतंत्र निरीक्षण के बिना निगरानी को बढ़ाता है.’
सिग्नल फाउंडेशन और वेब ब्राउज़र मोज़िला के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है, ‘जैसा कि हम जानते हैं कि यह विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में मौलिक अधिकारों, लोकतंत्र और इंटरनेट के लिए गंभीर खतरा है और इन खामियों को दूर करने के लिए इसे वापस लिया जाना चाहिए और इसमें बदलाव किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि सरकार को बिना किसी सीमा के ‘दूरसंचार में एन्क्रिप्शन और डेटा प्रोसेसिंग’ पर मानकों और अनुरूपता मूल्यांकन उपायों को अधिसूचित करने के लिए सशक्त बनाने में, विधेयक ‘मजबूत एन्क्रिप्शन की पेशकश करने और गोपनीयता-आधारित नवाचारों को विकसित करने के लिए सेवा प्रदाताओं की क्षमता के आसपास अनिश्चितताएं पैदा करता है’.
यह विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम (1885), वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम (1933) और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम (1950) का स्थान लेगा, जिसे सरकार औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों के रूप में देखती है, जिनमें सुधार की आवश्यकता है, यह देखते हुए कि पिछले कुछ वर्षों में दूरसंचार क्षेत्र में काफी बदलाव आया है.
यह संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुका है और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा.
प्रस्तावित कानून क्षेत्र में मौजूदा नियामक तंत्र में कई संरचनात्मक बदलाव लाने का प्रयास करता है, जिसमें लाइसेंसिंग व्यवस्था का सरलीकरण, स्पेक्ट्रम असाइनमेंट पर स्पष्टता और अन्य चीजों के अलावा उपयोगकर्ता सत्यापन की कठोर आवश्यकता शामिल है.