जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में 3 लोगों के शव उस जगह के नज़दीक पाए गए थे, जहां आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया था. एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें सेना के जवान नागरिकों को यातनाएं देते देखे जा सकते हैं.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में तीन नागरिकों की अज्ञात परिस्थितियों में हत्या के एक दिन बाद उनके गांव के सरपंच और उनमें से दो के रिश्तेदारों ने कहा है कि मृतक उन ग्रामीणों में से हैं, जिन्हें एक वीडियो में अज्ञात सैनिकों द्वारा बेरहमी से पीटते और प्रताड़ित करते देखा गया था.
जिले के टोपा पीर गांव के रहने वाले मृतकों सफीर हुसैन (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष) के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों ने द वायर को बताया है कि जिस वीडियो में ये लोग वर्दीधारी जवानों से विनती करते और अपनी जान की भीख मांगते नजर आ रहे हैं, उससे उन्हें आघात पहुंचा है.
हालांकि, सेना और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने यह नहीं बताया है कि तीनों लोगों की हत्या के लिए कौन जिम्मेदार है, जबकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये लोग सेना की हिरासत में मारे गए.
मालूम हो कि ये हत्याएं सेना के काफिले पर आतंकवादियों द्वारा बीते 21 दिसंबर को किए गए हमले के बाद हुईं, जिसमें चार सैनिक शहीद हो गए थे.
घटना के बाद केंद्रशासित जम्मू कश्मीर प्रशासन – जो केंद्रीय गृह मंत्रालय की निगरानी में कार्य करता है – ‘प्रत्येक मृतक के लिए मुआवजा’ और मारे गए लोगों के ‘रिश्तेदारों को अनुकंपा नियुक्ति’ देने की घोषणा कर चुका है.
द हिंदू ने बताया है कि रविवार रात जम्मू कश्मीर पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) के तहत एक एफआईआर दर्ज की है.
द वायर से बात करते हुए गांव के सरपंच महमूद अहमद ने वायरल वीडियो में शब्बीर और शौकत की पहचान की है, जिसमें सैनिकों को हिरासत में लिए गए लोगों को बेरहमी से पीटते हुए और उनमें से कुछ के नग्न नितंबों पर मिर्च पाउडर फेंकते हुए देखा जा सकता है. यह भारत में पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा यातना देने का एक सामान्य तरीका है.
कथित तौर पर सेना की हिरासत में मारे गए तीन नागरिकों में से एक मोहम्मद शौकत के चाचा मोहम्मद सिद्दीकी ने कहा कि वीडियो में उनका भतीजा है, जो लाठीधारी सैनिक से हाथ जोड़कर खुद को छोड़ देने की विनती करते हुए देखा जा सकता है.
सिद्दीकी ने कहा, ‘शौकत ने दया की भीख मांगी, उसने हमारे पैगंबर मोहम्मद का नाम लेकर उनसे दया की गुहार लगाई, लेकिन इससे वे पिघले नहीं.’
उन्होंने कहा कि वीडियो में काले कपड़े में एक बेजान व्यक्ति भी देखा जा सकता है जो सफीर था, जिसका भाई सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में हेड कांस्टेबल है.
सिद्दीकी ने कहा, ‘तीसरा व्यक्ति, जिसने लाल टीशर्ट पहनी हुई है, इरफान अहमद है. वह 16 साल का है और अस्पताल में भर्ती लोगों में से एक है.’
उन्होंने यह भी कहा कि पूरी घटना ने गुज्जर-बकरवाल समुदाय को सदमे में डाल दिया है. यह समुदाय पहले से ही अन्य समस्याओं समेत गरीबी और अपने अधिकारों के अभाव में जी रहा है.
48 राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों द्वारा कथित तौर पर प्रताड़ित किए गए लोगों के शव उनके परिवारों को सौंपे जाने के बाद से पुंछ के टोपा पीर गांव को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, लगभग सील कर दिया गया है, सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी गई है और इंटरनेट बंद कर दिया गया है.
सरपंच अहमद ने यह भी दावा किया कि दुख की घड़ी में ग्रामीण तीनों परिवारों से मिलने नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि सेना ने उनके घरों को घेर लिया है. उन्होंने इलाके में इंटरनेट बंद होने और सेना की भारी मौजूदगी की भी पुष्टि की.
मृतक नागरिक मोहम्मद शब्बीर के पिता वली मोहम्मद का कहना है कि जब से उन्होंने अपने बेटे का शव देखा है, तब से वह होश नहीं संभाल पा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मेरे खूबसूरत बेटे को हर जगह टांके लगे एक शव में बदल दिया. यहां तक कि उसके सिर और छाती पर भी टांके लगे थे, उसके शरीर पर बिजली के झटके के निशान थे.’
मोहम्मद ने कहा कि उन्होंने खुद 27 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ-साथ 16 राष्ट्रीय राइफल्स में कुली के रूप में काम किया है. उन्होंने कहा, ‘मेरा शब्बीर भी सेना में कुली था, वे अपने ही कर्मचारी को पूछताछ के लिए क्यों बुलाएंगे? उन्होंने ऐसा किया ताकि यह सामान्य लगे कि उन्होंने उसे शिविर में आने के लिए फोन किया है.’
मोहम्मद ने कहा, ‘हमने न सिर्फ उनके साथ काम किया है बल्कि इस अनिश्चित सीमा पर भी उनके साथ खड़े रहे हैं, यह हमारा ईनाम है.’
सेना ने कहा है कि मामले की जांच चल रही है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके और सेना के बीच संबंधों को फिर से सामान्य होने में लंबा समय लगेगा.
Terrorist Initiated Incident at Bafliaz in Poonch-Rajouri Sector (21/ 22 Dec 23).
Search operations by the Security Forces are continuing in the area of operations after the incident of 21 Dec 23. Reports have been received regarding three civilian deaths in the area. The matter… pic.twitter.com/KLwtC2C2nm
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) December 23, 2023
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नागरिकों की मौत का कारण नहीं बताया है, लेकिन कहा है कि कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है और मुआवजे की घोषणा की गई है.
बीते 23 दिसंबर को सोशल साइट एक्स पर जम्मू कश्मीर के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने कहा, ‘22 दिसंबर 2023 को पुंछ जिले के बफ़लियाज़ में तीन नागरिकों की मौत की सूचना मिली थी. चिकित्सीय कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और इस मामले में उचित प्राधिकारी द्वारा कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. सरकार ने प्रत्येक मृतक के लिए मुआवजे की घोषणा की है. इसके अलावा सरकार ने प्रत्येक मृतक के निकटतम परिजन को अनुकंपा नियुक्ति की भी घोषणा की है.’
However, the death of three civilians was reported on 22 Dec 2023 in Baffliaz of Poonch district. The medico-legal formalities were conducted and legal action in this matter has been initiated by the appropriate authority.
(2/4) pic.twitter.com/1kTuHNdysE
— Counter Disinformation Centre (@JKCDC_) December 24, 2023
हत्याओं की निंदा की गई
सेना की हिरासत के बाद तीन नागरिकों की मौत की घटना की जम्मू कश्मीर के नेताओं ने निंदा की है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जुलाई 2020 में दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में एक फर्जी मुठभेड़ में तीन लोगों की हत्या के दोषी सेना के एक कैप्टन की हाल ही में हुई रिहाई का हवाला देते हुए कहा, ‘मानवाधिकारों के किसी भी उल्लंघन के लिए पारदर्शी जांच और सजा की मांग करना भी निरर्थक लगता है, यह देखते हुए कि जो लोग दोषी पाए जाते हैं उन्हें सजा भुगते बिना ही रिहा कर दिया जाता है. यह ‘दिल की दूरी या दिल्ली से दूरी’ मिटाने का तरीका नहीं है.’
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने निंदा करते हुए एक ट्वीट में कहा, ‘यदि यह किसी अन्य सरकार में हुआ होता तो गोदी मीडिया ने सवाल खड़े कर दिए होते.’
उन्होंने लिखा, ‘उन्होंने 15 लोगों को उनके घर से उठाया, जिन्हें प्रताड़ित किया गया. उनमें से तीन पहले ही मारे जा चुके हैं. इसलिए, यह कैसे ‘खुशहार कश्मीर’ या ‘नया कश्मीर’ है, जहां न तो सेना के जवान सुरक्षित हैं और न ही आम लोग?’
“Had this happened under any other government, the godi media would have raised questions. They picked up 15 people from their homes who were tortured. Three of them have already been killed. So, how is this ‘Khushal Kashmir’ or ‘Naya Kashmir’ where neither Armymen nor common… https://t.co/OhSaaYLBaH
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 23, 2023
राष्ट्रीय दलों के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी कड़ी निंदा की है और कहा है कि मृतकों के परिवारों के लिए केवल मुआवजे की घोषणा पर्याप्त नहीं है. पार्टी ने मामले की त्वरित जांच और जिम्मेदारों को सजा देने की मांग की है.
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