जम्मू कश्मीर: तीन नागरिकों की हत्या के मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए

जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव पाए गए थे. इनके परिवारों ने सेना की हिरासत में मौत का आरोप लगाया है. अब सेना ने इस मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव पाए गए थे. इनके परिवारों ने सेना की हिरासत में मौत का आरोप लगाया है. अब सेना ने इस मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवादियों द्वारा बीते 21 दिसंबर को घात लगाकर दो सैन्य वाहनों पर किए गए हमले में चार जवानों के शहीद होने के बाद कथित तौर पर सुरक्षा बलों ने पूछताछ के लिए कुछ नागरिकों को उठा लिया था, जिनमें से तीन की मौत हो गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अब सेना ने उन परिस्थितियों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया है, जो तीन नागरिकों की मौत का कारण बनीं.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने तीन नागरिकों की मौत और पांच अन्य के घायल होने के संबंध में हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ पुंछ के सुरनकोट पुलिस थाने में एक एफआईआर भी दर्ज की है.

बीते 21 दिसंबर को जिले के टोपा पीर गांव के पास के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार जवान शहीद हो गए थे और दो घायल हुए थे. सूत्रों ने बताया कि दो जवानों के शव क्षत-विक्षत पाए गए थे. सेना द्वारा व्यापक घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाए जाने के बावजूद अब तक आतंकवादियों का पता नहीं चल सका है.

हमले के संबंध में पूछताछ के लिए अगले दिन 22 दिसंबर को सुबह उठाए गए आठ नागरिकों में से तीन रात को मृत पाए गए थे, जिससे क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया. शेष पांच नागरिकों को घायल अवस्था में राजौरी के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि आठों को पूछताछ के दौरान प्रताड़ित किया गया था.

मृत पाए गए तीन नागरिक टोपा पीर गांव के सफीर अहमद (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष) थे. पुंछ में बफलियाज़ और राजौरी में देहरा की गली के थानामंडी की ओर अंतर-जिला आवाजाही पर प्रतिबंध और दो सीमावर्ती जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के बीच शनिवार (23 दिसंबर) को उन्हें दफना दिया गया.

शनिवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने तीन नागरिकों की मौत के कारण पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा था कि कानूनी कार्रवाई शुरू कर मुआवजे की घोषणा की गई है. वहीं, सेना ने कहा कि मामले की जांच चल रही है और वह ‘जांच के संचालन में पूर्ण समर्थन और सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है.’

इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि सेना की आंतरिक जांच अखनूर स्थित एक अलग इकाई द्वारा की जाएगी – यह नगरोटा की 16 कॉर्प्स का भी हिस्सा है, जो पीर पंजाल रेंज के दक्षिण के क्षेत्रों के लिए जवाबदेह है – और इसमें निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस जैसी अन्य एजेंसियां भी शामिल होंगी.

फास्ट-ट्रैक जांच 72 घंटों में पूरी होने की संभावना है और इसमें घात लगाकर किए गए हमले की जांच भी शामिल होने की संभावना है.

अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 16 कॉर्प्स में विभिन्न स्तरों पर कमान में बदलाव होने की संभावना है. जहां इनमें से कुछ की योजना पहले ही बनाई गई थी, वहीं कुछ बदलाव नागरिकों की हत्या के जवाब में हो सकते हैं.

तीन नागरिकों की हत्या मामले में ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज

इस बीच, जम्मू कश्मीर पुलिस ने तीन नागरिकों की मौत और पांच अन्य के घायल होने के मामले में पुंछ के सुरनकोट पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

इसका खुलासा करते हुए मारे गए तीन नागरिकों में से एक सफीर अहमद के बड़े भाई बीएसएफ हेड कांस्टेबल नूर अहमद ने कहा कि उन्हें पुलिस ने सूचित किया था कि सुरनकोट पुलिस थाने में एफआईआर संख्या-394 दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक एफआईआर की कॉपी नहीं मिली है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 29 सेकंड का एक वीडियो सामने आने पर दिल्ली से उच्चस्तरीय हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज किया गया था. वीडियो में कुछ लोग – कथित तौर पर सेना के जवान – तीन लोगों को निर्वस्त्र करते हुए और उन पर मिर्च पाउडर छिड़कते हुए देखे जा सकते थे. यह क्लिप सोशल मीडिया पर फैल गई थी. कहा जा रहा है कि यह वीडियो सेना के शिविर में शूट किया गया था.

द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि टोपा पीर गांव के सरपंच और मृतकों में शामिल दो के रिश्तेदारों ने कहा है कि मृतक उन ग्रामीणों में से हैं, जिन्हें एक वीडियो में अज्ञात सैनिकों द्वारा बेरहमी से पीटते और प्रताड़ित करते देखा जा सकता है.

मृतकों के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों ने द वायर को बताया है कि जिस वीडियो में ये लोग वर्दीधारी जवानों से विनती करते और अपनी जान की भीख मांगते नजर आ रहे हैं, उससे उन्हें आघात पहुंचा है.

ये सभी गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं.

सेना ने चार शहीद जवानों के नामों का खुलासा किया

इस बीच, सेना ने रविवार को उन चार जवानों के नाम सार्वजनिक कर दिए जो घात लगाकर किए गए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे.

मृत सैनिकों की पहचान उत्तराखंड के चमोली के नायक बीरेंद्र सिंह, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के राइफलमैन गौतम कुमार, उत्तर प्रदेश के कानपुर के नायक करण कुमार और बिहार के नवादा के राइफलमैन चंदन कुमार के तौर पर की गई है.

द हिंदू के अनुसार, पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के छद्म संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है और हमले के बाद की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं. रविवार (24 दिसंबर) को इसने और तस्वीरें जारी कीं, जिनमें मृत सैनिकों के चार सर्विस हथियारों की तस्वीरें भी शामिल थीं.

संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पुराने पोस्ट के स्क्रीनशॉट भी जारी किए, जिसमें उन्होंने सरकार पर आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करने को लेकर सवाल उठाए थे.

सोशल मीडिया ऐप टेलीग्राम पर पीएएफएफ द्वारा प्रसारित मोदी की एक्स पर की गई 2 मई 2013 की पोस्ट में कहा गया था, ‘केंद्र पाकिस्तान के अमानवीय कृत्यों का कड़ा जवाब देने में असमर्थ है. हमारे सैनिकों का सिर काटना और अब सरबजीत की मौत इसके 2 ताजा उदाहरण हैं.’