‘सितारा-ए-इम्तियाज़’ पुरस्कार पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पुलिस ने बीते 20 दिसंबर को लगभग 200 बलोच प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की थी. तब से 100 से अधिक बलोच छात्र कथित तौर पर लापता हैं. एक बलोच युवक की कथित ‘ग़ैर-न्यायिक हत्या’ के विरोध में ये लोग इस्लामाबाद पहुंचे थे.
नई दिल्ली: प्रसिद्ध पाकिस्तानी लेखक मोहम्मद हनीफ ने बलोच लोगों पर पाकिस्तान की लगातार ज्यादतियों और 20 दिसंबर को इस्लामाबाद में एक विरोध मार्च पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में अपना ‘सितारा-ए-इम्तियाज’ पुरस्कार लौटा दिया है.
‘सितारा-ए-इम्तियाज’ पुरस्कार पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है.
सोशल साइट एक्स पर अपने पोस्ट में ‘केस ऑफ एक्सप्लोडिंग मैंगोज’ के लेखक हनीफ ने लिखा कि उन्हें यह पुरस्कार ‘एक ऐसी सरकार द्वारा दिया गया था जो बलोच नागरिकों का अपहरण और उन पर अत्याचार करना जारी रखे हुए है.’
हनीफ ने यह भी लिखा, ‘मेरी पीढ़ी के पत्रकारों ने सम्मी दीन बलोच और महरंग बलोच को विरोध शिविरों में बड़े होते देखा है. नई पीढ़ी को बुनियादी सम्मान से वंचित होते देखकर शर्म आती है.’
In protest, returning my Sitara e Imtiaz, given to me by a state that continues to abduct and torture Baloch citizens. Journalists of my generation have seen @SammiBaluch and @MahrangBaloch_ grow up in protest camps. Ashamed to witness a new generation being denied basic dignity. https://t.co/yrw4STuzKk
— Mohammed Hanif (@mohammedhanif) December 23, 2023
सम्मी दीन बलोच और महरंग बलोच दोनों प्रमुख कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में बलोच लोगों को जबरन गायब करने के खिलाफ अभियान चलाया है.
खबरों में कहा गया है कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पुलिस ने 20 दिसंबर को लगभग 200 बलोच प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की थी. डॉन ने खबर दी है कि पुलिस ने लाठियों, पानी की बौछार और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. तब से 100 से अधिक बलोच छात्र कथित तौर पर लापता हैं.
विपक्षी नेताओं, कार्यकर्ताओं और टिप्पणीकारों ने पुलिस की मनमानी की कड़ी आलोचना की है. डॉन के मुताबिक, तब से बलूचिस्तान प्रांत जवाबी विरोध प्रदर्शनों के कारण सिंध और पंजाब से कटा हुआ है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) के अधिकारियों द्वारा एक बलोच युवक की कथित ‘गैर न्यायिक हत्या’ के बाद बीते 6 दिसंबर को तुर्बत में शुरू किया गया बलोच महिलाओं के नेतृत्व वाला लॉन्ग मार्च बीते 20 दिसंबर को राजधानी इस्लामाबाद पहुंचा था.
हालांकि, पुलिस ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी थी. शहर में प्रवेश बिंदुओं और प्रमुख मार्गों का उद्देश्य प्रदर्शनकारियों की नेशनल प्रेस क्लब तक पहुंच को बाधित करना है.
इसके बाद इस्लामाबाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने और तितर-बितर करने के लिए राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों से 200 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया. प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस, पानी की बौछारों और पुलिस की लाठियों का सामना करना पड़ा.
इन घटनाओं के कारण मानवाधिकार संगठनों, राजनीतिक हस्तियों और विश्लेषकों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग की कड़ी निंदा की है.
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