मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि, वर्तमान वित्तीय वर्ष में भागीदारी दर 59 फीसदी

मनरेगा के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के दौरान 24 दिसंबर तक मनरेगा के तहत कुल 238.62 करोड़ व्यक्ति-दिवस थे, जिनमें महिला दिवसों का आंकड़ा 59.25 फीसदी था, जो पिछले 10 वित्तीय वर्षों में सबसे अधिक है. पिछले 10 वित्तीय वर्षों में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी का सबसे कम प्रतिशत 2020-21 (53.19%) में दर्ज किया गया था.

(फोटो साभार: UN Woman/Gaganjit Singh/Flickr)

मनरेगा के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के दौरान 24 दिसंबर तक मनरेगा के तहत कुल 238.62 करोड़ व्यक्ति-दिवस थे, जिनमें महिला दिवसों का आंकड़ा 59.25 फीसदी था, जो पिछले 10 वित्तीय वर्षों में सबसे अधिक है. पिछले 10 वित्तीय वर्षों में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी का सबसे कम प्रतिशत 2020-21 (53.19%) में दर्ज किया गया था.

(फोटो साभार: UN Woman/Gaganjit Singh/Flickr)

नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान महिलाओं की भागीदारी 10 वित्तीय वर्षों में सबसे अधिक देखी गई, 24 दिसंबर तक कुल मानव-दिवसों में महिला दिवसों का अनुपात 59.25 फीसदी रहा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आधिकारिक आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है.

मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी की दर- जिसे कुल कार्य दिवसों में से महिला कार्य दिवसों के प्रतिशत के तौर पर पारिभाषित किया गया है- 2022-23 में 57.47 फीसदी और 2021-22 में 54.82 फीसदी रही.

कोविड-19 महामारी के समय 2020-21 के दौरान यह 53.19 फीसदी और कोविड अवधि से पहले 2019-20 में 54.78 फीसदी थी.

मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि 2023-24 के दौरान 24 दिसंबर तक मनरेगा के तहत कुल 238.62 करोड़ व्यक्ति-दिवस थे, जिनमें महिला व्यक्ति दिवस का आंकड़ा 141.37 करोड़ या 59.25 फीसदी था.

2022-23 में कुल 295.66 करोड़ व्यक्ति दिवसों में से महिला व्यक्ति दिवसों की संख्या 169.90 करोड़ (57.47 प्रतिशत) थी. पिछले 10 वित्तीय वर्षों में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी का सबसे कम प्रतिशत 2020-21 में 53.19% दर्ज किया गया था. 2023-24 के लिए मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी के आंकड़े 24 दिसंबर तक उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित हैं और वित्तीय वर्ष के अंत मार्च 2024 तक इनमें मामूली बदलाव हो सकता है.

हालांकि, व्यापक रुझान ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में महिलाओं की भागीदारी में नियमित रूप से वृद्धि का संकेत देते हैं.

केरल (89%), तमिलनाडु (86%), पुडुचेरी (87.16%) और गोवा (72%) जैसे दक्षिणी राज्यों में महिलाओं की भागीदारी दर 70 फीसदी से अधिक दर्ज की गई है, वहीं पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों में यह लगभग 40 फीसदी या उससे नीचे रही है.

2023-24 में, मनरेगा के तहत सबसे कम महिला भागीदारी दर वाले 5 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश – जम्मू कश्मीर (30.47%) और लक्षद्वीप (38.24%), उत्तर प्रदेश (42.39%), मध्य प्रदेश (42.50%) और महाराष्ट्र (43.76%) रहे हैं. हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इनमें से 3 (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लक्षद्वीप) में महिला भागीदारी में वृद्धि दर्ज की गई है.

उदाहरण के लिए, 2022-23 में उत्तर प्रदेश में यह 37.87 फीसदी थी जो 2023-24 में बढ़कर 42.39 फीसदी हो गई है. इसी तरह, लक्षद्वीप में यह 26.67 फीसदी से बढ़कर 38.24 फीसदी और मध्य प्रदेश में 41.80 फीसदी से बढ़कर 42.50 फीसदी हो गई है.

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 24 दिसंबर 2023 तक कुल 5.38 करोड़ परिवारों ने मनरेगा का लाभ उठाया है, जो 2022-23 में 6.18 करोड़ और 2021-22 में 7.25 करोड़ थे.

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, हाल के वर्षों में देश में महिला श्रम बल भागीदारी दर में वृद्धि हुई है.

ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि तेज़ थी. महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), कुल आबादी में से श्रम बल में शामिल व्यक्तियों का प्रतिशत, 2017-18 के 18.2% से बढ़कर 2022-23 (जुलाई-जून) में 30.5% हो गई.

महिला बेरोजगारी दर 2017-18 में 3.8 फीसदी थी, जो 2022-23 में घटकर 1.8 फीसदी रह गई.