कांग्रेस अध्यक्ष के रेलवे स्टेशनों पर पीएम के ‘सेल्फी बूथ’ को पैसे की बर्बादी बताने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रेलवे स्टेशनों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के साथ ‘सेल्फी बूथ’ बनाए जाने को लेकर सरकार की तीखी आलोचना की है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह करदाताओं के पैसे की खुलेआम बर्बादी है. मुंबई के एक कार्यकर्ता के आरटीआई अनुरोध के जवाब में मध्य रेलवे ने उन स्टेशनों की सूची दी थी, जहां क्रमशः 1.25 लाख रुपये और 6.25 लाख रुपये की अनुमोदित लागत से अस्थायी और स्थायी सेल्फी बूथ बनाए गए. खरगे ने ट्विटर पर इस जवाब को साझा करते हुए  लिखा,’मोदी सरकार द्वारा आत्ममुग्ध प्रचार की कोई सीमा नहीं है! रेलवे स्टेशनों पर मोदी जी के 3डी सेल्फी पॉइंट बनाकर करदाताओं के पैसे की पूरी तरह से बर्बादी. इससे पहले, सशस्त्र बलों को मोदी जी के कट-आउट के साथ 822 ऐसे सेल्फी पॉइंट स्थापित करने का आदेश देकर हमारे बहादुर सैनिकों के खून और बलिदान का राजनीतिक इस्तेमाल किया गया था.’ उन्होंने आगे जोड़ा, ‘मोदी सरकार ने राज्यों को सूखा और बाढ़ राहत नहीं दी है. विपक्ष शासित राज्यों की मनरेगा निधि भी लंबित है, लेकिन इसमें इन सस्ते चुनावी स्टंटों पर खुले हाथ से सार्वजनिक धन खर्च करने का दुस्साहस है!’ उल्लेखनीय है कि सितंबर में रेलवे बोर्ड ने 19 जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को स्टेशनों पर सेल्फी बूथ लगाने के लिए कहते हुए निर्देश दिया था कि इनमें केंद्र सरकार की स्किल इंडिया, उज्ज्वला योजना और चंद्रयान मिशन जैसी योजनाओं का जिक्र होना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर में तीन नागरिकों की मौत के बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सेना के अधिकारियों को हटाने से पुंछ में नागरिकों की मौत के मामले का समाधान नहीं होगा. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, उन्होंने इस बात की जांच की मांग की कि निर्दोष लोगों को इतना ‘प्रताड़ित’ क्यों किया गया कि उनकी जान चली गई. मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि आठ बेगुनाह नागरिकों को ले जाया गया और तीन को बेरहमी से पीटा गया और उनके घावों पर मिर्च पाउडर छिड़का गया. उनमें से तीन यातना सहन नहीं कर सके और उन्होंने दम तोड़ दिया. पांच अन्य अस्पताल में हैं. पीड़ितों में से एक का भाई पिछले 24 वर्षों से बीएसएफ में है…अब वह कहते हैं कि उन्हें देश के प्रति अपनी सेवाओं के बदले में भाई की मौत मिली है. अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘सेना प्रमुख ने उत्तरी कमांडर को यहां से देहरादून में अकादमी भेज दिया है लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं होगा. इसकी जांच होनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ?’ उन्होंने सवाल किया, अगर ऐसे निर्दोष लोग मारे जाते हैं जिनका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है तो हम किस भारत में रह रहे हैं. क्या यह महात्मा गांधी का भारत है जहां हम शांति से रह सकते हैं? नफरत इतनी फैल गई है कि हिंदू और मुस्लिम सोचते हैं कि वे एक-दूसरे के दुश्मन हैं. उन्होंने केंद्र सरकार के सूबे में आतंकवाद ख़त्म होने के दावे पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि वे झूठ बोल रहे हैं, आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि यह बढ़ रहा है. प्रशिक्षित लोग (आतंकवादी) आ रहे हैं और उन्हें पकड़ा नहीं जा रहा है. निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए दिए गए निमंत्रण को ठुकरा दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी द्वारा जारी बयान ने कहा गया है कि धर्म निजी राय है, इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं होना चाहिए. ज्ञात हो कि 22 जनवरी, 2024 को होने वाले समारोह से पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा द्वारा निमंत्रण दिया गया था. माकपा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और आरएसएस ने एक धार्मिक समारोह को सरकार प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया है, जिसमें सीधे तौर पर प्रधानमंत्री, यूपी के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी पदाधिकारी शामिल हैं. माकपा की नीति धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने और हर व्यक्ति की आस्था के अधिकार की रक्षा की रही है. इसका मानना है कि धर्म एक व्यक्तिगत पसंद का मसला है, जिसे राजनीतिक फायदे के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसलिए, हम समारोह में शामिल नहीं होंगे.’ इसमें यह भी कहा गया कि भारत में शासन का एक बुनियादी सिद्धांत, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया है, यह है कि संविधान के तहत भारत में सरकार की कोई धार्मिक संबद्धता नहीं होनी चाहिए. इस आयोजन में सत्तारूढ़ शासन द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि मंदिर ट्रस्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी निमंत्रण दिया हुआ है.

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में जवानों पर घात लगाकर किए गए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर उठाए गए लोगों में से एक ने बताया है कि उसे और हिरासत में लिए गए अन्य लोगों को कपड़े उतारकर पीटा गया और घावों पर मिर्च पाउडर लगाया गया, जब तक कि वे बेहोश नहीं हो गए. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में  राजौरी के अस्पताल में अन्य घायलों के साथ भर्ती 52 वर्षीय मोहम्मद अशरफ ने दावा किया कि उन्हें और चार अन्य लोगों को पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों ने उठा लिया था, जिसके बाद ‘उन्होंने हमारे कपड़े उतार दिए और हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटा, हमारे घावों पर मिर्च पाउडर छिड़का.’ अशरफ ने सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर शेयर किए गए एक वीडियो का जिक्र करते हुए बताया, ‘मैं ही वह व्यक्ति हूं, जो उस वायरल वीडियो में है, जिसमें सेना के जवान एक व्यक्ति को लोहे की छड़ों और लाठियों से पीट रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि सदमे के कारण वह पिछले शनिवार से सो नहीं पाए हैं. उन्होंने कहा, ‘जब आपके पूरे शरीर में तेज दर्द हो और आंखें बंद करते ही यातना का ख़याल दिलोदिमाग को सताने लगें तो कौन सो सकता है?’ इस बीच,सेना के जनसंपर्क अधिकारी ने राजौरी अस्पताल में भर्ती पांचों लोगों के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया है.

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले यूपी सरकार ने राज्यभर के जिला अधिकारियों को पूरे राज्य में राम, हनुमान और वाल्मिकी मंदिरों में राम कथा, रामायण पाठ और भजन-कीर्तन आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं. द वायर की एक रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के मुख्य सचिव ने राज्य के डीएम और कमिश्नरों को भेजे पत्र में कहा है कि वे पूरे राज्य में राम, हनुमान और वाल्मिकी मंदिरों में राम कथा, रामायण पाठ और भजन-कीर्तन आयोजित कराएं. ये सांस्कृतिक कार्यक्रम 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से हफ्ते भर पहले मकर संक्रांति के अवसर पर शुरू होंगे. बताया गया है कि इन आयोजनों के भुगतान की जिम्मेदारी जिला पर्यटन और संस्कृति परिषद पर होगी. पत्र में कहा गया है कि ऊपर से जारी एक आदेश जारी में जिला अधिकारियों को नौ दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करने के लिए कहा गया. इसमें यह भी कहा गया था कि नगरीय निकायों में स्थानीय भजन-कीर्तन मंडलियों को शामिल कर कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया जाए और शहरों में राम मंदिर रथ तथा कलश यात्राएं आयोजित की जाएं.