धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए, इसलिए राम मंदिर समारोह में शामिल नहीं होंगे: माकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और आरएसएस ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी पदाधिकारियों को शामिल करते हुए एक धार्मिक समारोह को सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया है.

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर. (फोटो साभार: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र)

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और आरएसएस ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी पदाधिकारियों को शामिल करते हुए एक धार्मिक समारोह को सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया है.

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर. (फोटो साभार: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र)

नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह मे शामिल होने के लिए दिए गए निमंत्रण को ठुकरा दिया है.

22 जनवरी, 2024 को होने वाले समारोह से पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा द्वारा निमंत्रण दिया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और आरएसएस ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी पदाधिकारियों को शामिल करते हुए एक धार्मिक समारोह को सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार पर आलोचकों द्वारा संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ जाने और राम मंदिर उद्घाटन को बहुसंख्यक शक्ति के प्रदर्शन के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है.

माकपा के बयान में कहा गया है, ‘माकपा महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी को अयोध्या में राम मंदिर के समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला है. माकपा की नीति धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने और प्रत्येक व्यक्ति के धार्मिक विश्वास के अधिकार की रक्षा करने की रही है. इसका मानना है कि धर्म एक व्यक्तिगत रुचि का विषय है, जिसे राजनीतिक फायदे के साधन में नहीं बदला जाना चाहिए. इसलिए हम समारोह में शामिल नहीं होंगे.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘भारत में शासन का एक बुनियादी सिद्धांत, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया है, यह है कि संविधान के तहत भारत में राज्य की कोई धार्मिक संबद्धता नहीं होनी चाहिए. कार्यक्रम के आयोजन में सत्तारूढ़ शासन द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है.’

मंदिर ट्रस्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी निमंत्रण दिया है.