मध्य प्रदेश: शिवराज सरकार का 360 करोड़ रुपये का भोपाल बस कॉरिडोर प्रोजेक्ट ख़त्म किया गया

भोपाल का बीआरटीएस कॉरिडोर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार की एक बहुप्रचारित परियोजना थी, जिसका निर्माण 2009-10 में मिसरोद से भोपाल में लाल घाटी तक किया गया था. मोहन यादव सरकार ने ट्रैफिक समस्याओं का हवाला देते हुए कॉरिडोर को चरणबद्ध तरीके से हटाने का आदेश दिया है.

(फोटो साभार: twitter)

भोपाल का बीआरटीएस कॉरिडोर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार की एक बहुप्रचारित परियोजना थी, जिसका निर्माण 2009-10 में मिसरोद से भोपाल में लाल घाटी तक किया गया था. मोहन यादव सरकार ने ट्रैफिक समस्याओं का हवाला देते हुए कॉरिडोर को चरणबद्ध तरीके से हटाने का आदेश दिया है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए 2009-10 में शुरू किए गए बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) को खत्म करने का आदेश दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस हफ्ते मंगलवार को राज्य सचिवालय में हुई बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने कैबिनेट सहयोगियों, जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बीआरटीएस से होने वाली ट्रैफिक समस्याओं पर चर्चा की और कॉरिडोर को खत्म करने का निर्णय लिया.

यादव ने कहा, ‘भोपाल जिले के निर्वाचित प्रतिनिधियों की राय थी कि बीआरटीएस हटाने से स्थानीय परिवहन अधिक सुविधाजनक हो जाएगा.’

ज्ञात हो कि बीआरटीएस कॉरिडोर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार की एक बहुप्रचारित परियोजना थी, जिसका निर्माण 2009-10 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत 360 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मिसरोद से भोपाल में लाल घाटी तक किया गया था.

अब सरकारी आदेश में कहा गया है कि 24 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा.

मालूम हो कि बीआरटीएस मूल रूप से सार्वजनिक बसों के लिए बनाया गया कॉरिडोर है, जिसे चौड़ी सड़कों के बीचों-बीच बनाया जाता है, जहां केवल बसों के निकलने की ही अनुमति होती है.

ईटीवी के अनुसार, भोपाल में बीआरटीएस कॉरिडोर को लेकर इसके शुरू होने के समय से ही सवाल उठते रहे थे, जहां बीआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण के दौरान हुई कई दुर्घटनाओं में दर्जनों लोगों की जान गई थी.

बताया गया है कि बीते 13 सालों में बीआरटीएस की मरम्मत पर 450 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जहां साल 2021-22 में इसकी मरम्मत के लिए 26.33 करोड़ रुपये दिए गए थे.

नेताओं ने निर्माण पर ही उठाए सवाल

इस फैसले के बाद विपक्षी नेताओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्विटर (अब एक्स) पर लिखा, ‘बधाई हो सीएम मोहन यादव एक बहुत प्रतीक्षित निर्णय के लिए. बस एक समयबद्ध जांच की जरूरत है. किन नौकरशाह के शौक ने यह जन असुविधा रची और किसको फायदा पहुंचाने के लिए किया. करोड़ों के पब्लिक फंड्स का दुरुपयोग. उम्मीद है कि आप जांच के आदेश जरूर देगें’

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘… . यह कहानी इंदौर में भी रची गई. जन असुविधा के लिए मध्य प्रदेश के नौकरशाह जिम्मेदार हैं. यह एक प्रकार से जन पाप था.’

भाजपा नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी बीआरटीएस हटाने के निर्णय की तारीफ की, साथ ही सवाल भी उठाया. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार के द्वारा बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का फैसला व्यवहारिक एवं प्रशंसनीय है. ये बनाए ही क्यों गए इसकी जांच होनी चाहिए. क्योंकि ऐसी गलतियां सरकार का सैकड़ों करोड़ों का नाश लगा देती हैं.