ललन सिंह के इस्तीफ़े के बाद नीतीश कुमार के फिर जदयू अध्यक्ष बनने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के अध्यक्ष बनाए गए हैं. एनडीटीवी के अनुसार, निवर्तमान अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफे की अटकलें कई दिनों से थीं, जिसके बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी प्रमुख के पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा. वरिष्ठ जदयू नेता केसी त्यागी ने बताया कि नीतीश कुमार पर सभी की सहमति बनने के बाद यह फैसला लिया गया. त्यागी ने यह भी जोड़ा कि पार्टी में कोई झगड़ा नहीं हुआ है न ही पार्टी टूटी है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के साथ सीटों के तालमेल और अन्य फैसलों की जिम्मेदारी भी नीतीश कुमार को सौंपी गई है.

झारखंड सरकार ने राज्य के आदिवासियों और दलितों के लिए वृद्धावस्था पेंशन के लिए योग्यता आयु 60 साल से घटाकर 50 साल कर दी है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनकी सरकार के चार साल पूरे होने के मौके पर शुक्रवार को यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि साल 2000 में झारखंड के गठन के बाद 20 वर्षों में केवल 16 लाख लोगों को पेंशन लाभ मिला, लेकिन उनकी सरकार ने 36 लाख लोगों को पेंशन दी- ज्यादातर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को. सोरेन ने यह भी जोड़ा कि उनकी सरकार ने आदिवासियों और दलितों को 50 साल की उम्र होने पर पेंशन का लाभ देने का फैसला इसलिए किया है कि इनमें मृत्यु दर अधिक है और 60 वर्ष के बाद इन्हें नौकरी नहीं मिलती.

असम में सक्रिय यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने असम और केंद्र सरकार के साथ शांति समझौते पर दस्तखत किए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शुक्रवार को उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. उल्फा समर्थक वार्ता गुट का प्रतिनिधित्व इसके अध्यक्ष अरबिंदा राजखोवा के नेतृत्व वाले 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने किया. इस दौरान असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा भी मौजूद थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे असम के लोगों के लिए ‘सुनहरा दिन’ बताते हुए कहा कि राज्य लंबे समय तक उल्फा की हिंसा से पीड़ित रहा है और 1979 से अब तक लगभग 10,000 लोगों की जान जा चुकी है. उन्होंने जोड़ा कि लंबे समय तक असम और पूरे उत्तर-पूर्व ने हिंसा झेली है. भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच जो समझौता हुआ है, इससे असम के सभी हथियारी गुटों की बात को यहीं समाप्त करने में हमें सफलता मिल गई है. 1979 में परेश बरुआ, अरबिंद राजखोवा और अनूप चेतिया द्वारा गठित उल्फा का इरादा असम को एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य बनाने का था. हालांकि, कई हिंसक घटनाओं में भागीदारी के बाद भारत सरकार ने इसे उग्रवादी संगठन घोषित कर दिया था.

कर्नाटक के शिवमोगा जिले के एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर को छात्रों द्वारा शौचालय साफ करवाने के चलते निलंबित कर दिया गया. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह घटना जिले के भद्रावती तालुक के नेरालेकेरे गांव में घटी. मामले से वाक़िफ अधिकारियों ने बताया कि घटना का एक वीडियो ऑनलाइन साझा किए जाने के बाद इसके बारे में मालूम चला था. इसमें कथित तौर पर हेडमास्टर शंकरप्पा अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर गांव के एक सरकारी स्कूल में छात्रों को उनके हाथों से शौचालय साफ करने के लिए मजबूर कर रहे थे. पब्लिक इंस्ट्रक्शंस के डिप्टी डायरेक्टर सीआर परमेश्वरप्पा ने कहा, ‘मैंने वीडियो देखा है, जिसमें 10-12 साल के विद्यार्थियों से शौचालय साफ कराया गया. भद्रावती ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर हेडमास्टर को निलंबित करने का आदेश दिया गया है और विभागीय जांच शुरू की है. इस बारे में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.’ उधर, निलंबित हेडमास्टर का कहना है कि उन्होंने ‘समाज सेवा’ के तौर पर छात्रों से शौचालय साफ कराया था और कोई भेदभाव नहीं किया.

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा है कि वह केंद्र सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ अगले महीने से अभियान शुरू करेगा. एनडीटीवी के मुताबिक, एसकेएम ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि देशभर के 20 राज्यों में इसकी राज्य इकाइयां 10-20 जनवरी तक घर-घर जाकर और पर्चा वितरण के माध्यम से ‘जन जागरण’ अभियान चलाएंगी. इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की ‘कॉरपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को उजागर करना’ है. इसके साथ ही वह देशभर के लगभग 500 जिलों में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड आयोजित करेगा. इसने जोड़ा कि दिल्ली में औपचारिक परेड के समापन के बाद ट्रैक्टर परेड आयोजित की जाएगी. एसकेएम के अनुसार, ये अभियान और विरोध प्रदर्शन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशों को लागू करना, कर्ज माफी, बिजली के निजीकरण को रोकना, किसानों के लखीमपुर खीरी नरसंहार में उनकी कथित भूमिका के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ की बर्खास्तगी और मुकदमे जैसी मांगों पर आधारित होंगे. बयान में कहा गया है कि जब तक केंद्र सरकार सभी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक संघर्ष तेज किया जाएगा.