2023 में 177 बाघों की मौत हुई, सबसे अधिक 45 मौतें महाराष्ट्र में दर्ज की गईं: पर्यावरण मंत्रालय

पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में कुल मौतों में से 40 प्रतिशत शावकों और किशोर बाघों की हुई हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस साल बाघों की मौत की उच्च दर का उल्लेख होने के बाद मंत्रालय ने ये आंकड़े जारी किए हैं. महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में 40, उत्तराखंड में 20, तमिलनाडु में 15 और केरल में 14 बाघों की मौत हुई हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में कुल मौतों में से 40 प्रतिशत शावकों और किशोर बाघों की हुई हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस साल बाघों की मौत की उच्च दर का उल्लेख होने के बाद मंत्रालय ने ये आंकड़े जारी किए हैं. महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में 40, उत्तराखंड में 20, तमिलनाडु में 15 और केरल में 14 बाघों की मौत हुई हैं.

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नई दिल्ली: साल 2023 में देश में 177 बाघों की मौत हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा 45 बाघों की मौत महाराष्ट्र में दर्ज की गई है. यह जानकारी पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में सामने आई है.

पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में 40 प्रतिशत मौतें शावकों और किशोर बाघों की हुई हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इस साल बाघों की मौत की उच्च दर का उल्लेख होने के बाद मंत्रालय ने ये आंकड़े जारी किए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा, ‘25 दिसंबर, 2023 तक देश में 177 बाघों की मौत हुई है, न कि 202 की, जैसा कि गलत तरीके से मीडिया में बताया गया है. यह मुख्य रूप से उन राज्यों में है, जहां बाघों की अच्छी आबादी है और उनके आवास उनकी वहन क्षमता पर काम कर रहे हैं.’

मंत्रालय ने कहा, ‘महाराष्ट्र में सबसे अधिक 45 मौतें दर्ज की गई हैं, इसके बाद मध्य प्रदेश में 40, उत्तराखंड में 20, तमिलनाडु में 15 और केरल में 14 मौतें हुई हैं. इसके अलावा इनमें से 54 फीसदी मौतें टाइगर रिजर्व के बाहर हुई हैं.’

भारत अब दुनिया के 70 प्रतिशत से अधिक जंगली बाघों का घर है. देश में कम से कम 3,167 बाघ हैं.

मंत्रालय ने कहा कि भारत में जंगली बाघ प्रति वर्ष 6 प्रतिशत की स्वस्थ दर से बढ़ रहे हैं, जो विभिन्न प्राकृतिक कारणों से बाघों की हानि को संतुलित करता है और निवास स्थान की वहन क्षमता के अनुसार बाघों की आबादी को बनाए रखता है.

मंत्रालय ने कहा, ‘जंगल में एक बाघ की औसत आयु लगभग 10-12 वर्ष है. 2023 में बाघों की मृत्यु का 40 प्रतिशत शावक और किशोर बाघों से बना है, जो ऐसा आयु वर्ग है जिनमें बाघ इलाके की अधिकार की गतिशीलता (land tenurial dynamic) के कारण स्वाभाविक रूप से उच्च मृत्यु दर है.’

देश में बाघ अभयारण्यों की कुल संख्या 54 है, जिसका क्षेत्रफल 78,000 वर्ग किमी से अधिक है और यह भारत के भौगोलिक क्षेत्र के 2.30 प्रतिशत से अधिक को कवर करता है. इस वर्ष एक नया बाघ अभयारण्य ‘रानी दुर्गावती’ शुरू किया गया.