तेलंगाना सरकार ने कालेश्वरम सिंचाई परियोजना में ख़ामियों की न्यायिक जांच के आदेश दिए

एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को खंभे डूबने और पानी के रिसाव समेत भारी नुकसान हुआ है. तेलंगाना सरकार का अनुमान परियोजना के कारण राज्य पर प्रति वर्ष 15,000 करोड़ रुपये के वित्तीय बोझ बढ़ने का है, जिसमें 10,000 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को खंभे डूबने और पानी के रिसाव समेत भारी नुकसान हुआ है. तेलंगाना सरकार का अनुमान परियोजना के कारण राज्य पर प्रति वर्ष 15,000 करोड़ रुपये के वित्तीय बोझ बढ़ने का है, जिसमें 10,000 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: तेलंगाना सरकार ने गोदावरी नदी पर कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना में कथित इंजीनियरिंग खामियों की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एक लाख करोड़ की लागत वाली इस परियोजना को खंभे डूबने और रिसाव समेत भारी नुकसान हुआ है. सरकार का अनुमान परियोजना के कारण राज्य पर प्रति वर्ष 15,000 करोड़ रुपये के वित्तीय बोझ बढ़ने का है, जिसमें 10,000 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं.

एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने एक बैराज को उसकी वर्तमान स्थिति में ‘पूरी तरह से बेकार’ घोषित कर दिया है. सरकार की योजना जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने की है.

तेलंगाना सरकार ने बीते शुक्रवार (29 दिसंबर) को कहा कि उसने गोदावरी नदी पर कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के निर्माण और संचालन में कथित इंजीनियरिंग खामियों की हाईकोर्ट के मौजूदा जज के नेतृत्व में न्यायिक जांच के लिए कदम उठाए हैं.

यह घोषणा तब हुई जब राज्य के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी की अध्यक्षता में शीर्ष इंजीनियरों और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों वाले एक मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने एक लाख करोड़ वाली परियोजना के स्थल का दौरा कर एक बैराज के खंभों के डूबने से हुए नुकसान का निरीक्षण किया था.

पत्रकारों से बात करते हुए रेड्डी ने कहा कि सरकार 2019 में बनी परियोजना में कथित इंजीनियरिंग खामियों को लेकर बहुत चिंतित है.

उन्होंने कहा, ‘कारण चाहे जो भी रहा हो, मेडीगड्डा बैराज के खंभों की नींव डूब गई है, अन्नाराम में रिसाव और दरारें पैदा हो गई हैं, और सुंडीला को भी नुकसान हुआ है. इनकी जांच और मरम्मत कार्य होंगे. इससे परियोजना कुछ समय के लिए गैर-परिचालन या कम परिचालन वाली हो जाएगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कालेश्वरम परियोजना के कारण तेलंगाना पर वित्तीय बोझ प्रति वर्ष 15,000 करोड़ रुपये होगा. सिंचाई विभाग के पास पहले से ही लगभग 10,000 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं.’

मेडिगड्डा बैराज के 86 खंभों में से छह के डूबने – 15वें से 20वें तक – और बैराज के छठे, 7वें और 8वें ब्लॉकों पर दरवाजों के कमजोर होने की आशंका 21 अक्टूबर को प्रकाश में आई थी, जिससे सिंचाई अधिकारियों को जलाशय खाली करना पड़ा और बैराज के ऊपर बनी सड़क पर यातायात पर रोक लगा दी गई.

पिछले महीने मेडीगड्डा बैराज के क्षतिग्रस्त हिस्सों का निरीक्षण करने के लिए राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण द्वारा गठित एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने बैराज को वर्तमान स्थिति में ‘पूरी तरह से बेकार’ घोषित कर दिया था.

रेड्डी ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि इतनी महत्वपूर्ण परियोजना निर्माण के कुछ ही वर्षों के भीतर ध्वस्त हो गई.

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने परियोजना में खामियों की हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच के लिए कदम उठाए हैं. आगे की कार्रवाई के लिए निष्कर्ष मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को सौंपे जाएंगे. नुकसान के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.’

मंत्री ने यह भी कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने कालेश्वरम के अपस्ट्रीम तुम्मिडी हट्टी गांव में परियोजना के निर्माण की योजना बनाई थी, जिसे शुरू में प्राणहिता चेवेल्ला परियोजना नाम दिया गया था, लेकिन (के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली) पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार ने ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बिना स्थान बदलकर इसे फिर से डिजाइन किया था’.