लीजेंड एयरलाइंस नामक रोमानियाई कंपनी के विमान ने बीते 22 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात से मध्य अमेरिका के निकारागुआ के लिए उड़ान भरी थी. विमान को फ्रांस के हवाई अड्डे पर संभावित ‘मानव तस्करी’ की एक गुमनाम सूचना मिलने के बाद रोक दिया गया था. चार दिनों के बाद 276 यात्रियों के साथ विमान बीते 26 दिसंबर को मुंबई भेज दिया गया था.
नई दिल्ली: पंजाब पुलिस ने रोमानिया की लीजेंड एयरलाइंस द्वारा संचालित विमान – जो मूल रूप से निकारागुआ के लिए रवाना हुआ था, लेकिन फ्रांस में हिरासत में ले लिया गया था – में भारतीय यात्रियों से संबंधित एक संदिग्ध मानव तस्करी मामले की जांच के लिए शनिवार (30 दिसंबर) को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. हालांकि यात्री अब भारत लौट आए हैं, लेकिन अभी तक कोई भी पीड़ित मामला दर्ज कराने के लिए सामने नहीं आया है.
द हिंदू के मुताबिक, पुलिस सूत्रों ने कहा कि अवैध या अनियमित प्रवास के मामलों मे पीड़ित आमतौर पर शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं, क्योंकि वह अक्सर प्रवास के लिए तथाकथित ‘डंकी रूट’ (अवैध रूप से विदेश जाने के लिए इस्तेमाल किया जान वाला रास्ता) का विकल्प चुनते है और इस प्रक्रिया के जोखिमों के बारे में जानते हैं.
सूत्रों ने आगे कहा, वास्तव में पीड़ित अक्सर अवैध प्रवास को बढ़ावा देने के आरोपी एजेंटों के साथ समझौता कर लेते हैं और मुकर जाते हैं या अदालत में एफआईआर को रद्द कर देते हैं. पुलिस सूत्रों ने कहा कि भारत के बाहर के एजेंटों का पता लगाना भी मुश्किल होता है.
लीजेंड एयरलाइंस नामक रोमानियाई कंपनी के विमान चार्टर्ड ए-340 एयरबस ने 22 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के फुजैराह से मध्य अमेरिका के निकारागुआ के लिए उड़ान भरी थी. विमान को फ्रांस के वैट्री हवाई अड्डे पर तकनीकी कारणों से रोका गया था, लेकिन स्थानीय फ्रांसीसी प्रशासन को संभावित ‘मानव तस्करी’ के बारे में एक गुमनाम सूचना मिलने के बाद विमान को आगे की यात्रा करने से वहीं रोक दिया गया था.
वैट्री हवाई अड्डे पर चार दिनों तक रोके जाने के बाद 276 यात्रियों के साथ विमान 26 दिसंबर को मुंबई भेजा गया. जहां 25 यात्रियों ने फ्रांस में शरण पाने के लिए आवेदन करने का विकल्प चुना, वहीं दो यात्रियों को फ्रांसीसी जांच में सहायक गवाह बनाया गया.
Maharashtra | Visuals of the passengers who arrived in Mumbai today, after the plane they were travelling in was grounded in France for four days over suspected human trafficking pic.twitter.com/IKOKiJUeYN
— ANI (@ANI) December 26, 2023
यात्रियों के नामों के प्रारंभिक विश्लेषण के बाद पुलिस को संदेह है कि उड़ान में सवार लगभग आधे लोग पंजाब-हरियाणा क्षेत्र के हो सकते हैं. ‘मानव तस्करी’ मामले की गहराई से जांच करने के लिए जांच ब्यूरो के निदेशक एलके यादव ने चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है, जो अपनी अंतिम रिपोर्ट सक्षम अदालत को सौंपेगी.
द हिंदू के मुताबिक, मामले की सीधी जानकारी रखने वाले एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि राज्य पुलिस केंद्रीय एजेंसियों और अन्य राज्यों की एजेंसियों के साथ भी संपर्क में है. अधिकारी ने कहा कि यात्रियों के मध्य अमेरिका स्थित निकारागुआ जाने ने संदेह पैदा किया है कि वे अवैध रूप से मेक्सिको और फिर वहां से अमेरिका या कनाडा में प्रवेश करने के लिए ‘डंकी रूट’ का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे होंगे.
अमेरिकी सरकार ने निकारागुआ को मानव तस्करी को खत्म करने के लिए न्यूनतम मानकों को पूरा करने में विफल रहने वाले कई देशों में से एक के रूप में नामित किया है. हालांकि, लीजेंड एयरलाइंस के वकील अवैध प्रवेश के दावों का खंडन करते हैं और कहते हैं कि अधिकांश यात्रियों के पास निकारागुआ के लिए वैध वीजा और वापसी टिकट थे.
द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर जीवन की आशा में बड़ी संख्या में भारतीय, विशेषकर पंजाब के युवा विदेश जाते हैं. पंजाब पुलिस द्वारा पिछले एक दशक में जारी किए गए पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) की संख्या इस प्रवृत्ति को दर्शाती है, जो 2012 के बाद से 10 लाख से अधिक जारी किए गए हैं.
पीसीसी पासपोर्ट धारकों को उस स्थिति में जारी किया जाता है, जब उन्होंने आवासीय स्थिति, रोजगार, या दीर्घकालिक वीजा, या विदेश में बसने के लिए आवेदन किया हो.
जैसे-जैसे कानूनी प्रवासन बढ़ रहा है, अवैध या अनियमित प्रवासन की घटनाएं भी काफी हद तक बढ़ गई हैं. हालांकि, सार्वजनिक डोमेन में इस पर बहुत कम प्रामाणिक डेटा उपलब्ध है. ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने 2009 में एक रिपोर्ट में कहा था, ‘हर साल पंजाब से 20,000 से अधिक युवा अवैध प्रवासन का प्रयास करते हैं.’
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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस विमान में सवार 276 यात्रियों में से 65 गुजराती थे. विमान के मुंबई आने के बाद गुजरात के 21 यात्री बीते 27 दिसंबर को राज्य लौट आए थे.
गुजरात अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने बीते 29 दिसंबर तक लीजेंड एयरलाइंस की निकारागुआ जाने वाली उड़ान के 21 यात्रियों के बयान दर्ज किए थे. इनमें से कई यह बताने में असमर्थ थे कि वे इस विमान में क्यों चढ़े, जिसमें ज्यादातर ‘अकेले व्यक्ति और अकेले नाबालिग’ थे.
अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा था कि यात्रियों ने कम से कम दो स्थानीय एजेंटों का नाम लिया है, जिन्होंने उन्हें मेक्सिको के रास्ते अमेरिका ले जाने के लिए प्रति व्यक्ति 50 लाख रुपये और उससे अधिक शुल्क लिया होगा. उन्हें यह भी पता चला कि समूह के कुछ गुजराती पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात में छोटी नौकरियां कर रहे थे, जहां से वे उड़ान में सवार हुए थे.
अधिकारी ने कहा कि 21 यात्रियों में से कुछ ने स्थानीय एजेंटों के नाम बताए हैं, जो उन ऑपरेटरों के साथ संपर्क में थे, जो डंकी उड़ानों को अंजाम देते थे और मेक्सिको सीमाओं से घुसपैठ का समन्वय करते थे. इसमें कई एजेंट शामिल थे, सभी यात्रियों को इनके बारे में सीधे तौर पर नहीं पता था.
15 दिसंबर के बाद से सीआईडी ने गुजरातियों को विदेशी गंतव्यों, विशेष रूप से अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में अवैध प्रवास की सुविधा प्रदान करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अहमदाबाद और गांधीनगर क्षेत्रों में केस दर्ज करने के बाद 15 आव्रजन एजेंटों में से कम से कम आठ को गिरफ्तार किया है.