उत्तराखंड के चंपावत ज़िले का मामला. पुलिस ने कहा कि नाबालिग की मां की शिकायत के अनुसार, भाजपा से निष्कासित नेता कमल रावत ने उनकी 16 वर्षीय बेटी का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया और उसे यह अपराध न बताने के लिए धमकी भी दी थी. भाजपा के चंपावत ज़िलाध्यक्ष ने कहा कि रावत को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
नई दिल्ली: भाजपा से निष्कासित कमल रावत को उत्तराखंड के चंपावत की एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में बीते रविवार (31 दिसंबर) को गिरफ्तार किया गया.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी योगेश उपाध्याय ने कहा कि रावत को देर शाम चंपावत से गिरफ्तार किया गया और उन्हें सोमवार को अदालत में पेश किया जाएगा.
मामले को लेकर कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार का पुतला फूंका.
पुलिस ने रावत के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि नाबालिग लड़की की मां की शिकायत के आधार पर रावत के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था. उन पर धारा 363 (अपहरण), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला), 376 (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.
शिकायतकर्ता के अनुसार, रावत ने उसकी 16 वर्षीय बेटी का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया और उसे अपना अपराध न बताने के लिए धमकी भी दी.
शनिवार (30 दिसंबर) को नाबालिग लड़की की मेडिकल जांच हुई, लेकिन कोर्ट में उसका बयान दर्ज नहीं हो सका.
भाजपा के चंपावत जिला अध्यक्ष निर्मल मेहरा ने कहा कि रावत को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
इससे पहले कांग्रेस की राज्य इकाई ने सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला करते हुए कहा था कि उत्तराखंड में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और अपराध के कई मामलों में कई भाजपा नेताओं पर मामला दर्ज किया गया है.
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘पहले ऋषिकेश में महिला रिसेप्शनिस्ट की भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य ने हत्या कर दी, अब चंपावत में भाजपा मंडल अध्यक्ष पर नाबालिग से बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है.’
उन्होंने यह भी दावा किया था कि पुलिस ने कामत के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के कुछ घंटे बाद पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की.
उन्होंने कहा, ‘यह पता चला है कि पुलिस शुरू में मामला दर्ज करने में अनिच्छुक थी और आठ घंटे की देरी के बाद एफआईआर दर्ज की. राज्य पुलिस स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ दल के दबाव में काम कर रही है.’