द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने धर्मनिरपेक्षता को भारत के लोकतंत्र का मूलभूत स्तंभ बताते हुए एक आलेख में कहा कि सेकुलर शब्द को सत्तासीन लोगों द्वारा ‘अपमानजनक’ माना जाने लगा है, जिसके चलते समाज में ध्रुवीकरण बढ़ रहा है. द हिंदू के मुताबिक, मनोरमा ईयरबुक 2024 में उनके द्वारा हस्ताक्षिरत आलेख में कहा गया है, ‘वे कहते हैं कि वे लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं, पर वे खुद ही इसके भली तरह से चलने के लिए बनाए गए सुरक्षा उपायों को कमजोर करते हैं. देश को सद्भाव की ओर ले जाने वाले रास्ते को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और इसके नतीजे दिख रहे हैं, जहां समाज में ध्रुवीकरण बढ़ रहा है.’ उन्होंने यह भी कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता आपस में गहरे से जुड़े हुए हैं- रेल की दो पटरियों की तरह, जो सरकार को एक सामंजस्यपूर्ण समाज के आदर्श की ओर ले जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ‘विविधता हमारी एकता और एकजुटता को मजबूत करती है जब ऐसा समझा जाता है क्योंकि वास्तव में यही हमारे संविधान में निहित है, जिस पर अब हमला हो रहा है.’
नए हिट एंड रन कानून को लेकर ट्रक एसोसिएशनों की हड़ताल के दूसरे दिन- मंगलवार को पश्चिमी और उत्तरी भारत के लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों में ईंधन स्टॉक खत्म हो गया. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, उद्योग से जुड़े कर्मचारियों ने बताया कि जहां सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों ने ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल की आशंका में देशभर के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर टैंक भर दिए थे, वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब के कुछ पेट्रोल पंपों पर भारी भीड़ के कारण स्टॉक खत्म हो गया. इन राज्यों में स्टॉक खत्म होने की आशंका के चलते कई पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखी गईं. हालांकि, बताया गया है कि ट्रक ऑपरेटरों के संगठन- ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने अब तक देशव्यापी हड़ताल का आह्वान नहीं किया है. लेकिन अगर हड़ताल को बढ़ाया गया या अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन का आह्वान हुआ तो परेशानी होगी. अख़बार के मुताबिक, लगभग 1 लाख ट्रक ऐसे हैं जो तेल कंपनी डिपो से पेट्रोल पंप और गैस वितरण एजेंसियों तक पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ एलपीजी भी पहुंचाते हैं. कर्मचारियों के अनुसार, हड़ताल से कुछ पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में पेट्रोल-डीजल ट्रकों की आवाजाही प्रभावित हुई है, साथ ही कुछ एलपीजी ट्रकों का आवागमन भी प्रभावित है.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा का कहना है कि उनके पास ‘पुख्ता जानकारी’ है कि केंद्र ने ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग को राम मंदिर के समारोह तक भाजपा विरोधी नेताओं के खिलाफ ‘हाइपरएक्टिव’ रहने को कहा है. एनडीटीवी के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगले तीन हफ़्ते मतलब 22 जनवरी तक में जांच एजेंसी- सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स उन सभी नेताओं जो भाजपा के विरोध में हैं, जिसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ बड़ी कारवाई कर सकते हैं. उन्होंने जोड़ा कि छापेमारी और संभावित रूप से गिरफ़्तारी का यह दौर लोकसभा चुनाव तक चल सकता हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘इस दौरान मामले निकाले जाएंगे. एक एजेंसी दूसरी एजेंसी को फाइल देगी, किसी भी तरह से इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश होगी. भाजपा राजनीतिक तरह से नहीं लड़ना चाहती, ये लड़ भी नहीं सकते हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सभी को चार महीने तक उलझाने की कोशिश है, जनवरी से अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक ये चलेगा. आपको छापेमारी की खबरें दी जाएंगी. लेकिन अप्रैल के बाद आपको कोई खबर नहीं मिलेगी.
बीते आठ महीनों से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर के थौबल में ताज़ा हिंसा में चार लोगों की हत्या के बाद घाटी के 4 ज़िलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, घाटी क्षेत्र में स्थित थौबल ज़िले के लिलोंग इलाके में 1 जनवरी को हुई हिंसा में अज्ञात बंदूकधारियों छद्मवेश में पहुंचे और स्थानीय लोगों को निशाना बनाते हुए गोलीबारी शुरू कर दी थी. हमले के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने कुछ गाड़ियों में आग लगा दी. हालांकि, घटना के बारे में ज्यादा विवरण नहीं है, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक वीडियो बयान में आश्वासन दिया कि दोषियों का पता लगाया जाएगा. घटना के बाद राज्य सरकार ने थौबल, इंफाल पूर्व, काकचिंग और बिष्णुपुर ज़िलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया है. बताया गया है कि गोलीबारी में 14 घायल हो गए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है. उनका इलाज फिलहाल इंफाल के एक अस्पताल में चल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक ट्रांसजेंडर महिला की याचिका पर केंद्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात सरकारों से राज्यों से जवाब मांगा, जिन्होंने दोनों राज्यों के दो निजी स्कूलों पर उनकी जेंडर आइडेंटिटी (लैंगिक पहचान) जाहिर होने के बाद उसे बर्खास्त किए जाने का आरोप लगाया था. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 31 वर्षीय याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्हें उनकी लैंगिक पहचान को लेकर पहली बार दिसंबर 2022 में यूपी के लखीमपुर खीरी के एक निजी स्कूल ने निकाल दिया था और जुलाई 2023 में गुजरात में एक और स्कूल ने उन्हें काम पर आने से मना कर दिया. अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए उन्होंने संरचनात्मक भेदभाव और उत्पीड़न पर दुख जताया गया और कहा कि दोनों स्कूलों के कृत्य उनके समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन और लिंग के आधार पर भेदभाव हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपनी बहाली की मांग करते हुए केंद्र सरकार से उचित दिशानिर्देश मांगे गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी अन्य ट्रांसजेंडर को उन कठिनाइयों का सामना न करना पड़े जिनसे वह गुजर रही हैं.
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने बताया है कि इसे साल 2023 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की 28,811 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 55% से अधिक यूपी से थीं. द हिंदू के मुताबिक, एनसीडब्ल्यू के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 16,109 शिकायतें दर्ज की गईं, जिसके बाद दिल्ली को 2,411, महाराष्ट्र को 1,343 शिकायतें मिलीं. सबसे ज़्यादा शिकायतें गरिमा के अधिकार श्रेणी में प्राप्त हुईं, जिसमें घरेलू हिंसा के अलावा अन्य उत्पीड़न शामिल हैं. इनकी संख्या 8,540 थी.आयोग को दहेज उत्पीड़न की 4,797, छेड़छाड़ की 2,349, महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता की 1,618 और बलात्कार तथा बलात्कार के प्रयास की 1,537 शिकायतें मिलीं. इनके अलावा यौन उत्पीड़न की 805, साइबर अपराध की 605, पीछा करने की 472 और सम्मान अपराध की 409 शिकायतें भी प्राप्त हुई थीं.