सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जाति सर्वेक्षण डेटा का विवरण सार्वजनिक करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को इसके जाति सर्वेक्षण डेटा का विवरण सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा ऐसा इसलिए किया गया ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें. 

(फोटो साभार: Wikimedia Commons)

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को इसके जाति सर्वेक्षण डेटा का विवरण सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा ऐसा इसलिए किया गया ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें.

(फोटो साभार: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को अपने जाति सर्वेक्षण डेटा का विवरण सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है ताकि असंतुष्ट लोग निष्कर्षों को चुनौती दे सकें.

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने अंतरिम राहत के लिए याचिकाकर्ताओं की याचिका को अस्वीकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं ने सर्वेक्षण और पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसने इस तरह की कवायद करने के बिहार सरकार के कदम को बरकरार रखा था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पीठ ने कहा, ‘अंतरिम राहत का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उनके (सरकार के) पक्ष में उच्च न्यायालय का आदेश है. अब जब डेटा सार्वजनिक मंच पर डाल दिया गया है, तो दो-तीन पहलू बचे हैं. पहला कानूनी मुद्दा है – हाईकोर्ट के फैसले का औचित्य और इस तरह की कवायद की वैधता के बारे में.’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने अदालत के ध्यान में लाया कि अधिकारियों ने पहले ही सर्वेक्षण निष्कर्षों को लागू करना शुरू कर दिया है क्योंकि डेटा पहले ही सामने आ चुका है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण को मौजूदा 50% से बढ़ाकर कुल 75% कर दिया है.

इस पर अदालत ने कहा कि आरक्षण में वृद्धि के मामले को पटना उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जानी चाहिए. पूरे मामले की विस्तार से सुनवाई की जरूरत है.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब में कहा कि वे आरक्षण में वृद्धि को चुनौती देते हुए पहले ही उच्च न्यायालय जा चुके हैं.

इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए रामचंद्रन ने कहा कि चूंकि राज्य सरकार पहले से ही डेटा पर कार्रवाई कर रही है, इसलिए मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाना चाहिए ताकि याचिकाकर्ता अंतरिम राहत के लिए बहस कर सकें.

पीठ ने जवाब में कहा, ‘कैसी अंतरिम राहत? उनके (बिहार सरकार के) पक्ष में उच्च न्यायालय का फैसला है.’

इसी बीच, बिहार सरकार के वकील श्याम दीवान ने अदालत को बताया कि डेटा, ब्रेक-अप सहित सार्वजनिक मंच में उपलब्ध है और कोई भी इसे निर्दिष्ट वेबसाइट पर देख सकता है.

इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘मैं डेटा के ब्रेक-अप की उपलब्धता के बारे में अधिक चिंतित हूं. सरकार किस हद तक डेटा रोक सकती है? आप देखिए, डेटा का संपूर्ण विवरण सार्वजनिक मंच में होना चाहिए ताकि कोई भी इससे निकाले गए निष्कर्ष को चुनौती दे सके. जब तक यह सार्वजनिक मंच में न हो, वे इसे चुनौती नहीं दे सकते.’

राज्य में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीतीश कुमार सरकार पर जाति सर्वेक्षण कराने में अनियमितताओं का आरोप लगाती रही है और एकत्र किए गए आंकड़ों को ‘फर्जी’ बताती रही है.

इसके बाद पीठ ने दीवान को जाति सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा और मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को तय की.

ज्ञात हो कि बिहार सरकार ने बीते 2 अक्टूबर को जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए थे, जिसके अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) सबसे बड़ा हिस्सा (36%) है. आंकड़ों के अनुसार, बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी है, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq