हिट एंड रन मामलों में एक नए दंड प्रावधान के ख़िलाफ़ ट्रक ड्राइवरों के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारतीय न्याय संहिता के तहत ऐसे मामलों में कड़े प्रावधानों को लागू करने का निर्णय अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा.
नई दिल्ली: हिट एंड रन मामलों में एक नए दंड प्रावधान के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के राष्ट्रव्यापी विरोध के कारण कई राज्यों में ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की घबराहट भरी खरीदारी शुरू होने के बीच केंद्र ने मंगलवार को ट्रांसपोर्टरों को आश्वासन दिया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत ऐसे मामलों में कड़े प्रावधानों को लागू करने का निर्णय अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की ट्रांसपोर्टरों के साथ हुई बैठक में गृह मंत्रालय (एमएचए) के आश्वासन के बाद एआईएमटीसी सदस्य अमरीक सिंह ने मंगलवार शाम को कहा कि उनकी यूनियन द्वारा हड़ताल का कोई आह्वान नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘ड्राइवर नए प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं. बैठक के बाद मामला सुलझ गया है.’
उल्लेखनीय है कि देशभर में ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन पिछले दो दिनों से नए कोड के प्रावधानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके अनुसार कोई भी ड्राइवर जो तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है और मौके से भाग जाता है, उसे 10 साल तक की जेल या जुर्माना होगी.
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में हिट एंड रन मामलों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं था और लापरवाही के कारण मौत की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती थी, जिसमें अधिकतम दो साल की जेल की सजा होती थी.
एआईएमटीसी के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद जहां ट्रांसपोर्टरों ने कड़े प्रावधानों को रद्द करने की मांग की, भल्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने बीएनएस 106 (2) में 10 साल की सजा और जुर्माने के प्रावधानों के बारे में ड्राइवरों के बीच आशंकाओं का संज्ञान लिया है और एआईएमटीसी के प्रतिनिधियों के साथ इस मामले पर विस्तार से चर्चा की.
उन्होंने कहा, ‘सरकार यह बताना चाहती है कि इन नए प्रावधानों और कानूनों को अभी तक लागू नहीं किया गया है. हम यह भी बताना चाहते हैं कि बीएनएस 106(2) को लागू करने के संबंध में निर्णय एआईएमटीसी के साथ चर्चा के बाद ही लिया जाएगा. हम एआईएमटीसी और सभी वाहन चालकों से काम पर लौटने की अपील करते हैं.’
भल्ला के साथ बैठक से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में एआईएमटीसी ने नए दंड प्रावधान को वापस लेने की मांग की.
एआईएमटीसी सदस्य बाल मलकीत सिंह ने कहा, ‘हम यह मांग नहीं कर रहे हैं कि जो लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं या जो ड्राइवर लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं, उनसे नरमी से निपटा जाना चाहिए. लेकिन ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां ड्राइवर बिना किसी गलती के दुर्घटना का शिकार हो गए और लोग भीड़ बनाकर उन्हें पीटने लगे. कभी-कभी भीड़ गाड़ी भी जला देती है और ड्राइवरों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ता है.’
उन्होंने कहा, ‘एक ट्रक की कीमत 50 लाख रुपये है लेकिन इसमें अक्सर करोड़ों रुपये का सामान होता है, कोई भी ड्राइवर इतना मूर्ख नहीं होगा कि अपना माल पीछे छोड़ दे. ड्राइवरों को पता होता है कि उनका पता लगाया जा सकता है और ज्यादातर मामलों में ड्राइवर वापस चले जाते हैं और खुद ही सरेंडर कर देते हैं.’
एआईएमटीसी के एक अन्य सदस्य सुनील अत्री ने कहा, ‘हमने 27 दिसंबर को गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर कानून वापस लेने के लिए कहा था लेकिन यह बेहद दुखद है कि सरकार ने पत्र का संज्ञान नहीं लिया और आज स्थिति इतनी गंभीर है. यह पहली बार है कि ट्रक चालक इतनी बड़ी संख्या में विरोध कर रहे हैं.’
एआईएमटीसी सदस्यों के साथ बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने कहा कि उसने ट्रक ड्राइवरों की चिंताओं का संज्ञान लिया है.
नए कानून में एक प्रमुख प्रावधान के बारे में बताते हुए एक सूत्र ने कहा कि अगर कोई ड्राइवर गलती से किसी को टक्कर मार देता है और समय पर पुलिस को सूचित करने के लिए पीसीआर कॉल करता है, तो उन्हें पांच साल की कम सजा का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के कारण हिट एंड रन मामलों में सजा की अवधि बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे उदाहरण हैं जब दुर्घटना को अंजाम देने के बाद चालक भीड़ द्वारा हमला किए जाने या मॉब लिंचिंग के डर से मौका-ए-वारदात से भाग जाता है. ऐसे मामलों में व्यक्ति मौके से भाग सकता है और पुलिस को बुला सकता है. अगर कोई पुलिस को बुलाता है, तो वे कड़ी सजा से बच जाएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि उन ड्राइवरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जो लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं, दुर्घटना का कारण बनते हैं जिससे किसी की मौत हो जाती है और फिर मौके से भाग जाते हैं.’
बता दें कि बीएनएस की धारा 106 (1) के अनुसार, किसी भी जल्दबाजी या लापरवाही हुई मौत को गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में लाने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है, जबकि धारा 106 (2) में 5 साल तक की सजा का प्रावधान है. हिट एंड रन मामलों में 10 साल तक की सज़ा है, जहां किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और ड्राइवर घटना के तुरंत बाद पुलिस या मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना दिए बिना भाग जाता है.
नए कानून के विरोध में ट्रक चालक 1 जनवरी से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके कारण घबराहट में खरीदारी हुई और कई राज्यों में आपूर्ति प्रभावित हुई. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद जैसे कई शहरों में ईंधन स्टेशनों पर वाहनों की लंबी कतारें और मंडियों में आपूर्ति कम होने की सूचना मिली.
चंडीगढ़ में अधिकारियों ने ईंधन स्टेशनों पर दोपहिया वाहनों के लिए दो लीटर और चार पहिया वाहनों के लिए प्रति लेनदेन की पांच लीटर, बिक्री की सीमा तय कर दी.
रिपोर्ट के अनुसार, इस उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि लगभग 2,000 पेट्रोल पंप, जो ज्यादातर उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित हैं, ईंधन खत्म हो गया है क्योंकि मोटर चालक घबराकर खरीदारी कर रहे हैं.
रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर के स्टेशन मालिकों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि ईंधन भंडार खत्म होने वाला है क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश में ईंधन पहुंचाने वाले 1,500 टैंकर चालक हड़ताल पर हैं.
समाचार एजेसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में कुछ हड़ताली पुलिस से भिड़ गए. एक अधिकारी ने बताया, ‘पुलिस अजमेर-भीलवाड़ा राजमार्ग पर ट्रैफिक जाम हटाने गई थी जब भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए. केकड़ी शहर (राजस्थान में) पुलिस स्टेशन का एक वाहन भी जला दिया गया.’