केंद्र सरकार के जुलाई 2021 और जनवरी 2022 के दो सरकारी आदेशों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ वनशक्ति द्वारा दायर याचिका पर पर्यावरण और वन मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2006 की पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के तहत अनिवार्य पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के बिना खनन परियोजनाओं के लिए पूर्वव्यापी मंजूरी देने के केंद्र सरकार के जुलाई 2021 और जनवरी 2022 के दो आदेशों पर रोक लगा दी है.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने एनजीओ वनशक्ति द्वारा दायर याचिका पर बुधवार (3 जनवरी) को पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) को नोटिस जारी किया.
द हिंदू के मुताबिक, पीठ ने कहा, ‘जारी नोटिस की वापसी की अवधि चार सप्ताह है. अगले आदेश तक 20 जनवरी 2022 के कार्यालयीन ज्ञापन पर रोक रहेगी.’
वनशक्ति के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को बताया कि ईआईए किसी भी गतिविधि की शुरुआत से पहले पूर्व अनुमोदन अनिवार्य करता है और पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी की अनुमति देना ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के लिए अभिशाप’ है.
शंकरनारायणन ने आगे तर्क दिया कि 2006 की ईआईए अधिसूचना सभी परियोजनाओं के लिए पूर्व पर्यावरण मंजूरी को अनिवार्य करती है और समस्या 2017 के एक कार्यालयीन ज्ञापन के साथ शुरू हुई, जिसने कथित उल्लंघनकर्ताओं को पूर्वव्यापी मंजूरी का आवेदन करने के लिए छह महीने का समय प्रदान कर दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अपने मामले में आगे तर्क रखते हुए शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों का हवाला दिया, जिनमें सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के दोहरे लक्ष्यों के बीच संतुलन रखने की बात कही गई है और इसे कानून के तहत ‘अनिवार्य’ आवश्यकता बताया गया है.