सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को बढ़ावा वाले जेल मैनुअल को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित 11 राज्यों से जवाब मांगा है. एनडीटीवी के अनुसार, महाराष्ट्र के कल्याण की सुकन्या शांता द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि कई राज्यों के जेल मैनुअल जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को बढ़ावा देते हैं, जहां जेलों के अंदर काम के आवंटन में भेदभाव किया जाता और जाति उन स्थानों का निर्धारण करती है जहां कैदियों को रखा जाता है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुछ गैर-अधिसूचित जनजातियों और आदतन अपराधियों के साथ अलग व्यवहार होता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह उठाए गए मुद्दों से निपटने में अदालत की सहायता करें. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को राज्यों से जेल मैनुअल संकलित करने को कहा और याचिका को चार सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. इन 11 राज्यों में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के अलावा मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, ओडिशा, झारखंड, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र शामिल हैं.
चुनावी ट्रस्टों से साल 2022-23 में राजनीतिक दलों को मिले चंदे में से 70 प्रतिशत से अधिक भाजपा को मिला है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के हवाले से बताया है कि भाजपा के भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को करीब 25 फीसदी चंदा मिला. आंकड़ों के अनुसार, भाजपा को चुनावी ट्रस्टों से सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त कुल दान का 259.08 करोड़ रुपये या 70.69 प्रतिशत मिला, वहीं बीआरएस को 90 करोड़ रुपये मिले. 2022-23 के लिए चुनावी ट्रस्टों की योगदान रिपोर्ट के विश्लेषण के अनुसार, 39 कॉरपोरेट और व्यावसायिक घराने हैं जिन्होंने चुनावी ट्रस्टों को 363 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है. एडीआर ने कहा कि तीन अन्य राजनीतिक दलों- वाईएसआर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस- को सामूहिक रूप से कुल 17.40 करोड़ रुपये मिले.
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि अडानी-हिंडनबर्ग जांच एसआईटी को सौंपने का आधार नहीं है, सेबी को इसकी जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को अदालत कहा कि जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियामक क्षेत्र की बात आती है तो अदालत के पास सीमित क्षेत्राधिकार है, इसलिए बोर्ड को अडानी समूह पर लगे आरोपों की अपनी जांच पूरी करने की अनुमति दी जानी चाहिए. ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि न्यायिक कार्यवाही में सरकारी अधिकारियों को बुलाने का मनमाने अदालती आदेश संविधान के विपरीत हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालतों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) में इस बात पर जोर दिया गया है कि उन्हें अधिकारियों को मनमाने ढंग से तलब करने से दूर रहने की जरूरत है. सीजेआई ने कहा कि अदालतें किसी अधिकारी को सिर्फ इसलिए नहीं बुला सकतीं क्योंकि उसका नजरिया अदालतों से अलग है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोर्ट को अदालती कार्यवाही के दौरान अधिकारियों को अपमानित करने वाली टिप्पणी करने से बचना चाहिए. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसके चलते उत्तर प्रदेश वित्त विभाग के दो सचिवों को हिरासत में लिया गया था. इससे पहले, पीठ ने कहा था कि वह सरकारी अधिकारियों को तलब करते समय देशभर की अदालतों द्वारा अपनाए जाने वाले व्यापक दिशानिर्देश तय करेगी.
एक अध्ययन में सामने आया है कि साल 2019 में भारत में कैंसर से 9.3 लाख मौते हुई हैं, जो उस साल के लिए एशिया का दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने द लांसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन के हवाले से बताया है कि भारत ने 2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज कीं, जो उस वर्ष एशिया में बीमारी दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा था. शोधकर्ताओं ने पाया कि साल 2019 में भारत, चीन और जापान के साथ, नए मामलों और मौतों की संख्या के मामले में एशिया में तीन अग्रणी देश थे, जहां उनका कहना है कि 94 लाख नए मामलों और 56 लाख मौतों के साथ कैंसर एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा बन गया है. शोधकर्ताओं ने पाया कि एशिया में प्रमुख कैंसर श्वांस नली, ब्रोन्कस और फेफड़े (टीबीएल) का था, जिसके चलते अनुमानित 13 लाख मामले और 12 लाख मौतें हुईं. यह पुरुषों में सबसे अधिक और महिलाओं में तीसरा सबसे अधिकपाया जाने वाला प्रकार था. इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर, विशेष रूप से महिलाओं में, कई एशियाई देशों में दूसरे या शीर्ष 5 कैंसरों में से एक है.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की उनके लोकसभा से निष्काषन के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी किया है. लाइव लॉ के मुताबिक, जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि जिन मुद्दों पर अदालत गौर करेगी उनमें से एक यह है कि क्या अदालत के पास लोकसभा के कार्यों की समीक्षा करने का अधिकार क्षेत्र है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात का विरोध करते हुए कहा कि सरकार का एक संप्रभु अंग अपने आंतरिक अनुशासन का फैसला कर रहा है. तो अगर कोई न्यायिक समीक्षा हो भी सकती है, तो उसका दायरा क्या है. अदालत ने कहा कि लोकसभा महासचिव को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना होगा. मोइत्रा को प्रत्युत्तर (यदि कोई हो) दाखिल करने के लिए अतिरिक्त तीन सप्ताह का समय मिलेगा. महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से अनुरोध किया था कि अंतरिम उपाय के रूप में मोइत्रा को इस बीच लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जाए, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया. मोइत्रा पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद हैं, जिन्हें बीते 8 दिसंबर को ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ के आरोप को लेकर अनैतिक आचरण का आरोप लगाए जाने के बाद निष्कासित कर दिया गया था.