सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के ख़िलाफ़ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से सीबीआई को स्थानांतरित करने या एसआईटी गठित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. इससे इनकार करते हुए अदालत ने सेबी को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को कहा कि उसके पास वास्तव में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच स्थानांतरित करने या यहां तक कि एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने की क्षमता है, लेकिन ऐसी शक्ति का प्रयोग केवल संयमित और असाधारण स्थितियों में ही किया जाना चाहिए.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से सीबीआई को स्थानांतरित करने या एसआईटी गठित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
अडानी समूह की कंपनियों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में आरोपों की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) या सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया था.
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों को आम तौर पर उस प्राधिकार (Authority) का स्थान नहीं लेना चाहिए, जिसे जांच करने की शक्ति दी गई है. फैसले में स्पष्ट किया गया, ‘न्याय की संभावित विफलता का संकेत देने वाले ठोस औचित्य के अभाव में अदालत द्वारा ऐसी शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.’
इसमें कहा गया है कि स्थानांतरण की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं पर ‘मजबूत सबूत’ पेश करने का दायित्व था, जो दर्शाता हो कि वर्तमान जांच एजेंसी ने जांच में अपर्याप्तता दिखाई थी या प्रथमदृष्टया पक्षपाती प्रतीत हुई थी.
अदालत ने कहा, ‘सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों को जांच स्थानांतरित करने की शक्ति केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही लागू की जानी चाहिए. कोई भी व्यक्ति इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि अपराध की जांच किसी विशिष्ट एजेंसी द्वारा की जाए.’
इसमें कहा गया है कि स्थानांतरण की मांग करते समय याचिकाकर्ताओं को अपनी याचिका यह सुनिश्चित करने तक सीमित रखनी चाहिए कि अपराध की ठीक से जांच की गई है.
बीते बुधवार को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालती आदेश के निष्कर्षों को पढ़ते हुए कहा था, ‘सेबी ने 22 में से 20 मामलों में जांच पूरी कर ली है. सॉलिसीटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम सेबी को अन्य दो मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं.’
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जनवरी 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट से संबंधित चार याचिकाओं पर विचार कर रहा है, जिसमें शेयर की कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर अडानी समूह पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है.
इस रिपोर्ट के कारण अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आई थी और समूह को कथित तौर पर 100 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.
इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता.