भ्रष्ट आचरण का दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ब्रिटिश अख़बार के लिए एक लेख लिखा है. इसमें उन्होंने पाकिस्तान की सेना और सुरक्षा एजेंसियों सहित सत्ता प्रतिष्ठान पर अमेरिका के दबाव में उनकी सरकार को हटाने की साज़िश रचने का आरोप लगाने के साथ चुनाव आयोग की भी कड़ी आलोचना की है.
नई दिल्ली: ब्रिटिश अखबार ‘द इकोनॉमिस्ट’ के लिए लिखे गए एक लेख में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने चेतावनी दी है कि ‘पाकिस्तान का चुनाव एक तमाशा/दिखावा हो सकता है.’
अगस्त 2023 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा भ्रष्ट आचरण का दोषी पाए जाने के बाद इमरान खान को गिरफ्तार किया गया था.
इमरान ने जेल से लिखे इस लेख में कहा है, ‘आज पाकिस्तान में संघीय और प्रांतीय दोनों स्तरों पर कार्यवाहक सरकारों द्वारा शासन किया जा रहा है. ये प्रशासन संवैधानिक रूप से अवैध हैं, क्योंकि संसदीय विधानसभाएं भंग होने के 90 दिनों के भीतर चुनाव नहीं हुए हैं.’
उन्होंने कहा, ‘जनता सुन रही है कि चुनाव संभवत: 8 फरवरी को होंगे. लेकिन पिछले साल दो प्रांतों पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनाव कराने से इनकार कर दिया गया, जबकि पिछले मार्च (2023) में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि चुनाव तीन महीने के भीतर होने चाहिए. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव होगा या नहीं, इस बारे में उनका संदेह करना सही है.’
लेख में उन्होंने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के खिलाफ पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए देश के चुनाव आयोग की खराब कार्रवाइयों की भी आलोचना की.
उन्होंने लिखा, ‘इसने (चुनाव आयोग) न केवल ने शीर्ष अदालत के आदेश की अवहेलना की है, बल्कि इसने मेरी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की पहली पसंद के उम्मीदवारों के नामांकन को भी खारिज कर दिया है, पार्टी के आंतरिक चुनावों में बाधा डाली है और केवल आयोग की आलोचना करने के लिए मेरे और अन्य पीटीआई नेताओं के खिलाफ अवमानना मामले शुरू कर दिए थे.’
उनके अनुसार, ‘चुनाव हों या न हों, अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के हास्यास्पद वोट के बाद से जिस तरह से मुझे और मेरी पार्टी को निशाना बनाया गया है, उससे एक बात स्पष्ट हो गई है: सत्ता प्रतिष्ठान – सेना, सुरक्षा एजेंसियां और नागरिक नौकरशाही – तैयार नहीं है कि पीटीआई को कोई भी मौका दिया जाए.’
उन्होंने सेना और सुरक्षा एजेंसियों सहित सत्ता प्रतिष्ठान पर अमेरिका के दबाव में उनकी सरकार को हटाने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया. लेख में उन्होंने विदेश विभाग के एक अधिकारी के संदेश के माध्यम से कथित अमेरिकी हस्तक्षेप के प्रयास का उल्लेख किया है.
उन्होंने कहा, ‘मार्च 2022 में अमेरिका के विदेश विभाग के एक अधिकारी ने वॉशिंगटन में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत से मुलाकात की थी. उस बैठक के बाद राजदूत ने मेरी सरकार को एक गुप्त संदेश भेजा था. मैंने तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के माध्यम से यह संदेश देखा और बाद में इसे कैबिनेट में पढ़ा गया था.’
इमरान खान के मुताबिक, ‘इस कूट संदेश में जो कहा गया है, उसे ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि अमेरिकी अधिकारी के संदेश का आशय था – अविश्वास मत के माध्यम से इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटा दो. – कुछ ही हफ्तों में हमारी सरकार गिरा दी गई और मुझे पता चला कि पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल क़मर जावेद बाजवा सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से हमारे खिलाफ कदम उठाने के लिए कई महीनों से हमारे सहयोगियों और संसदीय बैकबेंचर के साथ काम कर रहे थे.’
द इकोनॉमिस्ट ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और अमेरिका का विदेश विभाग पाकिस्तानी राजनीति में अमेरिकी हस्तक्षेप के इमरान खान के आरोपों से इनकार करता है.
अपने लेख में इमरान ने सत्ता परिवर्तन के खिलाफ सार्वजनिक विरोध, उप-चुनावों में जीत और नए प्रशासन के तहत आर्थिक चुनौतियों का वर्णन किया है. वह अपनी हत्या की कोशिश, अपहरण और कानूनी उत्पीड़न सहित व्यक्तिगत और पार्टी की कठिनाइयों पर भी प्रकाश डालते हैं.
उन्होंने लिखा, ‘दुर्भाग्य से सत्ता प्रतिष्ठान ने फैसला कर लिया था कि मुझे सत्ता में लौटने की अनुमति नहीं दी जा सकती, इसलिए मुझे राजनीतिक परिदृश्य से हटाने के सभी तरीकों का इस्तेमाल किया गया. दो बार मेरी हत्या के प्रयास किए गए. मेरी पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और सोशल-मीडिया कार्यकर्ताओं के साथ-साथ समर्थक पत्रकारों का अपहरण किया गया, उन्हें कैद किया गया, प्रताड़ित किया गया और पीटीआई छोड़ने के लिए दबाव डाला गया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उनमें से बहुत से लोग जेल में बंद हैं. हर बार अदालतें उन्हें जमानत देती हैं या रिहा करती हैं और उन पर नए आरोप लगा दिए जाते हैं. इससे भी बुरी बात यह है कि मौजूदा सरकार महिलाओं को राजनीति में भाग लेने से हतोत्साहित करने के प्रयास में पीटीआई की महिला नेताओं और कार्यकर्ताओं को डराने और धमकाने तक पहुंच गई है.’
अंत में उन्होंने पाकिस्तान के संकट के एकमात्र समाधान के रूप में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव की वकालत की.
इमरान खान ने लिखा, ‘पाकिस्तान के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र व्यवहार्य रास्ता निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव है, जो राजनीतिक स्थिरता और कानून के शासन को वापस लाएगा. साथ ही एक लोकप्रिय जनादेश के साथ एक लोकतांत्रिक सरकार द्वारा बेहद आवश्यक सुधारों की शुरुआत करेगा.’
उनके अनुसार, ‘पाकिस्तान के पास अपने सामने आने वाले संकटों से खुद को अलग करने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है. दुर्भाग्य से लोकतंत्र के खतरनाक स्थितियों में होने के साथ हम इन सभी मोर्चों पर विपरीत दिशा में जा रहे हैं.’
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