तमिलनाडु के सलेम ज़िले के दलित समुदाय के दो किसान भाइयों भाजपा के एक स्थानीय नेता पर उनकी ज़मीन को हड़पने की कोशिश का आरोप लगाया है. इस बीच जुलाई 2023 में उन्हें ईडी का एक समन मिला था. इसमें विशेष रूप से उनकी जातियों का उल्लेख करने पर विवाद हो गया था. आरोप है कि ईडी किसानों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही थी.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तमिलनाडु के दो दलित किसानों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को बंद करने का फैसला किया है. बीते बुधवार 3 जनवरी को मामले से परिचित लोगों ने यह जानकारी दी है.
72 वर्षीय किसान एस. कन्नैयन और उनके 67 वर्षीय भाई एस. कृष्णन को समन जारी करने और उनकी जाति के नाम का उल्लेख करने के बाद विवाद खड़ा हो गया था.
द न्यूज मिनट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे तमिलनाडु के सलेम जिले के अत्तूर के दो किसानों को जुलाई 2023 में ईडी से समन मिला था.
दोनों के पास गांव में 6.5 एकड़ जमीन है और वे 1,000 रुपये मासिक पेंशन पर गुजारा करते हैं. कथित तौर पर दोनों ने भारतीय जनता पार्टी के एक स्थानीय नेता पर उनकी जमीन को अवैध रूप से हड़पने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
ईडी के समन में कहा गया था कि किसान ‘हिंदू पल्लर’ (दलित समुदायों में बीच सर्वोच्च दर्जा प्राप्त) थे.
जांच अधिकारी का नाम रितेश कुमार है, जिन्होंने दोनों को 5 जुलाई, 2023 को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा था. सोशल मीडिया पर यह समन सामने आने के बाद लोगों में व्यापक आक्रोश फैल गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु में राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं ने ईडी द्वारा समन और ईसीआईआर (प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट, जो एफआईआर के बराबर होती है) दोनों में किसानों की जाति (हिंदू पल्लर) का उल्लेख करने पर विशेष आपत्ति जताई थी.
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, क्योंकि समन लगभग छह महीने पुराना है.’
अधिकारी ने कहा, ‘हमने 12 जुलाई 2021 को तमिलनाडु वन विभाग द्वारा अग्रेषित एक पत्र के आधार पर कन्नैयन और कृष्णन के खिलाफ मार्च 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किया था. वन विभाग का मामला दो जंगली भैंसों की हत्या से संबंधित था. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 51 और 9 के तहत, जो अनुसूचित अपराध हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम अदालत के आदेशों और वन्यजीव मामलों पर नजर रखने के वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के आदेश के अनुरूप हाल ही में कई वन्यजीव मामलों को उठा रहे हैं.’
यह कहते हुए कि कन्नैयन और कृष्णन को पीएमएलए मामलों में अपनाई जाने वाली ‘नियमित प्रक्रिया’ के तहत समन जारी किया गया था, एक दूसरे ईडी अधिकारी ने कहा, ‘उनसे (किसानों से) उस दिन (5 जुलाई, 2023 को) पूछताछ नहीं की गई थी. उन्हें कोई और समन जारी नहीं किया गया है, बल्कि 5 जुलाई 2023 को किसानों के साथ पेश हुए एक वकील ने चेन्नई में ईडी कार्यालय में हंगामा किया था.
मामले में किसानों की जाति का उल्लेख करने पर इस अधिकारी ने कहा, ‘ईडी पुलिस या एजेंसियों से मामले लेता है, जो अनुसूचित अपराधों की जांच करते हैं और आमतौर पर इसे शब्दश: फिर से पंजीकृत करते हैं. यह एक लिपिकीय त्रुटि थी.’
बहरहाल पहले ईडी अधिकारी ने बताया, ‘दोनों किसान भाइयों के खिलाफ पीएमएलए मामला बंद किया जा रहा है, क्योंकि हमें पता चला है कि अत्तूर (सलेम) की एक अदालत ने हाल ही में उन्हें वन विभाग के वन्यजीव मामले (मुख्य विधेय अपराध) में बरी कर दिया है.’
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, किसानों की वकील जी. प्रवीणा ने कहा, ‘अब हमें इस बात की चिंता नहीं कि ईडी अपना मामला बंद कर रही है या नहीं. हम चाहते हैं कि तमिलनाडु पुलिस, ईडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे और उन्हें गिरफ्तार करे. हमने पहले ही पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है.’
प्रवीणा ने यह भी कहा कि कन्नैयन और कृष्णन एक स्थानीय भाजपा नेता और सलेम पूर्व जिला सचिव जी. गुणशेखर के साथ कानूनी लड़ाई में हैं, क्योंकि वह कथित तौर पर अत्तूर में उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘वह दीवानी मामला अभी चल रहा है और अदालत में लंबित है. ईडी केवल किसानों को दूसरे मामले में तलब कर उन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है.’
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, ईडी अधिकारियों ने अपने मामले में किसी भी राजनीतिक संबंध से इनकार किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने इस संबंध में टिप्पणी के लिए तमिलनाडु भाजपा के पदाधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन तुरंत कोई जवाब नहीं मिल सका.