उत्तर प्रदेश: बहराइच से भाजपा विधायक को 21 साल पुराने मामले में दो साल की सज़ा

उत्तर प्रदेश में बहराइच ज़िले के महसी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह को एमपी/एएमएलए कोर्ट ने 2002 के आपराधिक धमकी, डराने-धमकाने और लोक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के मामले में यह सज़ा दी गई है. उन पर 2,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तर प्रदेश में बहराइच ज़िले के महसी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह को एमपी/एएमएलए कोर्ट ने 2002 के आपराधिक धमकी, डराने-धमकाने और लोक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के मामले में यह सज़ा दी गई है. उन पर 2,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह को उत्तर प्रदेश विधानसभा में उनकी सदस्यता से अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि बहराइच में एमपी/एमएलए अदालत ने उन्हें आपराधिक धमकी, डराने-धमकाने और लोक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के 21 साल पुराने मामले में दो साल की कैद और 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अनुपम दीक्षित ने मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के पांच गवाहों से पूछताछ की थी.

सरकारी वकील तबस्सुम ने कहा, ‘अदालत ने गुरुवार (4 जनवरी) को विधायक सुरेश्वर सिंह को दो साल की कैद की सजा सुनाई और उन पर 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया. हालांकि, फैसला आज (शुक्रवार) सार्वजनिक किया गया.’

सरकारी वकील ने कहा कि बहराइच जिले के महसी निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के विधायक सिंह को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत के तहत दोषी ठहराया गया है.

बचाव पक्ष के वकील बृजपाल सिंह ने कहा कि विधायक ने सजा सुनाए जाने के बाद जमानत याचिका दायर की गई है. वकील ने कहा, ‘अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है. हम फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे.’

जेल की सजा के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित किया जा सकता है, क्योंकि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) 1951 के प्रावधानों के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी जन प्रतिनिधि को सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है. साथ ही सजा काटने के बाद अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक रहती है.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह मामला 2 सितंबर 2002 का है, जब लखनऊ के एक संरक्षण गृह में बंद एक महिला को एक मामले में अपना बयान दर्ज करने के लिए उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) कार्यालय में लाया गया था और रिकॉर्डिंग तक किसी को भी एसडीएम के कमरे में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी.

एक अभियोजन अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि, आरोपी (विधायक सुरेश्वर सिंह) जबरन एसडीएम के कमरे में घुस गए. जब उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया तो उन्होंने अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया. उन पर बहस के बाद एसडीएम के कमरे से बाहर निकलते समय धमकी देने का भी आरोप लगाया गया था.’

अभियोजन पक्ष ने कहा कि महसी तहसील के एसडीएम लालमणि मिश्रा ने भाजपा विधायक के खिलाफ हरदी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने उनके कार्यालय में घुसकर सरकारी काम में बाधा उत्पन्न की थी.

अभियोजन पक्ष ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि विधायक ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे धमकी दी थी.

पुलिस ने कहा कि विधायक सुरेश्वर सिंह सितंबर 2002 में एक मामले के लिए तत्कालीन एसडीएम के कार्यालय में गए थे, जब किसी मुद्दे पर अधिकारी के साथ उनकी झड़प हो गई, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई थी.

अदालत के आदेश के मुताबिक, अगर विधायक जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें सात दिन और जेल में काटने होंगे.

सितंबर 2019 में बहराइच की एक सत्र अदालत ने 1995 के ट्रिपल-हत्या मामले में सबूत के अभाव में विधायक और तीन अन्य को बरी कर दिया था. हालांकि, उनके बड़े भाई बृजेश्वर सिंह और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अदालत ने उनमें से प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पिछला विधानसभा चुनाव जीतने वाले चार विधायक अब तक उत्तर प्रदेश विधानसभा से अपनी सदस्यता खो चुके हैं.