कर्नाटक कैबिनेट ने कन्नड़ भाषा समग्र विकास (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योगों, अस्पतालों और संस्थानों व संगठनों को साइनबोर्ड और नेमप्लेट पर 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा लिखनी होगी. हाल ही में बेंगलुरु में कर्नाटक रक्षणा वेदिके के सदस्यों द्वारा अंग्रेजी में लिखे साइनबोर्ड तोड़ने-फोड़ने के बाद यह निर्णय आया है.
नई दिल्ली: कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने बीते शुक्रवार (5 जनवरी) को कन्नड़ भाषा समग्र विकास (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योगों, अस्पतालों और संस्थानों व संगठनों को साइनबोर्ड और नेमप्लेट पर 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा लिखनी होगी.
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, यह निर्णय बेंगलुरु में कर्नाटक रक्षणा वेदिके (केआरवी) के सदस्यों द्वारा पिछले सप्ताह अंग्रेजी में लिखे साइनबोर्ड को तोड़ने-फोड़ने की घटना के बाद आया है. कन्नड़ कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ के इस कृत्य को ‘जागरूकता अभियान’ करार दिया था.
राजधानी बेंगलुरु में कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि कन्नड़ भाषा व्यापक विकास (संशोधन) 2023 विधेयक राज्य में सभी साइनबोर्ड पर 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा का अनिवार्य उपयोग करने का प्रयास करेगा.
कन्नड़ भाषा के अनिवार्य उपयोग के अलावा अध्यादेश में कन्नड़ विकास प्राधिकरण के सचिव को कार्यान्वयन समिति के संयोजक के रूप में और कन्नड़ तथा संस्कृति विभाग के निदेशक को इसके सदस्य के रूप में नियुक्त करने का भी प्रावधान है.
कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम 2022 की धारा 17(6) के अनुसार, जिसे फरवरी 2023 में अपनाया गया था, राज्य सरकार या स्थानीय अधिकारियों द्वारा अनुमोदित वाणिज्यिक उद्योग, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, परामर्श केंद्र, अस्पताल, प्रयोगशालाएं, मनोरंजन केंद्र और होटल आदि के साइनबोर्ड के ऊपरी आधे हिस्से (50 प्रतिशत) पर उनके नाम कन्नड़ में होने चाहिए.