बांग्लादेश में रविवार को आम चुनाव संपन्न होने के बाद मतगणना शुरू हो गई है. विपक्ष के बहिष्कार के बीच संपन्न हुए चुनाव में मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने प्रधानमंत्री शेख़ हसीना पर आरोप लगाया है कि उन्होंने हाल के महीनों में उसके 20,000 से अधिक सदस्यों को जेल में डालकर विपक्ष रहित चुनाव की भूमिका तय की है.
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नई दिल्ली: बांग्लादेश में रविवार (7 जनवरी) को हुए चुनावों से पहले मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार पर अपने समर्थकों और विपक्षी राजनेताओं को निशाना बनाते हुए एक बड़ी कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.
उन्होंने दावा किया कि हाल के महीनों में उनके 20,000 से अधिक सदस्यों को जेल में डाल दिया गया है. इनकी गिरफ्तारी चुनाव से पहले मनगढ़ंत आरोपों के तहत की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के हवाले से बताया है कि ऐसे ही एक कार्यकर्ता 63 वर्षीय फजलुर रहमान ने तो अस्पताल में दम ही तोड़ दिया.
इस बीच, बांग्लादेश में मतदान संपन्न हो गया है और वोटों की गिनती चालू हो गई है. अल जजीरा के मुताबिक, मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा है. मतदान 4 बजे तक होना था और दोपहर 3 बजे तक केवल 27.15 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.
बहरहाल, रहमान के बेटे मोहम्मद के मुताबिक, उनके पिता की मौत अस्पताल के फर्श पर हुई, उस समय भी उनके हाथ और पैर बंधे हुए थे. रहमान विपक्ष के उन हजारों कार्यकर्ताओं में से एक थे, जिन्हें संसदीय चुनाव से पहले गिरफ्तार किया गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाले मुख्य विपक्षी दल बीएनपी ने कहा कि रहमान उन 10 सदस्यों में से एक थे, जिनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई.
रहमान के परिवार के अनुसार, उन्हें 25 अक्टूबर को उनकी चाय की दुकान के बाहर से गिरफ्तार करके जेल ले जाया गया था. वह बीमार पड़ गए तो बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां हफ्ते भर पहले उनकी मौत हो गई.
उनके परिवार का मानना है कि वह पिछले 35 वर्षों से बीएनपी के मुखर समर्थक थे, इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया.
मोहम्मद ने कहा, ‘मेरे पिता बीएनपी के साथ थे, इसलिए वे उन्हें उठा ले गए. उनके मरने पर हमारे आस-पड़ोस से बीएनपी का नामोनिशां मिट जाएगा.’
बहरहाल, सरकारी अधिकारी 20,000 विपक्ष समर्थकों की गिरफ्तारी के आंकड़े को खारिज करते हैं और कहते हैं कि आंकड़ा बहुत कम है और गिरफ्तारियां राजनीतिक संबद्धता के कारण नहीं, बल्कि आगजनी जैसे विशेष आपराधिक आरोपों के तहत की गई हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने एसोसिएटेड प्रेस के हवाले से बताया है कि शुक्रवार (5 जनवरी) को अटॉर्नी जनरल एएम अमीन उद्दीन ने कहा कि 2,000 से 3,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, देश के कानून मंत्री ने इस हफ्ते बीबीसी को बताया था कि 10,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बहरहाल, सही आंकड़े अस्पष्ट बने हुए हैं.
दुनिया भर में नागरिक स्वतंत्रता पर नजर रखने वाली गैर-लाभकारी संस्था सिविकस ने हाल ही में विपक्ष समर्थकों पर ताजा कार्रवाई के बाद बांग्लादेश को चीन और वेनेजुएला के साथ सबसे खराब रेटिंग दी थी.
सिविकस में दक्षिण एशिया पर ध्यान केंद्रित करने वाले शोधकर्ता जोसेफ बेनेडिक्ट ने कहा था, ‘हमने उनमें से कई को मनमाने ढंग से गिरफ्तार होते देखा है और उनमें से कई मनगढ़ंत आरोपों का सामना कर रहे हैं.’
इन्हीं कार्रवाइयों ने वर्तमान चुनाव की वैधता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस कदम ने देश की सत्ता में सबसे लंबे समय से बनीं हसीना को अपने 15 साल लंबे शासन का विस्तार करने और सत्ता में 5वां कार्यकाल हासिल करने की पूरी गारंटी दी है. अधिकार समूहों ने भी चुनावों को एक दिखावा बताया है.
इससे पहले बीएनपी और अन्य विपक्षी दलों ने यह कहते हुए चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया था कि वे इस चुनाव को निष्पक्षता से कराने को लेकर वर्तमान प्रशासन पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने बार-बार हसीना के इस्तीफे और चुनाव की निगरानी के लिए एक कार्यवाहक सरकार की मांग की थी.
रिपोर्ट कहती है कि 2018 में भी वोटों में धांधली के व्यापक आरोपों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाले गठबंधन ने संसद की 300 में से 96 फीसदी सीट जीती थीं. धांधली के आरोपों को अधिकारियों ने खारिज कर दिया था. इसी तरह, 2014 में वह सभी प्रमुख विपक्षी दलों द्वारा चुनाव का बहिष्कार करने के बाद सत्ता में आई थीं.
चुनाव में बीएनपी के बजाय छोटे विपक्षी दल और 400 से अधिक स्वतंत्र उम्मीदवार – जिनमें अवामी लीग के कई लोग भी शामिल हैं – भाग ले रहे हैं. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को आमंत्रित किया है और चुनावों को निष्पक्ष और लोकतांत्रिक बताया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसका उद्देश्य सिर्फ चुनावों को प्रतिस्पर्धी दिखाना है.
सिविकस शोधकर्ता बेनेडिक्ट ने कहा कि बीएनपी को हाल ही में निशाना बनाए जाने से हसीना सरकार में विपक्षी सदस्यों और आलोचकों के कथित तौर पर गायब होने को लेकर चिंता फिर से बढ़ गई है.
अगस्त में ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा था कि 2009 से बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने 600 से अधिक लोगों को जबरन गायब किया है.
सरकार ने लगातार आरोपों से इनकार किया है, लेकिन गायब होने की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने से इनकार कर दिया है. 2022 में गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने इन चिंताओं को खारिज कर दिया और कहा कि जो लोग लापता हो गए हैं, वे छिपे हुए हो सकते हैं और अक्सर कुछ दिनों के बाद लौट आते हैं.
हालांकि, बीएनपी के स्थानीय नेता सजेदुल इस्लाम 10 साल से अधिक समय से लापता हैं. उनके परिवार का कहना है कि उन्हें बांग्लादेश विशेष सुरक्षा बल रैपिड एक्शन बटालियन ने 2014 के आम चुनाव से कुछ दिन पहले 4 दिसंबर 2013 को उठाया था. इस बल पर 2021 में अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है.
इस सप्ताह राजधानी ढाका में वे लोग सड़कों पर उतर आए थे, जिनका कहना था कि अक्टूबर में बीएनपी के विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें जलने के चलते चोटें आई थीं.
उसी समय अधिकारियों ने कहा था कि हिंसा भड़काने और वाहन जलाने के आरोप में कई बीएनपी सदस्यों को गिरफ्तार किया है. तब से उन्होंने विपक्ष पर आगजनी के कई हमलों का आरोप लगाया है, जिसे बीएनपी ने खारिज करते हुए कहा है कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और चुनाव नजदीक आने पर उनके समर्थकों को कुचलने के उद्देश्य से लगाए जा रहे हैं.
बहरहाल, मोहम्मद – जो मानते हैं कि उनके पिता की मौत बीएनपी का समर्थन करने के कारण हुई – के लिए यह चुनाव अस्तित्व नहीं रखते. उन्होंने कहा, ‘अपने पिता की हालत देखने के बाद, जब तक यह सरकार रहेगी मैं वोट नहीं दूंगा.’