यूपी भाजपा ने बीते हफ्ते सचिन अहलावत को बुलंदशहर में पार्टी का मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया है. अहलावत दिसंबर 2018 में कथित गोकशी को लेकर बुलंदशहर के स्याना में भड़की हिंसा के मामले में आरोपी हैं. इस हिंसा में यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या हुई थी.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश भाजपा ने 2018 में हुई हिंसा के मामले में आरोपी सचिन अहलावत को बुलंदशहर में पार्टी का मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया है. मालूम हो कि कथित गोकशी को लेकर भड़की उक्त हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 38 वर्षीय अहलावत, बुलंदशहर में भाजपा के 31 क्षेत्रीय अध्यक्षों में से हैं, जिनके नाम पिछले हफ्ते जारी किए गए थे. उन्हें बीबी नगर मंडल का अध्यक्ष बनाया गया है.
हिंसा के इस मामले को लेकर अहलावत पर दंगा करने, लोक सेवक को अपना दायित्व निभाने से रोकने के लिए हमला करने समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं. फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं.
आरोप है कि अहलावत ने मामले के मुख्य आरोपी और तत्कालीन बजरंग दल संयोजक योगेश राज को फोन किया था और उन्हें अपने गांव में कथित गोहत्या की घटना के बारे में बताया था. इसके तुरंत बाद भीड़ मौके पर जमा हो गई और कार्रवाई की मांग करते हुए हंगामा करने लगी.
3 दिसंबर 2018 को हुई हिंसा में स्याना थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी.
सोमवार को इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अहलावत ने दावा किया कि उन पर झूठा केस दर्ज किया गया है. उन्होंने अख़बार से कहा, ‘मैं यह जानने के लिए घटनास्थल पर गया था कि क्या हो रहा है क्योंकि घटना मेरे गांव महाव में हुई थी. मैं तब स्याना में भाजपा का मंडल सचिव था. मैं दूर से खड़ा था और विरोध प्रदर्शन के फोटो-वीडियो में दिख रहा था. मेरी तरह, मेरे गांव के कई अन्य लोगों पर इस मामले में झूठा केस दर्ज किया गया है.’
अहलावत महाव गांव के प्रधान भी हैं और उनका खेती और डेयरी का काम करते हैं.
अहलवत ने योगेश राज को कॉल करने की बात से भी इनकार किया है. उनका कहना है कि घटना के दिन एक पुलिसकर्मी ने उनसे उनका फोन मांगकर योगेश राज को कॉल लगाकर बात की थी, लेकिन अब इस बात को कोई स्वीकार नहीं रहा है.
उनके वकील अशोक डागर के मुताबिक, पुलिस ने दंगा मामले में अहलावत समेत 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है पर अहलावत पर हत्या का आरोप नहीं है.
अहलावत ने बताया कि जमानत पर रिहा होने से पहले उन्होंने गिरफ्तारी के बाद तीन महीने जेल में बिताए.
भाजपा ने किया फैसले का बचाव
उधर, भाजपा के बुलंदशहर जिला अध्यक्ष विकास चौहान ने अहलावत को मंडल अध्यक्ष बनाए जाने के निर्णय का बचाव किया है. उन्होंने कहा, ‘(हिंसा की) घटना के फोटो और वीडियो के चलते पुलिस ने एफआईआर में सचिन अहलावत का नाम लिया था. सचिन सिर्फ मौके पर मौजूद थे, वो कोई पेशेवर अपराधी नहीं है और उनके खिलाफ कोई अन्य केस नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सचिन लगभग एक दशक से पार्टी से जुड़े हुए हैं और उन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया है. उन्हें मंडल अध्यक्ष बनाए जाने पर कोई मसला नहीं होना चाहिए.’
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने अख़बार के कॉल का उत्तर नहीं दिया.
क्या था मामला
तीन दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली के गांव महाव में कथित तौर गायों के शव मिलने के बाद भीड़ इकट्ठा हुई और ट्रॉलियों में शव भरकर बुलंदशहर की ओर जाने वाला हाईवे जाम कर दिया गया था. वे कुछ मुस्लिमों पर गोहत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
यहीं स्याना थाना प्रभारी सुबोध कुमार सिंह अपनी टीम के साथ पहुंचे थे और ग्रामीणों से एफआईआर दर्ज करने और कार्रवाई का आश्वासन देकर जाम हटाने का अनुरोध किया था. हालांकि, भीड़ उग्र हो गई. हिंसा में सिंह और चिंगरावठी गांव के युवक सुमित की गोली लगने से मौत हुई थी.
पुलिस ने बताया था कि 3 दिसंबर को उपद्रव के समय स्याना गांव के पास बढ़ती भीड़ को देखकर इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने आत्मरक्षा में अपनी पिस्तौल से फायर किया, जिसकी गोली सुमित को लगी जो उन पर पत्थर फेंक रहा था. वे उस समय तक काफी घायल हो चुके थे. इसके बाद एक प्रशांत नाम के व्यक्ति ने उनकी सर्विस रिवॉल्वर लेकर उन पर गोली चलाई थी.