उत्तराखंड: देहरादून में क्लोरीन गैस का रिसाव, सांस लेने में दिक्कत के बीच लोगों को निकाला गया

उत्तराखंड में देहरादून शहर के प्रेम नगर पुलिस थानाक्षेत्र का मामला. लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने की सूचना मिलने पर पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर टीम मौके पर पहुंची. अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में एक खाली प्लॉट में रखे चार क्लोरीन सिलेंडरों में से एक में रिसाव हो रहा था.

देहरादून के झांजरा क्षेत्र में क्लोरीन गैस रिसाव की घटना मंगलवार सुबह सामने आई. (फोटो साभार: एएनआई)

उत्तराखंड में देहरादून शहर के प्रेम नगर पुलिस थानाक्षेत्र का मामला. लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने की सूचना मिलने पर पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर टीम मौके पर पहुंची. अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में एक खाली प्लॉट में रखे चार क्लोरीन सिलेंडरों में से एक में रिसाव हो रहा था.

देहरादून के झांजरा क्षेत्र में क्लोरीन गैस रिसाव की घटना मंगलवार सुबह सामने आई. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: उत्तराखंड में देहरादून शहर के प्रेम नगर पुलिस स्टेशन के झांजरा क्षेत्र में मंगलवार (9 जनवरी) सुबह क्लोरीन गैस के रिसाव की घटना सामने आई, जिससे निवासियों में दहशत फैल गई, क्योंकि उन्होंने सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की.

अधिकारियों ने बताया कि इलाके के निवासियों को वहां से निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून अजय सिंह ने बताया कि घटना की सूचना मिलने पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अन्य सुरक्षा बल मौके पर पहुंच गए हैं.

सिंह ने कहा, ‘देहरादून के प्रेम नगर थाने के झांजरा क्षेत्र में खाली प्लॉट में रखे क्लोरीन सिलेंडर में लीकेज के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने की सूचना मिलने पर पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर टीम मौके पर पहुंची और ‘सुरक्षित निपटान के लिए कार्रवाई कर रही है.’

सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर के मुताबिक, क्षेत्र में एक खाली प्लाट में क्लोरीन के सात सिलेंडर काफी समय से रखे हुए थे. उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ‘रिसाव हुआ था और यह एक बड़ी आपदा में बदल सकता था, हालांकि, अधिकारियों के समन्वित प्रयासों के कारण स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया.’

पुलिस ने बताया कि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि लीक हो रहे सिलेंडर को पानी से भरकर जमीन में गाड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि पानी में गैस का भूमिगत रिसाव कम हो गया है और यह ज्यादा नहीं फैलता है.

एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट प्रवीण कुमार ने कहा, ‘सिलेंडर की सामग्री पूरी तरह से खाली होने के बाद इसे मिट्टी के साथ जमीन के नीचे दबा दिया जाएगा. यह सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी विकल्प है.’

उन्होंने कहा कि इलाके के लोगों को तब तक मास्क का उपयोग करने के लिए कहा गया है जब तक हवा में गैस का हल्का प्रभाव भी बना रहेगा.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी ही एक घटना 2017 में हुई थी जब उत्तराखंड जल संस्थान (यूजेएस) के जल आपूर्ति केंद्र से क्लोरीन गैस लीक होने के बाद 15 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.