बीते सोमवार को बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को समय से पहले रिहा करने का हक़ नहीं है. अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था.
नई दिल्ली: विपक्षी दलों और नेताओं ने बीते सोमवार (8 जनवरी) को बिलकीस बानो मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि चुनावी लाभ के लिए ‘न्याय की हत्या’ करने की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है.
राहुल ने सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर देश को बता दिया कि ‘अपराधियों का संरक्षक’ कौन है. बिलकीस बानो का अथक संघर्ष, अहंकारी भाजपा सरकार के विरुद्ध न्याय की जीत का प्रतीक है.’
चुनावी फायदे के लिए ‘न्याय की हत्या’ की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है।
आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर देश को बता दिया कि ‘अपराधियों का संरक्षक’ कौन है।
बिलकिस बानो का अथक संघर्ष, अहंकारी भाजपा सरकार के विरुद्ध न्याय की जीत का प्रतीक है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 8, 2024
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर कहा, ‘बेटी बचाओ’ बना ‘दोषी बचाओ’! बिलकीस बानो मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय की बहाली है. ये मोदी सरकार के गृह मंत्रालय और गुजरात सरकार के कुकृत्यों का पर्दाफाश करता है. ये दिखाता है कि चुनाव जीतने के लिए कैसे भाजपा, एक महिला को न्याय से कोसों दूर रख सकती है.’
“बेटी बचाओ” बना “दोषी बचाओ” !
बिलकिस बानो मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला न्याय की बहाली है।
ये मोदी सरकार के गृह मंत्रालय व गुजरात सरकार के कुकृत्यों का पर्दाफ़ाश करता है।
ये दिखाता है कि चुनाव जीतने के लिए कैसे भाजपा, एक महिला को न्याय से कोसों दूर रख सकती है।…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) January 8, 2024
उन्होंने कहा, ‘देश की हर एक महिला को आज पता चल गया है कि भाजपा की महिला-विरोधी मानसिकता कितनी घृणित और दूषित है. बिलकीस बानो ने जो संघर्ष किया है, वो व्यर्थ नहीं हुआ.’
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि अंतत: न्याय की जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकीस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है. इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है. इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत होगा. बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिलकीस बानो को बधाई.
अंततः न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार #BilkisBano के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है। इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 8, 2024
कांग्रेस नेताओं के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मांग की कि केंद्र और गुजरात की भाजपा सरकारें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर बिलकीस बानो से माफी मांगें.
उन्होंने कहा, ‘मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि बीजेपी पीड़ित के साथ खड़े होने के बजाय हमेशा इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों के साथ खड़ी रही है. यह बिलकीस बानो ही हैं, जिन्होंने इतनी बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान की बाजी भी लगा दी.’
#WATCH | Hyderabad, Telangana: On Bilkis Bano case, AIMIM president Asaduddin Owaisi says, "From Day 1, I have been saying that BJP, instead of standing with the victim, has always stood with the perpetrators who committed this heinous crime. It is Bilkis Bano who fought so… pic.twitter.com/DMSL37TYH4
— ANI (@ANI) January 8, 2024
उन्होंने कहा, ‘दूसरी ओर गुजरात सरकार जो उनकी रक्षा नहीं कर सकी, उन्होंने उन दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया, जिन्होंने उनके साथ बलात्कार किया और उनके बच्चे की हत्या कर दी थी. सभी बलात्कारियों को एक कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए, चाहे वे किसी भी राजनीतिक विचारधारा के हों कि उन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी.’
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए माकपा नेता बृंदा करात ने कहा, ‘फैसले के बारे में जो महत्वपूर्ण है, वह अदालत के निष्कर्ष हैं कि याचिकाकर्ता साफ हाथों से अदालत में नहीं आए थे, ऐसे दस्तावेज थे जो धोखाधड़ी वाले थे और तथ्य यह है कि गुजरात सरकार ने इसका समर्थन किया था, रिहाई के पीछे गुजरात सरकार थी, इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला गुजरात सरकार के चेहरे पर एक करारा तमाचा है.’
We Welcome Supreme Court Judgement on Bilkis Bano Case. It is Hard Slap on Gujarat Govt: Comrade Brinda Karat pic.twitter.com/dPyEqvu9mJ
— CPI (M) (@cpimspeak) January 8, 2024
करात ने कहा, ‘मैं बिलकीस को सलाम करती हूं, जो इस देश में यौन और सांप्रदायिक अपराधों के खिलाफ न्याय के लिए लड़ने वाली सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण है.’
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि बिलकीस बानो को दो लंबे दशकों के बाद आखिरकार न्याय मिल रहा है. सामूहिक बलात्कारों और सामूहिक हत्याओं की क्रूरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.’
तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के कदम को पलट दिया, जो न्याय के लिए एक बड़ी जीत है. भाजपा, जिसने इन दोषी अपराधियों की रिहाई की सुविधा प्रदान की और उन्हें महिमामंडित किया, उसे फिर कभी कानून और व्यवस्था, महिला सुरक्षा या अल्पसंख्यक अधिकारों के बारे में बात करने का दुस्साहस नहीं दिखाना चाहिए.’
The long arm of the law finally catches up!
The Supreme Court overturned the Gujarat Govt.'s move to grant remission to 11 convicts in the Bilkis Bano case, marking a monumental victory for justice.@BJP4India, that facilitated the release of these convicted criminals and… pic.twitter.com/QxupKm8ecn
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) January 8, 2024
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार (8 जनवरी) को बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई का खारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. उनकी रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.
साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गर्भवती बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनकी तीन साल की बच्ची समेत कम से कम 14 परिजनों की हत्या के लिए इन सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
15 अगस्त 2022 को अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा माफी दिए जाने के बाद सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किया गया था.
इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.