अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा निर्मित ‘दृष्टि-10’ स्टारलाइनर ड्रोन, इज़रायल के एल्बिट सिस्टम्स के हर्मीस-900 ड्रोन का स्वदेशी रूप से निर्मित संस्करण है. इसमें 70 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है. नौसेना प्रमुख ने कहा कि ‘दृष्टि-10’ ड्रोन हिंद महासागर क्षेत्र में खुफ़िया, निगरानी और टोही (आईएसआर) मिशनों में अधिक क्षमता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा.
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने बीते बुधवार (10 जनवरी) को पहले स्वदेश निर्मित ‘दृष्टि-10’ स्टारलाइनर मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (एमएएलई/MALE) ड्रोन का अनावरण किया.
इस ड्रोन को हिंद महासागर के रणनीतिक जल क्षेत्र पर कड़ी नजर रखने और नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए नौसैनिक समुद्री अभियानों में शामिल करने की तैयारी है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद में नौसेना के लिए अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा निर्मित ‘दृष्टि-10’ मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी), इजरायल के एल्बिट सिस्टम्स के हर्मीस-900 यूएवी का स्वदेशी रूप से निर्मित संस्करण है. इसमें 70 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है।
नौसेना प्रमुख ने बुधवार को पहले ‘दृष्टि-10’ ड्रोन की डिलीवरी ली.
नौसेना के समुद्री अभियानों में लगाए जाने के लिए ये ड्रोन हैदराबाद से गुजरात के पोरबंदर तक उड़ान भरेंगे.
नौसेना वर्तमान में ‘सी गार्डियंस’ नामक चार हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन के अलावा सामरिक ड्रोन भी संचालित करती है.
आधुनिक युद्ध में ड्रोन के महत्व पर जोर देते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल कुमार ने कहा कि स्वायत्त प्रणालियां दुनिया भर के देशों के लिए युद्ध के क्रम में एक पसंदीदा विकल्प बन रही हैं.
उन्होंने कहा कि ‘दृष्टि-10’ ड्रोन हिंद महासागर क्षेत्र में खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) मिशनों में अधिक क्षमता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा.
उन्होंने कहा कि नौसेना संचालन में ‘दृष्टि-10’ ड्रोन के एकीकरण से नौसेना की क्षमताओं में वृद्धि होगी, ‘लगातार विकसित होने वाली समुद्री निगरानी और टोही के लिए हमारी तैयारी बढ़ेगी’.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ‘दृष्टि-10’ ड्रोन का ऑर्डर दिया गया है – 2 नौसेना और 2 सेना के लिए – लेकिन सशस्त्र बल बाद में लगभग 150 ड्रोन अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, अरब सागर में व्यापारिक जहाजों पर हाल ही में हुए हमलों के मद्देनजर भारतीय नौसेना ने रणनीतिक जल क्षेत्र में निवारक उपस्थिति (Deterrent Presence) बनाए रखने के लिए अरब सागर और अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती और ड्रोन विरोधी गतिविधियों के लिए तैनात युद्धपोतों की संख्या पहले ही बढ़ा दी है.
नौसेना ने समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए अपनी नौसैनिक उपस्थिति दिखाते हुए अरब सागर और अदन की खाड़ी में समुद्री कमांडो के साथ 10 से अधिक युद्धपोत तैनात किए हैं और समुद्री सुरक्षा अभियान बढ़ा रही है.
वे P-8I विमान और ड्रोन का उपयोग करके नियमित निगरानी मिशनों के साथ लगातार उपस्थिति बनाए हुए हैं. तैनात किए गए युद्धपोतों में आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि, आईएनएस चेन्नई, आईएनएस मोर्मुगाओ, आईएनएस तलवार और आईएनएस तरकश शामिल हैं.
पिछले हफ्ते नौसेना के समुद्री कमांडो (MARCOs) ने 6 से 8 अज्ञात सशस्त्र समुद्री डाकुओं द्वारा अरब सागर में सोमालिया के तट से अपहरण के प्रयास के बाद एक व्यापारिक जहाज के 15 भारतीयों सहित 21 चालक दल को बचाया था. नौसेना ने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए एक युद्धपोत, समुद्री गश्ती विमान (P-8I) और लंबी दूरी के प्रीडेटर एमक्यू9बी ड्रोन तैनात किए थे.