कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड में ट्रेड यूनियनों के 10 प्रतिनिधि होते हैं. केंद्र सरकार द्वारा पुनर्गठित नए बोर्ड में 8 प्रतिनिधि घोषित किए गए हैं, जिनमें आरएसएस से संबद्ध भारतीय मज़दूर संघ के तीन सदस्य शामिल हैं. इसमें सीपीआई से संबद्ध एटक, एआईयूटीयूसी और कांग्रेस से संबद्ध इंटक का कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) का पुनर्गठन किया है. यह कदम इसका पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद उठाया गया है.
बीते शुक्रवार (12 जनवरी) को जारी एक अधिसूचना के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि 10 कर्मचारी प्रतिनिधियों में, जो अनिवार्य रूप से ट्रेड यूनियनों का हिस्सा होते हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के तीन सदस्य हैं.
इनके साथ ही हिंद मजदूर सभा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से संबद्ध सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर, सेल्फ एम्प्लॉयड वूमेन एसोसिएशन, नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस के एक-एक सदस्य शामिल हैं.
इस तरह उपलब्ध 10 पदों में से आठ पद भर चुके हैं और दो अब तक खाली हैं.
इससे पहले नवंबर 2018 में सीबीटी का पुनर्गठन किया गया था, जिसमें बीएमएस (3 सदस्य), सीटू (1 सदस्य), एआईटीयूसी (1 सदस्य), हिंद मजदूर सभा (1 सदस्य), एआईयूटीयूसी (1 सदस्य) के प्रतिनिधि शामिल थे और इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के तीन पद खाली थे.
शुक्रवार की अधिसूचना के साथ ही अब सीपीआई से संबद्ध ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) और कांग्रेस से संबद्ध इंटक से कोई कर्मचारी प्रतिनिधि नहीं हैं. सरकार द्वारा किसी भी ट्रेड यूनियन के नाम का उल्लेख किए बिना अब तक दो पद खाली हैं. नवंबर 2018 की अधिसूचना में इंटक के तीन रिक्त पदों का उल्लेख किया गया था.
एआईटीयूसी की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि उन्होंने एआईटीयूसी के मौजूदा सदस्य सुकुमार दामले को बोर्ड में फिर से नामांकित करने का सुझाव दिया था, लेकिन उनका नाम शामिल नहीं किया गया है.
कौर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमने नामांकन भेजा था और हमने कहा था कि यह तरीका सही नहीं है कि आप तीन नाम पूछते हैं और आप (एक) चुनते हैं. हम अपने व्यक्ति को फिर से नामांकित कर रहे हैं. हमें यह भी बताया गया था कि एक व्यक्ति दो से अधिक कार्यकाल तक सेवा नहीं दे सकता है, लेकिन दामले का केवल एक ही कार्यकाल हुआ है. अपात्रता का कोई आधार नहीं है.’
उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर ईपीएफओ और मंत्रालय को पत्र लिखेंगे.
ईपीएफओ का केंद्रीय न्यासी बोर्ड कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम-1952 की धारा 5ए के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार द्वारा गठित एक त्रिपक्षीय वैधानिक निकाय है और इसमें कर्मचारियों, नियोक्ताओं और सरकार के प्रतिनिधि होते हैं. बोर्ड का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है.
2017 में ईपीएफ योजना-1952 की धारा-5 में एक खंड शामिल किया गया था, जिसके तहत ‘एक निवर्तमान ट्रस्टी या सदस्य केंद्रीय बोर्ड या क्षेत्रीय समिति के सदस्य के रूप में फिर से नियुक्ति के लिए पात्र होगा, यदि उसने अधिकतम दो कार्यकाल पूरे न किए हों.’
बोर्ड के अध्यक्ष केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री होते हैं. अन्य सदस्यों में उपाध्यक्ष, केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त, पांच केंद्र सरकार के प्रतिनिधि, 15 राज्य सरकार के प्रतिनिधि, 10 नियोक्ता प्रतिनिधि, 10 कर्मचारी प्रतिनिधि शामिल होते हैं.
शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, उपाध्यक्ष पद के लिए दो व्यक्तियों को नामांकित किया गया है – श्रम तथा रोजगार राज्य मंत्री और श्रम तथा रोजगार सचिव. इसमें केंद्र सरकार के पांच प्रतिनिधि हैं – चार श्रम तथा रोजगार मंत्रालय से और एक वित्त मंत्रालय से, साथ ही 15 राज्य सरकार के प्रतिनिधि हैं.
नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों की पिछली संरचना में लघु उद्योग भारती और पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) से केवल एक-एक सदस्य थे, जो अब बढ़कर दो-दो सदस्य हो गए हैं.
ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गनाइजेशन और एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज एंड इंस्टीट्यूशन के नियोक्ता प्रतिनिधियों को भी पुनर्गठित बोर्ड में जगह नहीं मिली है.
सीबीटी की भूमिका में निधियों का प्रबंधन, योजनाओं के प्रबंधन के लिए प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व, अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति, आय और व्यय के खातों का रखरखाव और कुल 29 करोड़ से अधिक ग्राहकों के लिए ब्याज की वार्षिक दर निर्धारित करना शामिल है.