द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
ईरान के पाकिस्तान में सुन्नी आतंकवादी समूह जैश अल-अदल से संबंधित ठिकानों पर हमले के दावे के एक दिन बाद पाकिस्तान ने तेहरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. द हिंदू के अनुसार, इस्लामाबाद ने बेहद नाराज़गी जताते हुए इस हमले की निंदा की और इसे अपने हवाई क्षेत्र का ‘घोर उल्लंघन’ बताया. पाकिस्तान के अनुसार, इस हमले में दो बच्चों की मौत हुई है और तीन लोग घायल हुए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने घोषणा की है कि इस्लामाबाद हमलों को लेकर ईरान में इसके राजदूत को वापस बुला रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने मंगलवार देर रात ईरान के विदेश मंत्रालय के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया और इस्लामाबाद में उनके राजनयिक को तलब किया है. बयान में कहा गया है कि हमले के ‘नतीजों की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से ईरान की होगा.’ पाकिस्तान विदेश कार्यालय की एक प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने संवाददाताओं से कहा, ‘पाकिस्तान ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला किया है और पाकिस्तान में ईरानी राजदूत, जो वर्तमान में ईरान का दौरा कर रहे हैं, को फिलहाल वापस नहीं लौटने को कहा है.’ यह घटना ईरान द्वारा पिछले कई दिनों में सीरिया और इराक पर इसी तरह के हमले शुरू करने के बाद हुई है. ईरान के सरकारी मीडिया ने पहले बताया था कि ऑपरेशन में ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन फिर जल्द ही उस रिपोर्ट को हटा दिया गया. तब से इसने हमले की खबर दोबारा प्रकाशित नहीं की है.
बीते साल मई महीने से जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में हुई ताज़ा पुलिसकर्मी के मारे जाने की सूचना है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि मंगलवार सुबह सीमावर्ती शहर मोरेह में सुरक्षा बलों के शिविर पर रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) हमले के बाद हुई गोलीबारी में एक पुलिस कमांडो की मौत हो गई. गोलीबारी करीब एक घंटे तक चली और स्थिति तनावपूर्ण है. तेंगनौपाल जिले में मोरेह शहर सुरक्षा बलों, खासकर मणिपुर पुलिस कमांडो पर लगातार हमलों के बाद से हाई अलर्ट पर है. इससे पहले सोमवार को पुलिस ने अक्टूबर 2023 में मारे गए एक पुलिस अधिकारी की हत्या के आरोप में सोमवार को प्रादेशिक सेना के एक पूर्व सैनिक और मोरेह के ग्राम रक्षा बल के प्रमुख सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. तब से मोरेह में तनाव है और कर्फ्यू लगा हुआ है. ज्ञात हो कि कुकी संगठनों ने मणिपुर कमांडो पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें तुरंत हटाने की मांग कर रहे है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा है कि ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय न होने पर पार्टी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल नहीं होगी. द हिंदू के अनुसार, यात्रा के 27 जनवरी तक पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने की संभावना है, जिसके बाद यात्रा पांच दिनों तक राज्य में रहेगी. इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सभी गठबंधन दलों के प्रमुखों को पत्र लिखकर यात्रा के लिए आमंत्रित किया था. द हिंदू से बात करते हुए टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिना कोई चुनावी समझ बने वे कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकते. मालूम हो कि 19 दिसंबर को टीएमसी ने कांग्रेस से कहा था कि वो राजय में कांग्रेस को केवल दो सीटें दे पाएगी. कांग्रेस ने 2019 का लोकसभा चुनाव वाम मोर्चे के साथ चुनावी समझौते के तहत लड़ा था और कुल वोट शेयर का 5.67% हासिल करते हुए दो सीटें जीती थीं. टीएमसी का तर्क है कि कांग्रेस द्वारा जीती गई इन दो सीटों को छोड़कर बाकी सीटों पर पार्टी का वोट शेयर चार फीसदी से भी कम है. उधर, वाम मोर्चा पहले ही तृणमूल के साथ गठबंधन से इनकार कर चुका है.
भारतीय प्रबंधन संस्थान, कलकत्ता (आईआईएम-सी) ने बताया है कि इसने उसके प्रभारी निदेशक सहदेव सरकार को यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पद से हटा दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, एक बयान में कहा गया है कि ऐसा संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति की सिफारिश पर किया गया है, जो यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप की निष्पक्ष जांच हो. बयान में स्पष्ट किया गया कि उन्हें हटाने का उद्देश्य निष्पक्ष जांच था और यह आरोपों को लेकर संस्थान के बोर्ड की राय नहीं है. संस्थान का बयान सरकार के बाहर निकालने और उनकी जगह प्रोफेसर सैबल चट्टोपाध्याय को लाने की खबरें सामने आने के दो दिन बाद आया. हालांकि इस परिवर्तन के लिए उनके और संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष श्रीकृष्ण कुलकर्णी के बीच मतभेदों को जिम्मेदार ठहराया गया था. उल्लेखनीय सहदेव सरकार 2021 के बाद से समय से पहले पद छोड़ने या हटाए जाने वाले तीसरे निदेशक या प्रभारी निदेशक हैं.
गृह मंत्रालय ने पॉलिसी थिंक-टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, इसे पहले फरवरी 2023 में निलंबित कर दिया गया था. सीपीआर ने उस समय कहा था कि यह सभी कानूनों का पूरी तरह अनुपालन करता है और लाइसेंस मुद्दे को हल करने के लिए अधिकारियों के साथ काम कर रहा है. द हिंदू के अनुसार, 10 जनवरी को सीपीआर को पता चला कि उसका एफसीआरए रजिस्ट्रेशन अब रद्द हो गया है. संगठन की अध्यक्ष यामिनी अय्यर ने अख़बार को बताया कि सीपीआर इस बारे में विचार कर रहा है कि वह इस मामले में कैसे इंसाफ मांगे. बुधवार को जारी एक बयान में अय्यर ने कहा है कि गृह मंत्रालय के इस निर्णय का आधार समझ से बाहर और असंगत है, और दिए गए कुछ कारण किसी रिसर्च संस्थान के कामकाज के आधार को चुनौती देते हैं.