भारत ने पाकिस्तान में ईरान के मिसाइल हमले को आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताकर उचित ठहराया

ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान में सुन्नी आतंकवादी समूह ‘जैश अल-अदल’ के ठिकानों पर हमला करने की बात कही थी. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने हमले की पुष्टि करते हुए इसे अपने हवाई क्षेत्र का ‘अकारण उल्लंघन’ बताया था. ईरान की कार्रवाई पर भारत ने कहा है कि​ अगर कोई देश अपनी सुरक्षा के लिए कोई क़दम उठाता है तो यह समझने योग्य है.

ईरानी मिसाइल. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Hossein Velayati/Wikimedia Commons. CC BY-SA 4.0.)

ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान में सुन्नी आतंकवादी समूह ‘जैश अल-अदल’ के ठिकानों पर हमला करने की बात कही थी. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने हमले की पुष्टि करते हुए इसे अपने हवाई क्षेत्र का ‘अकारण उल्लंघन’ बताया था. ईरान की कार्रवाई पर भारत ने कहा है कि​ अगर कोई देश अपनी सुरक्षा के लिए कोई क़दम उठाता है तो यह समझने योग्य है.

ईरानी मिसाइलों की प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: ईरान द्वारा पाकिस्तान में मिसाइल हमला करने के एक दिन बाद भारत ने बीते बुधवार (17 जनवरी) को देशों को अपनी ​‘आत्मरक्षा​’ में कार्रवाई करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए ईरान के कदम को उचित ठहराया.

ईरान की अर्ध-सरकारी तस्नीम समाचार एजेंसी ने मंगलवार (16 जनवरी) शाम को खबर दी थी कि ईरान ने ‘मिसाइल और ड्रोन हमलों के साथ’ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आतंकी संगठन जैश अल-अदल के ठिकानों को निशाना बनाया था.

इसके बाद पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान जारी किया था कि ‘ईरान द्वारा उसके हवाई क्षेत्र के अकारण उल्लंघन’ में दो बच्चे मारे गए और तीन लड़कियां घायल हो गईं.

बुधवार दोपहर बाद पाकिस्तान ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और ईरानी राजदूत, जो अपने देश के दौरे पर हैं, को सूचित किया है कि वे वापस पाकिस्तान न लौटें.

बुधवार देर रात प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अगर कोई देश अपनी सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाता है तो यह समझने योग्य है.

उन्होंने कहा, ​‘यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है. जहां तक भारत का सवाल है, तो हम आतंकवाद के प्रति कोई समझौता नहीं करते और शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) की नीति रखते हैं.​’

ईरानी कार्रवाई को भारत का समर्थन अपेक्षित था, यह देखते हुए कि नई दिल्ली ने पिछले 10 वर्षों में कथित तौर पर आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाते हुए कम से कम दो बार सार्वजनिक रूप से सीमा पार अभियान चलाया था.

पहले उदाहरण में 2016 का मिसाइल हमला शामिल था और दूसरे में 2019 में हवाई हमले शामिल थे.

बहरहाल, ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने दावा किया कि इस सप्ताह के मिसाइल हमले का लक्ष्य जैश अल-अदल आतंकवादी समूह था, जिसने ​‘पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के कुछ हिस्सों में शरण ले रखी थी.​’

जैश अल-अदल, जिसे पहले जुंदल्लाह के नाम से जाना जाता था, को 2010 में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा एक आतंकवादी समूह के रूप में भी नामित किया गया था. इसे ईरान-पाकिस्तान सीमा से संचालित ​‘सबसे सक्रिय और प्रभावशाली​’ सुन्नी आतंकवादी समूह माना जाता है.

दावोस में विश्व आर्थिक मंच के दौरान अमीर-अब्दुल्लाहियन ने कहा कि ईरान, पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है, लेकिन ​‘देश की (ईरान की) राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता या खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं देगा.​’

उन्होंने यह भी कहा कि ​‘पाकिस्तान के किसी भी नागरिक को ईरानी मिसाइलों और ड्रोनों द्वारा निशाना नहीं बनाया गया.​’

पिछले कुछ वर्षों में ईरानी अधिकारी अक्सर जैश अल-अदल की किसी भी बड़ी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में सैन्य छापे मारने की धमकी देते रहे हैं. 2014 में पाकिस्तान को सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करना पड़ा था कि ईरानी सुरक्षा बलों को उसके क्षेत्र के अंदर अभियान चलाने की अनुमति नहीं है.

यह पहली बार है जब ईरान ने पाकिस्तान पर मिसाइलों से हमला किया है, लेकिन ईरानी सुरक्षा बल इससे पहले भी एक बार सीमा पार घुसपैठ कर चुके हैं.

2021 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने घोषणा की थी कि उसने एक ​‘सफल अभियान​’ में जैश अल-अदल द्वारा बंधक बनाए गए दो सीमा रक्षकों को मुक्त कराया है.

ईरान के वर्तमान हमले के बाद पाकिस्तान ने न केवल कार्रवाई की निंदा की और अपने दूत को वापस बुला लिया, बल्कि सभी निर्धारित कार्यक्रमों को भी रोक दिया है.

इस बीच, पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने अपने समकक्ष को फोन पर बताया कि ईरान के मिसाइल हमले ने द्विपक्षीय संबंधों को ‘गंभीर क्षति’ पहुंचाई है.

पाकिस्तान विदेश कार्यालय के एक बयान में कहा गया, ‘विदेश मंत्री ने कहा है कि पाकिस्तान इस उकसावे वाली कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार रखता है.’

डॉन अखबार के मुताबिक, एक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल बुधवार को ईरानी बंदरगाह चाबहार में संयुक्त सीमा व्यापार समिति की बैठक को बीच में ही छोड़कर चला गया. चाबहार मुक्त क्षेत्र व्यापार प्रदर्शनी की एक बैठक को स्थगित करने का भी निर्णय लिया गया है.

बीते वर्षों के दौरान पाकिस्तान के साथ लगी ईरान की सीमा पर ईरानी सुरक्षा बुनियादी ढांचे पर श्रृंखलाबद्ध हमले हुए हैं.

मई 2023 में ईरानी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान में एक सशस्त्र समूह के साथ झड़प में पांच ईरानी सीमा रक्षकों की मौत हो गई थी. सरकारी मीडिया ने इस घटना के लिए ‘घुसपैठियों’ को जिम्मेदार ठहराया था.

दो महीने बाद अलग-अलग घटनाओं में कम से कम छह ईरानी पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवा दी थी. पिछले महीने हुए ताजा हमले में ईरानी प्रांत के एक पुलिस थाने पर हमले के बाद 11 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई थी.

ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा इराक के अर्ध-स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र में ‘मोसाद के तत्वों और एजेंटों’ और सीरिया में ‘ईरान विरोधी आतंकवादी समूहों’ के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च करने के एक दिन बाद पाकिस्तान के अंदर हमले हुए.

इराक ने ईरान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक पत्र सौंपकर ईरान के खिलाफ ‘इराक की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और इराकी लोगों की सुरक्षा के घोर उल्लंघन’ की शिकायत की.

अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) और फ्रांस ने इराक में ईरानी हमले की निंदा की है, लेकिन पाकिस्तान के अंदर मिसाइल हमलों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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