महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर में हिंदू जनजागृति समिति और भाजपा विधायक टी. राजा सिंह की आगामी सार्वजनिक रैलियों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रैलियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए दोनों राज्यों से ज़रूरी क़दम उठाने और घटनाओं को रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार (17 जनवरी) को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में हिंदू जनजागृति समिति और भाजपा विधायक टी. राजा सिंह की आगामी सार्वजनिक रैलियों को रोकने से इनकार कर दिया, लेकिन दोनों राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया कि आयोजनों में कोई नफरत भरा भाषण (Hate Speech) न दिया जाए.
एक याचिका में आयोजनों के संबंध में व्यक्त की गईं आशंकाओं पर ध्यान देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने महाराष्ट्र में यवतमाल और छत्तीसगढ़ में रायपुर के जिला मजिस्ट्रेटों को आवश्यक कदम उठाने और जरूरत पड़ने पर घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, अदालत ने आयोजनों को रोकने से इनकार कर दिया और बताया कि आवेदक ने उस व्यक्ति या संगठन को अपनी याचिका में पक्ष नहीं बनाया है, जिसकी रैली पर आपत्ति जताई जा रही थी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जिन लोगों के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, उन्हें पक्षकार के रूप में शामिल नहीं किया गया है. फिर भी किए गए दावों के मद्देनजर अधिकारियों को इस तथ्य के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है कि किसी भी तरह की हिंसा या नफरत फैलाने वाले भाषण की अनुमति नहीं दी जा सकती है.’
आगे कहा गया है, ‘हम तदनुसार यवतमाल और रायपुर के जिला मजिस्ट्रेट को आरोपों पर ध्यान देने, सलाह और आवश्यकता के अनुसार उचित कदम उठाने का निर्देश देते हैं. अगर आवश्यक हो और उचित समझा जाए तो पुलिस रिकॉर्डिंग सुविधाओं के साथ सीसीटीवी कैमरे स्थापित करेगी, ताकि कोई भी घटना होने पर अपराधियों की पहचान की जा सके.’
याचिका में आरोप लगाया गया कि समिति ‘ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रही है, जहां मुसलमानों को खुलेआम बदनाम करने और उनके बहिष्कार का आह्वान करने वाले भाषण दिए जाते हैं’.
इसमें कहा गया है कि संगठन 18 जनवरी को यवतमाल में तीन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जबकि भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ‘19 जनवरी से 25 जनवरी तक छत्तीसगढ़ में रैलियों की एक श्रृंखला आयोजित करने जा रहे हैं’.
आवेदक की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के बाद भी भाजपा विधायक सिंह को आपत्तिजनक भाषण देना जारी रखने से नहीं रोका जा रहा है.
सिब्बल ने कहा, ‘जब घटना होती है, तो हम इस अदालत में आते हैं और एक एफआईआर दर्ज की जाती है, लेकिन कुछ नहीं किया गया. फिर वह इसी तरह का भाषण देना जारी रखते हैं. फिर इस सबका क्या मतलब है?’
उन्होंने भाजपा विधायक के कुछ भाषणों का जिक्र करते हुए कहा, ‘देखिए वह किस तरह की नफरत का प्रचार कर रहे हैं.’
जस्टिस खन्ना ने कहा कि उन्होंने भाषणों को पढ़ा है और कहा, ‘निश्चित रूप से आपत्तिजनक.’ हालांकि अदालत ने कहा कि वह यह कहकर उसे रोक नहीं सकती कि कोई भाषण आपत्तिजनक हो सकता है.
जस्टिस दत्ता ने कहा, ‘क्या वह एक पार्टी है? अगर आपका अनुरोध मान लिया जाता है, तो इसका प्रभाव किसी पर पड़ेगा. आपकी प्रार्थना यह सुनिश्चित करना है कि अनुमति नहीं दी गई है या अगर पहले ही अनुमति दे दी गई है तो उसे वापस ले लें. इस व्यक्ति को पक्षकार बनाए बिना या उनकी बात सुने बिना हम यह आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? यह प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है.’
सिब्बल ने कहा, ‘जब तक महामहिम हस्तक्षेप नहीं करेंगे, यह बार-बार होगा.’
जस्टिस खन्ना ने कहा कि अदालत ने हस्तक्षेप किया था और आदेश पारित किए थे. उन्होंने पूछा, ‘एक मामले में हमने आदेश पारित किया था और यह रुक गया. वह सकारात्मक हिस्सा है. केवल नकारात्मक पहलू को ही क्यों देखें?’
मालूम हो कि तेलंगाना से भाजपा विधायक टी. राजा सिंह को विवादित टिप्पणियों के लिए जाना जाता है. पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गईं कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए भाजपा ने टी. राजा सिंह को साल 2022 में पार्टी से निलंबित कर दिया था. हालांकि तेलंगाना चुनाव से पहले अक्टूबर 2023 में उनका निलंबन पार्टी ने वापस ले लिया था.
सिंह को हैदराबाद पुलिस ने अगस्त 2022 में अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में निवारक हिरासत अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. नवंबर 2022 में तेलंगाना हाईकोर्ट ने तीन कड़ी शर्तें लगाते हुए उन्हें रिहा कर दिया था.
द वायर ने रिपोर्ट किया है, उन्होंने एक से अधिक बार इन शर्तों का उल्लंघन किया है और कई अवसरों पर नफरत भरे भाषण दिए हैं. हालांकि, उसे दोबारा गिरफ्तार नहीं किया गया है.
2022 के शुरुआत में उन्होंने कहा था कि जो उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का समर्थन नहीं करेंगे, वे ‘देशद्रोही’ हैं और उन्हें विधानसभा चुनाव के बाद इसके नतीजे भुगतने होंगे.
जून 2022 में उनके खिलाफ अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर भड़काऊ टिप्पणी करने को लेकर मामला दर्ज हुआ था.
2020 में फेसबुक ने हेट स्पीच के चलते उनके एकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया था. मॉब लिंचिंग, गोरक्षा, राम मंदिर आदि मुद्दों पर भी वे समय-समय पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते देखे गए हैं.