दिल्ली में हर तीसरे बच्चे के फेफड़े ख़राब: अध्ययन

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार देश में समय से पहले होने वाली मौतों में से 30 फीसदी की वजह वायु प्रदूषण है.

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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार देश में समय से पहले होने वाली मौतों में से 30 फीसदी की वजह वायु प्रदूषण है.

15 नवंबर 2017 को बढ़ते प्रदूषण के ख़िलाफ़ स्कूली बच्चों ने मार्च निकाला था. (फोटो: पीटीआई )
15 नवंबर 2017 को बढ़ते प्रदूषण के ख़िलाफ़ दिल्ली में स्कूली बच्चों ने मार्च निकाला था. (फोटो: पीटीआई )

नयी दिल्ली: एक शोध एवं सलाहकार संस्था ने एक नये अध्ययन में बताया है कि दिल्ली में हर तीसरे बच्चे का फेफड़ा खराब है. इस अध्ययन में वायु प्रदूषण और व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के बीच अब तक अनछुए संबंधों की भी जांच की गयी है.

मालूम हो कि दिल्ली और पड़ोसी शहरों में वायु प्रदूषण के चेतावनी के स्तर तक पहुंचने के कुछ दिन बाद यह अध्ययन सामने आया है. प्रदूषण के बढ़ते खतरे के मद्देनजर प्रशासन को स्थिति से बिगड़ने के लिये कई आपात उपाय अपनाने पड़े थे.

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता एक बार फिर बेहद खराब स्तर तक पहुंच गयी है और लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहने पर सांस की तकलीफ हो सकती है.

दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य परामर्श जारी कर लोगों से सुबह और देर शाम के वक्त बाहर निकलने से बचने को कहा है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट कहती है कि भारत में समयपूर्व होने वाली मौतों में से 30 फीसदी की वजह वायु प्रदूषण है. इसमें कहा गया कि वर्ष 2016 में साढ़े तीन करोड़ लोगों को देश भर में अस्थमा की बीमारी थी.

‘बॉडी बर्डन: लाइफस्टाइल डिज़ीसेज़’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया, ‘दिल्ली में हर तीसरे बच्चे का फेफड़ा खराब है जबकि देश में समयपूर्व होने वाली कुल मौतों में से 30 फीसदी वायु प्रदूषण की वजह से होती हैं.’

इसमें दावा किया गया कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच अहम संबंध है, जिनमें से वायु प्रदूषण और मानसिक स्वास्थ्य में संबंध जैसे कई पहलू अब तक अनछुए थे.

रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 तक हर साल कैंसर के 17.3 लाख नये मामले दर्ज किये जायेंगे जिनकी अहम वजह वायु प्रदूषण, तंबाकू, शराब और आहार संबंधी बदलाव होंगे.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि देश का हर 12वां व्यक्ति मधुमेह का मरीज है जिससे मधुमेह के सबसे ज्यादा मरीजों के मामले में देश दूसरे नंबर पर है.

देश में हर साल 27 लाख से ज्यादा लोगों की मौत दिल की बीमारियों की वजह से होती है, इनमें से 52 फीसदी मामलों में मृतक की उम्र 70 साल से कम होती है.