बिलक़ीस बानो के दोषियों को सरेंडर के लिए मोहलत देने से कोर्ट के इनकार समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस  बानो मामले में दोषियों द्वारा सरेंडर के लिए और मोहलत मांगने वाली याचिका खारिज कर दी है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को उनके आवेदनों पर विचार करते हुए कहा कि सरेंडर स्थगित करने और जेल वापस रिपोर्ट करने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा बताए गए कारणों में कोई दम नहीं है क्योंकि वे किसी भी तरह से उन्हें अदालत के निर्देशों का पालन करने से नहीं रोकते हैं. इसी पीठ ने 8 जनवरी को गुजरात सरकार द्वारा उन्हें मिली सज़ामाफी को रद्द करते हुए सभी दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था. यह समयसीमा 21 जनवरी को समाप्त हो रही है. 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए इन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

हरियाणा की एक जेल में बंद और बलात्कार के दोषी ठहराए गए डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फिर राज्य सरकार ने पैरोल दी है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, रोहतक डिविजनल कमिश्नर द्वारा हस्ताक्षरित आदेश के मुताबिक, राम रहीम को कुछ शर्तों के तहत 50 दिन की नियमित पैरोल दी गई है. इस अवधि में वो यूपी के बरनावा आश्रम में रहेगा. यह दो साल में गुरमीत राम रहीम को मिली सातवीं पैरोल है. इससे पहले नवंबर 2023 में गुरमीत राम रहीम 21 दिन के लिए फर्लो (अस्थायी रिहाई) की मंज़ूरी दी गई थी. उससे पहले जनवरी 2023 और अक्टूबर 2022 में भी उसे 40-40 दिन की पैरोल दी गई थी. गौरतलब है कि राम रहीम अगस्त 2017 से जेल में हैं. 28 अगस्त, 2017 को एक विशेष सीबीआई अदालत ने गुरमीत राम रहीम को सिरसा के आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

साल 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व मामले में फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ को 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उनके अलावा कुछ पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, जजों और प्रमुख वकीलों सहित 50 से अधिक न्यायविदों को भी निमंत्रण दिया गया है. तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई, पूर्व सीजेआई एसए बोबडे, वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय पीठ ने विवादित स्थल पर एक ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया था. पीठ ने पूरी विवादित जमीन राम लला को देते हुए सरकार को मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को अन्य स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का आदेश दिया था. वर्तमान में, पूर्व सीजेआई गोगोई राज्यसभा सांसद हैं. जस्टिस बोबड़े भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम करते के बाद रिटायर हो चुके हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ वर्तमान में सीजेआई के रूप में कार्यरत हैं. जस्टिस अशोक भूषण जुलाई 2021 में सेवानिवृत्त हुए थे और जस्टिस नज़ीर अब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल हैं.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने वरिष्ठ भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री बाली भगत और उनके भाइयों की ज़मीन जब्त कर ली है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, किश्तवाड़ में आठ कनाल और छह मरला (लगभग 44,000 वर्ग फुट के बराबर) जमीन जब्त की गई है. अधिकारियों ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद दोनों भाई कथित तौर पर जमीन खाली करने में विफल रहे, जिसके बाद 15 जनवरी के एक आदेश के आधार पर कार्रवाई की गई. स्थानीय तहसीलदार के आदेश के तहत जमीन पर एक तीन मंजिला इमारत, जिसमें एक नर्सिंग कॉलेज है, को सील कर दिया गया है. उधर, बाली भगत का कहना है कि यह जमीन पिछले 60-70 सालों से उनके परिवार के पास है और उन्हें नहीं पता कि राजस्व विभाग ने रोशनी अधिनियम के तहत उन्हें यह जमीन कैसे और कब आवंटित की. भगत ने कहा कि उनकी मां ने यह जमीन माता मचैल एजुकेशनल ट्रस्ट को दान में दी थी, जो पिछले पांच-छह सालों से वहां एक पैरा-मेडिकल संस्थान चला रहा था.

बिहार के बाद अब आंध्र प्रदेश जातिगत जनगणना करवाने वाला दूसरा राज्य बन गया है. डेक्कन क्रॉनिकल के मुताबिक, आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में विभिन्न जाति समूहों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक प्रगति का निर्धारण करने के लिए हो रही यह कवायद शुक्रवार को विशाखापत्तनम जिले से शुरू हुई. राज्य के प्रमुख सचिव (योजना) एम. गिरिजा शंकर ने बताया है कि अगले दस दिनों (19 से 28 जनवरी) तक चलने वाली गणना में गांव और वॉर्ड सचिवालय कर्मचारी और वालंटियर्स कुल मिलाकर 12.30 मिलियन परिवारों को कवर करेंगे, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 3.56 करोड़ आबादी और शहरी क्षेत्रों में लगभग 1.3 करोड़ आबादी वाले 4.44 मिलियन परिवार शामिल हैं. पहले चरण के दौरान सर्वे न शामिल हो पाए लोगों के लिए दूसरा चरण 29 जनवरी से 2 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक मोबाइल ऐप बनाया गया है, जिसमे कर्मचारियों को लोगों के घरों पर जाने पर उनका विवरण दर्ज करना होगा. इस ऐप में 726 जातियों और समुदायों को सूचीबद्ध किया गया है.