सुप्रीम कोर्ट ने 8 जवनरी को बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा था. इस आदेश के बाद उनके घर पर न रहने की ख़बरें सामने आई थीं. इस बीच बीते 19 जनवरी को अदालत ने इन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया.
नई दिल्ली: गुजरात के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बीते शुक्रवार (19 जनवरी) को कहा कि 2002 के बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के सभी दोषी पुलिस की निगरानी में हैं और वे लापता नहीं हुए हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को आत्मसमर्पण करने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दाहोद जिले की सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) बिशाखा जैन ने कहा, ‘जब से सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया (8 जनवरी को गुजरात सरकार द्वारा दी गई छूट को रद्द कर दिया) तब से वे पुलिस की निगरानी में हैं. हमने उस दिन ही उन सभी से संपर्क किया और ऐसा नहीं लगा कि फैसले के बाद उनका संपर्क में नहीं रहने का कोई इरादा था.’
अधिकारी ने कहा, ‘वे जानते थे कि उन्हें आत्मसमर्पण करना होगा और वे स्वेच्छा से सुप्रीम कोर्ट के आदेश (8 जनवरी के) के बाद हमें अपने ठिकाने के बारे में सूचित करने के लिए पुलिस स्टेशन आए. यह सच नहीं है कि वे लापता हो गए हैं.’
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषियों को वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्णय देने के बाद ऐसी खबरें सामने आई थीं कि ये अपने-अपने घरों पर नहीं है.
दोषी दाहोद के सिंगवाड तालुका के सिंगवाड और रणधीकपुर गांवों के हैं. आत्मसमर्पण करने की समय सीमा से कुछ दिन पहले उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने, वृद्ध माता-पिता की देखभाल, सर्दियों में फसलों की कटाई और स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कारणों का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले के 11 दोषियों की सरेंडर के लिए और समय की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई का खारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. उनकी रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.
साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गर्भवती बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनकी तीन साल की बच्ची समेत कम से कम 14 परिजनों की हत्या के लिए इन सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
15 अगस्त 2022 को अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा माफी दिए जाने के बाद सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किया गया था.
इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.