अमेरिका ने अगस्त 2023 में चेक गणराज्य को भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा था. नवंबर 2023 में अमेरिकी नागरिक और खालिस्तान अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश रचने के मामले में अमेरिकी अभियोजकों ने गुप्ता और भारत सरकार के एक कर्मचारी को आरोपी बनाया था.
नई दिल्ली: चेक गणराज्य की राजधानी प्राग स्थित हाईकोर्ट ने एक भारतीय सरकारी अधिकारी के कहने पर खालिस्तानी कार्यकर्ता की हत्या की कथित साजिश में आरोपों का सामना करने के लिए भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अमेरिका में प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी है.
चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने द वायर से पुष्टि की कि हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि निखिल गुप्ता को अमेरिका भेजा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘प्राग के हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि प्रत्यर्पण संभव है.’
हालांकि फैसले की तारीख सार्वजनिक नहीं की गई है, आदेश इस साल के पहले सप्ताह में पारित किया गया था.
रेपका ने कहा कि अगर कोई अपील होती है तो यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट में जाएगी. भले ही अब कोई अपील न हो या सुप्रीम कोर्ट में आगे की कार्यवाही हो, निखिल के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय न्याय मंत्री द्वारा किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘मामला न्याय मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाएगा. न्याय मंत्री पावेल ब्लेज़ेक बाद की तारीख में फैसला करेंगे कि निखिल के अमेरिका प्रत्यर्पण की अनुमति दी जाए या नहीं.’
रेपका ने कहा कि न्याय मंत्री के पास सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले की समीक्षा करने के लिए कहने के लिए तीन महीने की अवधि होती है, ‘अगर उन्हें किसी दिए गए मामले में अदालत के फैसले की शुद्धता के बारे में संदेह है’.
उन्होंने कहा कि यह ‘कहना अभी असंभव होगा कि न्याय मंत्री कब निर्णय लेंगे’.
रेपका ने कहा, ‘बचाव पक्ष से प्रत्यर्पण को रोकने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करने की उम्मीद की जा सकती है.’
दिल्ली निवासी निखिल गुप्ता को 30 जून 2023 को भारत से चेक गणराज्य के वैकलेव हावेल हवाई अड्डे पर उतरने के बाद बाद 13 जून को जारी एक गिरफ्तारी वारंट और अमेरिका के प्रारंभिक अनुरोध के बाद गिरफ्तार किया गया था.
अमेरिकी न्याय विभाग ने पिछले साल अगस्त में चेक गणराज्य को प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा था.
निखिल के खिलाफ एक सीलबंद अभियोग पहले न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत में दायर किया गया था, लेकिन उनका नाम नवंबर 2023 में अमेरिकी संघीय अभियोजकों द्वारा नए विस्तृत आरोप जारी करने के बाद ही सार्वजनिक हुआ.
आरोपों में पहली बार यह भी कहा गया कि निखिल गुप्ता ने कथित तौर पर भारत सरकार के एक अधिकारी के निर्देश पर न्यूयॉर्क में खालिस्तानी समूह के लिए काम करने वाले एक वकील को मारने के लिए एक हिटमैन – जो वास्तव में एक अंडरकवर अधिकारी था – को काम पर रखा था.
हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने जिनकी हत्या की जानी थी, उनका नाम जारी नहीं किया है, लेकिन उसे भारत द्वारा प्रतिबंधित खालिस्तानी समूह सिख फॉर जस्टिस के जनरल काउंसिल गुरपतवंत सिंह पन्नू के रूप में जाना जाता है.
द वायर ने सबसे पहले रिपोर्ट दी थी कि चेक सरकार को निखिल के प्रत्यर्पण की अनुमति देने वाला पहला फैसला 23 नवंबर 2023 को प्राग की एक निचली अदालत ने दिया था. इसके बाद उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी.
भारतीय व्यवसायी निखिल ने बार-बार दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी गलत पहचान के मामले पर आधारित थी.
उनके परिवार के सदस्यों ने पिछले महीने भारत में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने जनवरी के पहले सप्ताह में एक फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
मालूम हो कि 29 नवंबर 2023 को अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में विस्फोटक आरोप दायर किए थे, जिसमें बताया गया है कि कैसे एक ‘भारतीय सरकारी कर्मचारी’ के आदेश पर खालिस्तान समर्थक संगठन चलाने वाले एक अमेरिकी नागरिक को मारने की साजिश को अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने विफल कर दिया गया था.
जिस अमेरिकी व्यक्ति की हत्या की योजना बनाने का आरोप लगाया है, अभियोग में उसे केवल ‘पीड़ित’ कहा गया है. हालांकि जाहिर तौर पर ये व्यक्ति गुरपतवंत सिंह पन्नू है, जो भारत में प्रतिबंधित समूह सिख फॉर जस्टिस का वकील है.
अमेरिकी अभियोजकों द्वारा पहचाने गए साजिशकर्ताओं में एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता और एक भारतीय सरकारी कर्मचारी, जिसे आरोपों में ‘सीसी-1’ नाम दिया गया है, शामिल हैं. दोनों भारत में थे और यहीं से ऑपरेशन का निर्देशन कर रहे थे.
अभियोग में 18 जून 2023 को कनाडा में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारी की संलिप्तता के बारे में जानकारी भी शामिल है. इस घटनाक्रम से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उन आरोपों को बल मिला जिसमें उन्होंने निज्जर की हत्या से भारत सरकार के तार जोड़े थे.