पश्चिम बंगाल: राशन की दुकानों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर न लगाने पर केंद्र ने राज्य का फंड रोका

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने अभी तक राज्य भर में राशन की दुकानों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लोगो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों वाले साइन बोर्ड और फ्लेक्स प्रदर्शित करने के केंद्र के निर्देश का पालन नहीं किया है, जिसके चलते केंद्र ने राज्य के हिस्से की धान की ख़रीद के 7,000 करोड़ रुपये रोक लिए हैं.

ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: फेसबुक)

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने अभी तक राज्य भर में राशन की दुकानों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लोगो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों वाले साइन बोर्ड और फ्लेक्स प्रदर्शित करने के केंद्र के निर्देश का पालन नहीं किया है, जिसके चलते केंद्र ने राज्य के हिस्से की धान की ख़रीद के 7,000 करोड़ रुपये रोक लिए हैं.

ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार पर प्रधानमंत्री के प्रचार अभियान का पालन करने के लिए दबाव डालने की बेतुकी कोशिश में केंद्र सरकार ने राशन की दुकानों पर उनकी तस्वीरें प्रदर्शित नहीं करने के लिए राज्य के 7,000 करोड़ रुपये रोक लिए हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने अभी तक राज्य भर में राशन की दुकानों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लोगो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों वाले साइन बोर्ड और फ्लेक्स प्रदर्शित करने के केंद्र के निर्देश का पालन नहीं किया है.

राज्य की रोकी गई राशि केंद्र की योजनाओं के लिए धान खरीदी के लिए थी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि केंद्र द्वारा राशि की प्रतिपूर्ति करने से इनकार करना चालू वित्तीय वर्ष में राज्य के धान संग्रह पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने अखबार को बताया, ​‘राज्य सरकार पहले ही इस वित्तीय वर्ष में केंद्रीय पूल के लिए एनएफएसए योजनाओं के लिए 8.52 लाख टन की खरीदी कर चुकी है. इसने इस वर्ष अपने वार्षिक लक्ष्य 70 लाख टन के मुकाबले, केंद्रीय पूल की मात्रा सहित 22 लाख टन धान की खरीद की है. लेकिन राज्य सरकार को केंद्र की ओर से खरीदे गए धान की प्रतिपूर्ति अभी तक नहीं की गई है.​’

रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य ने इस सीजन के दौरान अपने वार्षिक लक्ष्य 70 लाख टन का 80 फीसदी खरीद का लक्ष्य रखा है, जो फरवरी के अंत तक जारी रहेगा. अगर राज्य को इस विंडो के भीतर पर्याप्त धनराशि नहीं मिलती है, तो पूरी खरीद प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

ब्रांडिंग को लेकर यह पहला झगड़ा नहीं है

यह पहली बार नहीं है जब नरेंद्र मोदी सरकार ने ब्रांडिंग के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल का फंड रोका है. पिछले साल नवंबर में बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत धन जारी करने का आग्रह किया था, जो स्वास्थ्य केंद्रों के रंग के कारण रोक दिया गया था.

मुख्यमंत्री ने लिखा था, ‘मैं आपसे पश्चिम बंगाल को एनएचएम फंड तत्काल जारी करने और स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के लिए विशिष्ट रंग ब्रांडिंग शर्तों को हटाने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध करूंगी, ताकि गरीब लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से न जूझना पड़े.’

बता दें कि केंद्र सरकार ने मेट्रो स्टेशनों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों सहित केंद्रीय सरकारी संस्थानों को ‘भगवा’ रंगने की योजना बनाई थी.

राज्य सरकार ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा था, ‘इन इमारतों का निर्माण 2011 से राज्य के रंगों में किया गया है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अन्य शर्तें पूरी होने के बावजूद स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के लिए कुछ रंग ब्रांडिंग-दिशानिर्देशों का अनुपालन न करने के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत धनराशि रोक दी है.’

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