राम मंदिर समारोह: अयोध्या के मुसलमानों ने 1992 की हिंसा का हवाला देते हुए सुरक्षा की मांग की

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और उसके बाद आने वाली बाहरी भीड़ से किसी गड़बड़ी की आशंका के चलते एक संगठन ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को लिखे पत्र में मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के साथ-साथ अयोध्या के उन क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा की मांग की है, जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा देखी गई थी.

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अयोध्या में तैनात पुलिस. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स/@ayodhya_police)

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह और उसके बाद आने वाली बाहरी भीड़ से किसी गड़बड़ी की आशंका के चलते एक संगठन ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को लिखे पत्र में मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के साथ-साथ अयोध्या के उन क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा की मांग की है, जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा देखी गई थी.

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर. (फोटो साभार: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र)

नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बीच, एक स्थानीय मुस्लिम संगठन ने स्थानीय अधिकारियों को एक याचिका दायर कर बड़ी मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के साथ-साथ अयोध्या के उन अन्य हिस्सों में कड़ी सुरक्षा और निगरानी की मांग की है, जहां 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा देखी गई थी.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 22 जनवरी का दिन करीब आते ही मुस्लिम समुदाय की घबराहट बढ़ती जा रही है. अयोध्या में राम जन्मभूमि पुलिस थाने के अंतर्गत दुराही कुआं इलाके में रहने वाले 43 वर्षीय अब्दुल वहीद कुरैशी कहते हैं, ‘हम वास्तव में नहीं जानते कि बाहरी लोग क्या सोच रहे हैं या क्या योजना बना रहे हैं. प्रशासन ने हमें आश्वस्त किया है कि कोई अप्रिय घटना नहीं होगी, लेकिन लाखों लोगों के बीच कुछ तत्वों के इरादे जरूर अलग हैं. हमारे परिवार ने अयोध्या में 1990 और 1992 की सांप्रदायिक घटनाएं देखी हैं.’

कुरैशी अयोध्या शहर में रहने वाले उन सैकड़ों मुसलमानों में से एक हैं, जो उत्तर प्रदेश सरकार के बार-बार दिए गए इस आश्वासन कि वह प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तारीख और उसके बाद क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखेगी, के बाद भी चिंतित हैं.

स्थानीय मुसलमानों के एक संगठन ‘अंजुमन मोहाफिज मस्जिद-वा-मकबीर’ द्वारा 16 जनवरी को अयोध्या डिवीजन के पुलिस महानिरीक्षक के नाम लिखे एक पत्र में कहा गया है, ‘अयोध्या शहर में हिंदू और मुस्लिम शांति से रहते हैं, लेकिन अतीत में विभिन्न आयोजनों में बाहरी लोगों की भीड़ के कारण मुस्लिम समुदाय को जीवन, संपत्ति और धार्मिक स्थलों की क्षति का सामना करना पड़ा है.’

पत्र के अनुसार, ‘राम मंदिर के उद्घाटन के बाद 22 जनवरी से यह अनुमान लगाया गया है कि बाहरी लोगों की एक बड़ी भीड़ दर्शन के लिए आने वाली है, इसलिए अयोध्या शहर में रहने वाले मुस्लिम जीवन, संपत्ति और अपने धार्मिक स्थलों को लेकर भयभीत हैं. पिछले अनुभवों के मद्देनजर हम तेरही बाजार, टीन वाली मस्जिद के बगल, गोल चौराहा सैय्यदबाड़ा, बेगमपुरा, दुराही कुआं, मुगलपुरा जैसे इलाकों में कड़ी निगरानी और सुरक्षा का अनुरोध करते हैं.’

मंदिर के चारों ओर चार किलोमीटर के दायरे में लगभग 5,000 मुस्लिम रहते हैं. अयोध्या जिले में लगभग 25 लाख निवासियों में से 14.8 फीसदी मुस्लिम हैं.

अयोध्या में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उप-समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आज़म कादरी ने कहा, ‘कुछ मुसलमानों ने अपने बच्चों और परिवार की महिला सदस्यों को लखनऊ, बाराबंकी या आसपास के अन्य जिलों में रिश्तेदारों के घर भेज दिया है. हमने उन्हें समझाने की कोशिश की, क्योंकि प्रशासन ने सुरक्षा की गारंटी दी थी, लेकिन 1990 और 1992 की सांप्रदायिक घटनाओं का डर कई लोगों के लिए भूलना मुश्किल है.’