तेलंगाना के रचाकोंडा में एक रेस्तरां में आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी. पुलिस को दी गई शिकायत में आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी.
नई दिल्ली: तेलंगाना के रचाकोंडा में रविवार (21 जनवरी) को एक रेस्तरां में ‘राम के नाम’ नामक डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित करने के लिए चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
एफआईआर नेरेदमेट पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है. तीनों व्यक्तियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 290 (सार्वजनिक उपद्रव के लिए सजा), 295ए (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान-बूझकर दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने आनंद सिंह, पराग वर्मा और दो अन्य को गिरफ्तार किया. बाद में उन्हें एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें जमानत दे दी गई.
सहायक पुलिस आयुक्त (कुशाईगुडा) एस. रविंदर ने बताया, ‘केस दर्ज किया गया, क्योंकि डॉक्यूमेंट्री बिना अनुमति के एक रेस्तरां में प्रदर्शित की गई थी. अगर किसी सार्वजनिक स्थान पर प्रदर्शन करना है तो अनुमति लेनी होगी. आरोप है कि आयोजकों ने भड़काऊ नारे भी लगाए थे. डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आनंद सिंह और अन्य लोगों ने रेस्तरां प्रबंधन के सहयोग से की थी, इसलिए रेस्तरां के मालिकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एफआईआर एक शिकायतकर्ता के आधार पर दर्ज की गई है, जिसने आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित की गई थी.
शिकायतकर्ता ने कहा, ‘उन्होंने जान-बूझकर राम मंदिर कार्यक्रम से पहले सांप्रदायिक मुद्दे पैदा करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया.’
इसी बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग बीच में ही रोक दी गई और तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया.
ओवेसी ने एक्स पर लिखा, ‘एक पुरस्कार विजेता डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कैसे अपराध है? अगर ऐसा है, तो भारत सरकार और फिल्मफेयर को भी डॉक्यूमेंट्री को पुरस्कार देने के लिए जेल भेजा जाना चाहिए.’
Can @RachakondaCop please explain why screening of the documentary Ram ke Naam was stopped midway & 3 people were arrested? How is screening an award winning documentary a crime? If it is, then the Government of India & Filmfare should also be jailed for awarding the movie.…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 21, 2024
उन्होंने आगे कहा, ‘कृपया हमें बताएं कि क्या हमें फिल्म देखने से पहले पुलिस से प्री-स्क्रीनिंग प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है.’
साल 1992 में रिलीज हुई आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ या ‘इन द नेम ऑफ गॉड’ 1990 के दशक में अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर निर्माण के अभियान और उस विवाद के कारण हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में है.
इस बीच अयोध्या में राम मंदिर का प्रतिष्ठा समारोह सोमवार (22 जनवरी) को संपन्न हो गया. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस दौरान मौजूद रहे.