हाईकोर्ट ने पीएम केयर्स फंड संबंधी जानकारी का खुलासा करने के सीआईसी के आदेश को रद्द किया

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने आयकर विभाग को कहा था कि वह सूचना के अधिकार के तहत पीएम केयर्स फंड को दी गई कर छूट संबंधी जानकारी का ख़ुलासा करे. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आयकर अधिनियम आरटीआई अधिनियम से अधिक प्रबल होता है. संबंधित जानकारी केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रदान की जा सकती है.

(फोटो साभार: एएनआई)

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने आयकर विभाग को कहा था कि वह सूचना के अधिकार के तहत पीएम केयर्स फंड को दी गई कर छूट संबंधी जानकारी का ख़ुलासा करे. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आयकर अधिनियम आरटीआई अधिनियम से अधिक प्रबल होता है. संबंधित जानकारी केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रदान की जा सकती है.

दिल्ली हाईकोर्ट. (फोटो साभार: Photo: Ramesh Lalwani/Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते सोमवार (22 जनवरी) को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें आयकर विभाग को सूचना अधिकार आवेदक गिरीश मित्तल को पीएम केयर्स फंड को कर छूट का दर्जा देने से संबंधित जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अदालत ने कहा कि आयकर अधिनियम आरटीआई अधिनियम से अधिक प्रबल होता है. साथ ही कहा कि किसी कर निर्धारिती (Assessee) से संबंधित जानकारी केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रदान की जा सकती है.

यह आदेश आयकर विभाग द्वारा अप्रैल 2022 के आदेश के खिलाफ एक अपील में पारित किया गया था, जिसमें उसे पीएम केयर्स फंड द्वारा दायर छूट आवेदन में प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रतियां प्रदान करने का निर्देश दिया गया था.

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने 23 पेज के आदेश में कहा, ‘आईटी अधिनियम की धारा 138(1)(बी) और धारा 138(2), जिनमें आईटी अधिनियम के तहत किसी तीसरे पक्ष से संबंधित जानकारी के खुलासे से संबंधित एक विशिष्ट प्रक्रिया का उल्लेख है, आरटीआई अधिनियम की धारा 22 को खत्म कर देती है. यहां प्रतिवादी द्वारा मांगी गई जानकारी स्पष्ट रूप से आईटी अधिनियम की धारा 138(1)(बी) के अंतर्गत आती है. इसलिए, ऐसी जानकारी प्रकट करने से पहले प्रधान मुख्य आयुक्त या मुख्य आयुक्त या प्रधान आयुक्त या आयुक्त की संतुष्टि आवश्यक है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मांगी गई जानकारी का खुलासा करने के लिए किसी सामान्य अधिनियम के तहत उस संतुष्टि को किसी अन्य प्राधिकारण के लिए निरस्त नहीं किया जा सकता है.’

जज ने कहा, ‘सीआईसी के पास आईटी अधिनियम की धारा 138 के तहत आने वाली जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. किसी मामले में, भले ही उनके पास अधिकार क्षेत्र हो, पीएम केयर्स को सुनवाई का नोटिस देने में विफलता अपने आप बहस को नुकसान पहुंचाएगी.’

आयकर विभाग ने विशेष वकील जोहेब हुसैन के माध्यम से पेश होकर कहा कि किसी करदाता से संबंधित किसी भी आयकर प्राधिकारी द्वारा प्राप्त की गई कोई भी जानकारी केवल आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित तरीके से मांगी जा सकती है, सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत नहीं.

हुसैन ने कहा, ‘केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी जानकारी नहीं दे सकते, क्योंकि यह आयकर अधिनियम के विपरीत है. यह भी तर्क दिया गया कि मांगी गई जानकारी को आरटीआई अधिनियम के तहत छूट दी गई थी, क्योंकि इसका खुलासा पीएम केयर्स फंड की सुनवाई के बिना नहीं किया जा सकता था.’

अधिवक्ता प्रणव सचदेवा के माध्यम से उपस्थित आवेदक ने तर्क दिया कि सूचना अधिकारी को सूचना प्रदान करने का निर्देश देने में अत्यधिक सार्वजनिक रुचि इसलिए थी, क्योंकि यह कोष जनता की सेवा के लिए बनाया गया था. आवेदक त्वरित मंजूरी देने में आईटी विभाग द्वारा अपनाई गई सटीक प्रक्रिया जानना चाहता था और यह देखना चाहता था कि क्या विभाग ने छूट देते समय किसी नियम की अनदेखी की है.

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