तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती पर कहा था कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन 1942 के बाद निराशाजनक बन गया. इस पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने कहा कि रवि ने जिस आंदोलन को निराशाजनक कहा, वह वास्तव में भारत छोड़ो आंदोलन का दौर था.
नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार और द हिंदू के पूर्व संपादक एन. राम ने कहा है कि भारत की आजादी में महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के बयान किसी ‘मजाक की तरह’ हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रवि ने मंगलवार (23 जनवरी) को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन 1942 के बाद निराशाजनक बन गया.
राज्यपाल ने कहा था, ‘अगर नेता जी नहीं होते तो भारत 1947 में आजाद नहीं होता.’
बुधवार (23 जनवरी) को न्यूज18 तमिलनाडु समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में राम ने कहा कि राज्यपाल के बयान इतिहास के साथ छेड़छाड़ हैं.
राम ने तमिल में कहा, ‘चाहे वह राज्यपाल हो या मुख्यमंत्री, किसी को भी भारतीय इतिहास को गहराई से पढ़ना होगा. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया है, तो उन्हें इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए, खासकर (प्रमुख) मंचों पर. उन्होंने जो कहा वह एक मजाक की तरह है.’
उन्होंने कहा कि 1942 में शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी आमरण अनशन पर चले गए, जिसके कारण देश भर में लोग ‘स्वत: स्फूर्त’ तरीके से गांधीजी और जेल में बंद अन्य नेताओं के समर्थन में सामने आ गए.
राम ने आगे कहा कि राज्यपाल ने जिस आंदोलन को ‘निराशाजनक’ कहा, वह वास्तव में भारत छोड़ो आंदोलन का ‘दौर’ था.
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि गांधी की ‘महानता’ को खत्म करने या किनारे करने की कोशिश करना ‘शर्मनाक’ है.
नेताजी के संबंध में राम ने कहा कि हालांकि वह स्वतंत्रता आंदोलन के एक महान नेता थे और बलिदान के प्रतीक थे, लेकिन इंपीरियल जापान द्वारा सहायता प्राप्त उपनिवेशवाद विरोधी इंडियन नेशनल आर्मी के उनके नेतृत्व का स्वतंत्रता प्राप्ति में ‘प्रमुख योगदान’ नहीं था.
राम ने कहा कि बोस यह निर्णय करने में भी गलत थे कि फासीवादी नेता भारत की मदद करेंगे.
‘राज्यपाल बनने लायक नहीं’
जब तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा दिए गए अन्य विवादास्पद बयानों के बारे में पूछा गया, जिसमें प्राचीन तमिल कवि तिरुवल्लुवर का हिंदू प्रतीकों के साथ कथित संबंध जोड़ना शामिल है, तो पूर्व संपादक एन. राम ने सत्तारूढ़ पार्टी के वैचारिक स्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए कहा, ‘उनके (रवि) और आरएसएस-भाजपा के बीच कोई अंतर नहीं है.’
राम ने तमिलनाडु विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति रोकने के राज्यपाल के तौर-तरीकों का भी उल्लेख किया और कहा कि ‘वह किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल बनने के योग्य नहीं हैं.’
‘अयोध्या के बाद विपक्ष को और प्रयास करने की जरूरत है’
उन्होंने कहा कि भाजपा 2024 के आम चुनाव के लिए अपने अभियान में अयोध्या के राम मंदिर का इस्तेमाल करेगी और कांग्रेस, वामपंथी दलों और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) जैसे विपक्षी दलों को इस ‘ज्वार के खिलाफ तैरना’ होगा.
राम ने कहा कि कुछ शंकराचार्यों ने इस आयोजन के राजनीतिकरण की आलोचना की थी. उन्होंने यह कहकर साक्षात्कार समाप्त किया कि भारत में एक धर्मनिरपेक्ष और गणतांत्रिक संविधान है.
उन्होंने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि वह हमारे संविधान के अनुसार देश का स्थायी नेता है. अगर कोई संविधान के खिलाफ जाने का फैसला करता है तो यह अलग बात है.’
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