कोर्ट के ईडी, सरकारों की प्रतिशोध की कार्रवाई का पता लगाने के लिए तंत्र होने की कहने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पता लगाने का तंत्र हो कि ईडी और राज्य सरकारें एकदूसरे के प्रति बदले की भावना से कार्रवाई करते हैं. द हिंदू के अनुसार, गुरुवार कोजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ईडी की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शिकायत की गई थी कि तमिलनाडु सरकार राज्य के मंत्रियों, अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार, अवैध खनन, आय से अधिक संपत्ति समेत अन्य मामलों में एफआईआर और शिकायतों की अपनी जांच का विवरण साझा नहीं कर रहा है. पीठ ने इस दौरान कहा कि यह पता लगाने का कोई अखिल भारतीय तंत्र बनाया जाना चाहिए कि केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष शासित राज्यों में अधिकारियों और मंत्रियों पर ईडी कार्रवाई सही है या राजनीतिक प्रतिशोध या बदले की भावना से हुई और फिर राज्यों द्वारा केंद्रीय एजेंसी के स्थानीय अधिकारियों को गिरफ्तार करने जवाबी कार्रवाई की जाती है. पीठ ने चिंता व्यक्त की यदि राज्य और केंद्रीय एजेंसियां मामले दर्ज करके और एक-दूसरे के अधिकारियों को गिरफ्तार करके एक-दूसरे को मात देने के प्रतिशोधपूर्ण खेल में लगी रहेंगी, तो देश का क्या होगा.

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कांग्रेस गठबंधन के बिना लोकसभा चुनाव में उतरने के ऐलान के बाद पार्टी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को इसका जिम्मेदार बताया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने गुरुवार को कहा कि बंगाल में गठबंधन के काम न करने के तीन कारण हैं- अधीर रंजन चौधरी, अधीर रंजन चौधरी और अधीर रंजन चौधरी. उन्होंने यह भी दावा किया कि’इंडिया गठबंधन के कई आलोचक हैं लेकिन केवल दो- भाजपा और चौधरी- लगातार इसके खिलाफ बोलते रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि अधीर रंजन चौधरी भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या टीएमसी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी, ओ’ब्रायन ने कहा कि आम चुनावों के बाद अगर कांग्रेस अपना काम करती है और भाजपा को पर्याप्त संख्या में सीटों पर हरा देती है, तो मुमकिन है कि टीएमसी इस ब्लॉक का हिस्सा बनी रहे.

हिंदू के पूर्व संपादक एन. राम ने कहा है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के राज्यपाल बनने योग्य नहीं हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, एन. राम ने कहा है कि भारत की आजादी में महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान पर रवि के बयान किसी ‘मजाक जैसे’ हैं.  रवि ने मंगलवार (23 जनवरी) को बोस की 127वीं जयंती पर हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन 1942 के बाद निराशाजनक बन गया. अगर नेता जी नहीं होते तो भारत 1947 में आजाद नहीं होता. इसके अगले दिन एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में राम ने कहा कि राज्यपाल के बयान इतिहास के साथ छेड़छाड़ हैं. चाहे वह राज्यपाल हो या मुख्यमंत्री, किसी को भी भारतीय इतिहास को गहराई से पढ़ना होगा. यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया है, तो उन्हें इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए, खासकर (प्रमुख) मंचों पर.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार गुरुवार को फिर से भाजपा में शामिल हो गए. अप्रैल 2023 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में नज़रअंदाज़ और अपमानित किए जाने का हवाला देते हुए उन्होंने भाजपा छोड़ी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. एनडीटीवी के अनुसार, छह बार के विधायक शेट्टार की वापसी पार्टी के दिल्ली मुख्यालय में कर्नाटक इकाई के प्रमुख बीवाई विजयेंद्र और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की मौजूदगी में हुई. इससे पहले उन्होंने शेट्टर ने दावा किया था कि ‘कुछ मुद्दों’ के कारण उन्हें भाजपा छोड़नी पड़ी और कांग्रेस में शामिल होना पड़ा और कहा, ‘पिछले आठ या नौ महीनों में बहुत सारी चर्चाएं हुईं. भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुझसे वापस आने के लिए कहा… येदियुरप्पाजी और विजयेंद्र जी भी चाहते थे कि मैं वापस आऊं… इसलिए मैं दोबारा शामिल हो रहा हूं.’

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन वाले खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और वितरण पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य से जवाब मांगा है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह याचिका ने ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’ द्वारा दायर की गई थी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि हलाल प्रमाणीकरण से संबंधित मामले में लखनऊ में दर्ज एफआईआर के संबंध में ट्रस्ट और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम न उठाया जाए. बीते 18 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर (निर्यात किए जाने वाले उत्पाद छोड़कर) प्रतिबंध लगा दिया था. मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया था.

राजस्थान में सरकार ने 15 फरवरी तक सभी सरकारी और निजी स्कूलों में सूर्य नमस्कार अनिवार्य कर दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि शुरुआत में सभी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के दौरान सूर्य नमस्कार अनिवार्य होगा और 15 फरवरी के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग प्रैक्टिस होनी चाहिए और छात्रों के स्वास्थ्य और उम्र की पहले से जांच की जानी चाहिए. शिक्षकों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि इससे उनके गैर-शैक्षणिक कार्य बढ़ जाएंगे और छात्रों का कक्षा का समय और कम हो जाएगा.