दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में मुक़दमा दायर करते हुए इससे युद्धविराम का निर्देश देने की मांग की थी.
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च न्यायिक निकाय अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने इजरायल को निर्देश दिया है कि नरसंहार कन्वेंशन का कोई उल्लंघन न हो और गाजा में मदद के तरीके बढ़ाने के लिए तुरंत ‘अपनी शक्तियों के भीतर सभी उपाय’ किए जाएं, हालांकि इसने तेल अवीव को इसके सैन्य अभियानों को तुरंत बंद करने का आदेश नहीं दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, 15 बनाम 2 के बहुमत के साथ आईसीजे ने फैसला सुनाया कि इजरायल को ‘इस कन्वेंशन के अनुच्छेद II के दायरे में सभी कृत्यों को रोकने के लिए अपनी शक्ति के भीतर सभी उपाय करने होंगे.’ अदालत ने खासतौर पर इजरायल से कहा कि वह अपनी सेना को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे कि वे 1948 की संधि का उल्लंघन न करे.
भारत के दलवीर भंडारी ने सभी अनंतिम तरीकों के पक्ष में वोट दिया. असहमति जताने वालों में इजरायल के तदर्थ न्यायाधीश अहरोन बराक और युगांडा के जूलिया सेबुटिंडे थे. दक्षिण अफ्रीका और इजरायल दोनों ने आईसीजे के 15 न्यायाधीशों के सामान्य पैनल में एक-एक न्यायाधीश नियुक्त किया था.
न्यायालय ने कुल छह अनंतिम उपाय जारी किए, लेकिन उनमें से किसी ने भी स्पष्ट रूप से इजरायल से गाजा में सैन्य अभियान बंद करने का आह्वान नहीं किया गया है.
ज्ञात हो कि दक्षिण अफ्रीका की ओर से इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए इस अदालतमे मुकदमा दायर किया गया था. इसने आईसीजे से युद्धविराम का आदेश देने की भी मांग की थी.
अदालत के आदेश के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की कि जबकि इजरायल की अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति ‘अटूट’ प्रतिबद्धता है, वह अपनी रक्षा करने के लिए भी यही रुख रखता है. उन्होंने कहा, ‘इजरायल को इस मौलिक अधिकार से वंचित करने का घृणित प्रयास खुला भेदभाव है और इसे उचित रूप से खारिज किया जाता है.’
अंग्रेजी में जारी एक वीडियो क्लिप में उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल ‘मानवीय सहायता देना जारी रखेगा, और नागरिकों को नुकसान से दूर रखने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेगा, भले ही हमास नागरिकों को मानव ढाल के रूप में उपयोग करता है.’ हालांकि, नेतन्याहू के कार्यालय द्वारा जारी हिब्रू में जारी वीडियो बयान में मानवीय सहायता का उल्लेख नहीं किया गया.
इस महीने की शुरुआत में नेतन्याहू ने दावा किया था कि इजरायल की सैन्य कार्रवाई को आईसीजे द्वारा नहीं रोका जाएगा. ‘हमें कोई नहीं रोकेगा, न हेग, न एक्सिस ऑफ इविल और न ही कोई और.’ ‘एक्सिस ऑफ रेज़िस्टेंस’ समूहों का संदर्भ यमन, इराक, सीरिया और लेबनान में ईरान द्वारा गठबंधन या समर्थित संगठनों से हैं.
हेग में पीस पैलेस के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए दक्षिण अफ्रीका की विदेश मंत्री नलेदी पंडोर ने कहा कि ‘ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे मैं कह सकूं कि मैं निराश हूं’ कि आईसीजे ने स्पष्ट रूप से युद्धविराम का आह्वान नहीं किया है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्हें इसकी उम्मीद थी.
पंडोर ने दावा किया कि फैसले के अमल के लिए इजरायल को अपने सैन्य अभियान बंद करने होंगे. ‘लेकिन मानवीय सहायता पहुंचाने, ऐसे उपाय करने, जो उन लोगों के खिलाफ नुकसान के स्तर को कम करते हैं जिनकी इजरायल के खिलाफ कोई भूमिका नहीं है, के लिए मेरे लिए हिसाब से सीज़फायर (संघर्ष विराम) ज़रूरी है.;
पंडोर ने जोड़ा कि उन्हें भरोसा नहीं था कि इजरायल आईसीजे के अंतरिम उपायों को लागू करेगा. उन्होंने कहा, ‘मैं इजरायल के बारे में कभी आशान्वित नहीं रही, लेकिन इजरायल के कई ताकतवर दोस्त हैं और हमें उम्मीद है कि उन्हें इजरायल को सलाह देनी चाहिए.’
जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, जिन्होंने अपनी पार्टी मुख्यालय में फैसले को लाइव देखा था, ने इजरायल को अदालत के सामने ले जाने के उनकी सरकार के प्रयास की पुष्टि के रूप में इस आदेश का स्वागत किया.
आदेश की सराहना करते हुए फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने कहा कि यह फैसला ‘मानवता और अंतरराष्ट्रीय कानून के पक्ष में’ था.
फ़िलिस्तीनी इस्लामवादी समूह हमास सामी अबू ज़ुहरी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि आईसीजे का आदेश ‘इजरायल को अलग-थलग करने’ में योगदान देगा.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मामले में प्रथमदृष्टया उसका अधिकार क्षेत्र है और इसे सामान्य सूची से हटाने की इजरायल की मांग को खारिज कर दिया. इसमें यह भी कहा गया कि दक्षिण अफ्रीका नरसंहार कन्वेंशन के तहत कथित उल्लंघनों के लिए इजरायल को आईसीजे के समक्ष लाने का ‘अधिकार’ है.
अदालत ने इजरायल से ‘गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी समूह के सदस्यों के संबंध में नरसंहार के लिए प्रत्यक्ष और सार्वजनिक उकसावे को रोकने और इसके लिए सजा देने’ का भी आह्वान किया. अपने आदेश में इसने फिलिस्तीनियों के खिलाफ इस्तेमाल की गई ‘अमानवीय भाषा’ के संदर्भ में इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग और इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट सहित वरिष्ठ इजरायली अधिकारियों द्वारा दिए गए कई सार्वजनिक बयानों का जिक्र भी किया था.
न्यायालय ने इजरायल से नरसंहार कन्वेंशन के तहत आने वाले कार्यों के आरोपों से संबंधित सबूतों को संरक्षित करने के लिए भी कहा. आईसीजे ने यह भी फैसला सुनाया कि इजरायल को एक महीने के भीतर अमल पर एक रिपोर्ट पेश करनी होगी.
ज्ञात हो कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी में जमीनी कार्रवाई शुरू करने के बाद हवाई बमबारी शुरू कर दी थी, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे और लगभग 240 अन्य को बंधक बना लिया गया था.
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार इज़रायली जवाबी कार्रवाई में मरने वालों की संख्या वर्तमान में 25,000 से अधिक है, वहीं संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मृतकों में 70% से अधिक महिलाएं या बच्चे हैं.
(इस फैसले के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)