मणिपुर में और झड़पें, मोरेह निवासियों ने स्कूल खोलने, राज्य बलों को हटाने की मांग उठाई

मणिपुर में बीते 27 जनवरी को कुकी समुदाय के कम से कम दो लोगों की हत्या कर दी गई और खमेनलोक क्षेत्र में कई घर और चर्च जला दिए गए. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया कि दोनों मृतक अपने गांव की सुरक्षा कर रहे थे और कथित तौर पर असम राइफल्स द्वारा उन पर गोलीबारी की गई.

(मणिपुर में हिंसा की फाइल फोटो: Twitter/@MangteC)

मणिपुर में बीते 27 जनवरी को कुकी समुदाय के कम से कम दो लोगों की हत्या कर दी गई और खमेनलोक क्षेत्र में कई घर और चर्च जला दिए गए. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया कि दोनों मृतक अपने गांव की सुरक्षा कर रहे थे और कथित तौर पर असम राइफल्स द्वारा उन पर गोलीबारी की गई.

मणिपुर में हिंसा की फाइल फोटो: Twitter/@MangteC

नई दिल्ली: इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कहा है कि मणिपुर के 37 विधायकों और दो सांसदों के साथ अरामबाई तेंग्गोंल मिलिशिया समूह की बैठक के कुछ दिनों बाद शनिवार (27 जनवरी) को कुकी समुदाय के कम से कम दो लोगों की हत्या कर दी गई और खमेनलोक क्षेत्र में कई घर और चर्च जला दिए गए.

राज्य के प्रभावशाली आदिवासी निकाय आईटीएलएफ का आरोप है कि दोनों लोग अपने गांव की सुरक्षा कर रहे थे और कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित अर्धसैनिक बल असम राइफल्स (एआर) द्वारा उन पर गोलीबारी की गई थी.

असम राइफल्स ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

खमेनलोक एक संवेदनशील क्षेत्र है और यहां दो रास्तों- एक इंफाल और दूसरा सैकुल से पहुंचा जा सकता है. बीते साल जब द वायर के रिपोर्टर्स ने इस क्षेत्र का दौरा करने का प्रयास किया, तो केंद्रीय और राज्य बलों, दोनों ने संभावित जोखिमों का हवाला देते हुए दौरा न करने की चेतावनी दी थी.

खमेनलोक में कई चर्च हैं और कई वीडियो में कथित तौर पर वहां की चर्चों को जलाते हुए और एक अन्य समूह को जश्न मनाते हुए दिखाया गया है. कुकी समुदाय के कुछ सदस्यों का आरोप है कि मेईतेई समूह अरामबाई तेंग्गोल ने खमेनलोक क्षेत्र के सभी गांवों को जला दिया है.

सैकुल से सूत्रों ने द वायर को बताया, ’रविवार सुबह लगभग 5:30 बजे एक अन्य अरामबाई तेंग्गोल समूह ने सैकुल के सेनम कोम क्षेत्र पर हमला किया, जिससे आधे घंटे तक गांव के वालंटियर्स के साथ गोलीबारी हुई.’

उन्होंने बताया कि गोलीबारी सुबह साढ़े सात बजे तक जारी रही और इंफाल पूर्वी जिले में स्थिति खराब हो गई.

इसी बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर के कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र पर अरामबाई तेंग्गोल के सदस्यों द्वारा कथित हमले के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

शाह को लिखे अपने पत्र में खरगे ने लिखा, ‘केंद्रीय और सुरक्षा बलों, इंटेलिजेंस कर्मियों की भारी मौजूदगी के बावजूद यह चौंकाने वाली घटना हुई है. अब तक एक गैर-सरकारी निकाय द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को इस तरह ध्वस्त किए जाने पर मणिपुर के मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

उन्होंने कहा, ‘यह शर्मनाक है कि जब मणिपुर की बात आती है तो प्रधानमंत्री जैसी चुप्पी राज्य और केंद्र दोनों के सभी महत्वपूर्ण हितधारकों की प्रचलित रणनीति लगती है.’

मोरेह में जारी आक्रोश

भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित मोरेह में सुरक्षाकर्मियों पर संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के लगभग एक महीने बाद भी आक्रोश जारी है.

सीमावर्ती शहर में बड़ी संख्या में कुकी-ज़ो लोगों ने क्षेत्र में शांति बहाली की मांग को लेकर शनिवार (27 जनवरी) को धरना दिया. वे मोरेह से राज्य बलों को हटाने और क्षेत्र में स्कूलों को फिर से खोलने की भी मांग कर रहे हैं.

यह विरोध प्रदर्शन कुकी छात्र संगठन, मोरेह ब्लॉक और कुकी महिला यूनियन फॉर ह्यूमन राइट्स, मोरेह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था. इसमें मोरेह प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, कुकी इंपि, तेंगनौपाल और हिल ट्राइबल काउंसिल, मोरेह भी भी शामिल हुए थे.

मोरेह में विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

इन संगठनों ने मोरेह में शांति वापस लाने के लिए तेंगनौपाल जिले के डीसी, एसपी और असम राइफल्स सीओ को एक ज्ञापन सौंपा.

पत्र में समूह ने उन पांच लोगों का भी जिक्र किया है जो शहर में हिंसा के दौरान घायल हुए थे और जिनकी हालत गंभीर है. इसमें कहा गया है कि उनका इलाज चूड़ाचांदपुर के एक अस्पताल में किया जा रहा है.

विरोध प्रदर्शन में शहर के तीन हाईस्कूलों को जलाने के सशस्त्र उग्रवादियों के कथित प्रयास की निंदा की गई, साथ ही तेंगनौपाल जिले से मणिपुर पुलिस कमांडो को हटाने में सरकार की कथित देरी की रणनीति की भी निंदा की गई.

मोरेह बाज़ार में धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया.

राज्य में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से आठ महीनों में 300 से अधिक चर्चों को कथित तौर पर जला दिया गया है, 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई एफआईआर दर्ज की गई हैं. दर्ज की गई अधिकांश एफआईआर पर सरकार को अभी भी कार्रवाई करना बाकी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)